Kisan Andolan: राकेश टिकैत क्यों बोले सरहद पर टैंक, खेत में ट्रैक्टर और युवाओं के हाथ में ट्विटर जरूरी
सरकार ने किसानों की कई बातों को मान लिया था या उसमें संशोधन का वायदा किया था मगर किसान केंद्र सरकार से तीन कृषि कानूनों को खत्म करने की ही मांग कर रहे हैं। किसान सरकार से इन कानूनों को खत्म किए जाने की ठोस वजह पूछ रही है।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का धरना बीते सात माह से जारी है। सरकार ने किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए उनसे कई दौर की बातचीत की मगर इन बातचीत के बाद उनकी मांगों का कोई सर्वमान्य हल नहीं निकल सका। इस वजह से किसानों का धरना अभी तक जारी है।
सरकार ने किसानों की कई बातों को मान लिया था या उसमें संशोधन का वायदा किया था मगर किसान केंद्र सरकार से तीन कृषि कानूनों को खत्म करने की ही मांग कर रहे हैं। किसान सरकार से इन कानूनों को खत्म किए जाने की ठोस वजह पूछ रही है मगर वो उनको नहीं बता पा रहे हैं।
फिलहाल कोरोना की लहर की वजह से धरना प्रदर्शन जारी है मगर अब यहां पहले जैसी भीड़ आदि नहीं दिख रही है। एक बार ये भी माना गया था कि कोरोना के गंभीर हालात को ध्यान में रखते हुए किसानों को अपना धरना खत्म कर देना चाहिए मगर किसान इसके लिए तैयार नहीं हुए। अब स्थितियां सामान्य होने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत एक बार फिर से सरकार पर हमला करने में जुट गए हैं। बीते कुछ दिनों से वो सरकार पर आरोप प्रत्यारोप करते हुए इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
22 जून को राकेश टिकैत ने ट्वीट किया कि - तीनों कृषि कानून के माध्यम से सरकार ने कॉरपोरेट्स को किसानों की लूट करने के लिए रास्ता दिया है, अगर यह कृषि कानून होते तो अब तक वापस ले लिए जाते लेकिन यह व्यापारी के कानून है इसलिए सरकार किसानों की अनदेखी कर रही है
21 जून को उन्होंने ट्वीट किया कि - देश को लुटेरों से बचाने के लिए तीन चीजें जरूरी है । सरहद पर टैंक, खेत में ट्रैक्टर, युवाओं के हाथ में ट्विटर:- चौ. राकेश टिकैत
20 जून को उन्होंने ट्वीट किया कि- या तो ये किसान और जनता रहेगी या ये सरकार रहेगी। अन्नदाता की आवाज झूठे मुकदमों से दबने वाली नहीं है..
20 जून- सरकार मानने वाली नहीं है। इलाज तो करना पड़ेगा। ट्रैक्टरों के साथ अपनी तैयारी रखो। जमीन बचाने के लिए आंदोलन तेज करना होगा।
19 जून को धमकाने वाले अंदाज में ट्वीट किया कि "केन्द्र सरकार ये गलतफहमी अपने दिमाग से निकाल दे कि किसान वापस जाएगा" किसान तभी वापस जाएगा, जब मांगें पूरी हो जाएंगी। हमारी मांग है कि तीनों कानून रद्द हों। एमएसपी पर कानून बने।
19 जून को सरकार को आड़े हाथों लेते हुए यहां तक कह दिया कि देश की राजधानी को किसानों ने पिछले 7 महीनों से घेर रखा है। भारत सरकार को शर्म नहीं आती? हम कहां बैठें? हमारा कोई घर है वहां। ये गलतफहमी सरकार अपने दिमाग से निकाल दे कि किसान वापस जाएगा।
दिल्ली में पेयजल किल्लत का एक ही फार्मूला: पानी का हो बेहतर और बराबर वितरण