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Kisan Andolan: जानिए अब कब संयुक्त किसान मोर्चा तय करेगा किसानों की घर वापसी का दिन, कुंडली बार्डर पर बनेगी पूरी रणनीति

Kisan Andolan संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को लोकसभा और राज्य सभा दोनों ही सदनों से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का विधेयक पास हो गया। विपक्ष ने सरकार पर बिना चर्चा के इस विधेयक के पास कराने का आरोप लगाया।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 06:24 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 06:24 PM (IST)
Kisan Andolan: जानिए अब कब संयुक्त किसान मोर्चा तय करेगा किसानों की घर वापसी का दिन, कुंडली बार्डर पर बनेगी पूरी रणनीति
Kisan Andolan: कुंडली बार्डर पर पंजाब की 32 जत्थेबंदियों की सोमवार को बैठक हुई।

नई दिल्ली/ सोनीपत, जागरण संवाददाता। Kisan Andolan: केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद कुंडली बार्डर पर पंजाब की 32 जत्थेबंदियों की सोमवार को बैठक हुई। इस बैठक में डा. दर्शनपाल और अन्य जत्थेबंदियों ने किसानों से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। बैठक में पंजाब की जत्थेबंदियों ने कहा कि अब घर वापस चलने की योजना पर काम होना चाहिए। साथ ही ये भी कहा गया कि MSP(एमएसपी) पर कानून वाला विषय है उसमें समय लगेगा और सरकार को इसका समय देना चाहिए। इसी बैठक में तय किया गया कि अब एक दिसंबर को फिर से संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी, इस बैठक में किसानों की घर वापसी के फैसले पर चर्चा होगी।

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मालूम हो कि संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को लोकसभा और राज्य सभा दोनों ही सदनों से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का विधेयक पास हो गया। विपक्ष ने सरकार पर बिना चर्चा के इस विधेयक के पास कराने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो सरकार पर चर्चा से डरने का आरोप भी लगा दिया। वहीं सपा सांसद जया बच्चन ने कहा कि उन्होंने संसद में ऐसा माहौल कभी नहीं देखा, जहां विपक्ष को बोलने की इजाजत नहीं दी गई।

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(नोट-किसानों की बैठक में हुए निर्णय सुनने के लिए ऊपर दिए गए लिंक पर क्लिक करें।)

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि इस सरकार पर कुछ ऐसे लोगों के समूह का कब्जा है जो गरीब विरोधी है और किसानों-मजदूरों के हितों को नुकसान पहुंचा रहे है। कानूनों का निरस्त करना किसानों और मजदूरों की जीत है। सरकार को अब एमएसपी की मांग भी स्वीकार करनी चाहिए। इन कानूनों को जिस प्रकार से बिना चर्चा के रद्द किया गया वह दिखाता है कि सरकार चर्चा से डरती है। आंदोलन के दौरान 700 किसानों की मौत हुई उनके बारे में चर्चा होनी चाहिए थी।

वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि सुधार बिल जब आए थे तब व्यापक रूप से चर्चा हुई थी। कृषि कानूनों को वापस लेना एक सर्वसम्मत विषय था। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा था कि आप लोग (विपक्ष) अपने स्थान पर बैठे तो वह चर्चा कराने के लिए तैयार हैं, अगर चर्चा होती तो सरकार उसका जवाब देती।


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