Kisan Andolan: अब बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा बताएगा खत्म होगा आंदोलन या आगे बढ़ेगी तारीख
तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने के बावजूद यूपी हरियाणा और पंजाब के किसान दिल्ली के बार्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और यहीं पर बैठे हुए हैं। तीनों कृषि कानून खत्म होने के बाद ऐसा लगा था कि अब आंदोलन खत्म हो जाएगा।
दिल्ली/ सोनीपत, जागरण संवाददाता। दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन की समाप्ति या उसे जारी रखने पर फिलहाल सहमति नहीं बन सकी। अब बुधवार को फिर सिंघु बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी उसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी। इस बीच यहां चल रही बैठक में दोपहर में नया मोड़ आ गया था। अचानक 5 सदस्यीय कमेटी मोर्चा कार्यालय से निकल कर कहीं और रवाना हो गई थी। ये बैठक एमएसपी सहित कई अन्य मुद्दों पर चल रही थी। इस बैठक में भी सरकार की ओर से भी कई प्रतिनिधि मौजूद थे। बैठक में गुरनाम सिंह चढूनी, शिवकुमार कक्का, धावले समेत कई नेता मौजूद थे।
कमेटी के सदस्यों के अचानक कहीं चले जाने से ये अंदाजा लगाया जा रहा था कि ये लोग सरकार के नुमाइंदों से बैठक करने के लिए गए हैं, खैर कुछ भी साफ नहीं हो सका है। देर शाम ये पता चला कि किसान संगठन अब अपना आंदोलन खत्म करने जैसा बड़ा निर्णय ले सकते हैं मगर इसका निर्णय बुधवार को संभवत: किया जा सकता है। मगर देर शाम इस पर भी सहमति नहीं बन सकी। कमेटी के नेताओं ने कहा कि अब बैठक खत्म की जा रही है वो बुधवार को केंद्र सरकार के प्रस्तावों पर फिर से विचार करेंगे उसके बाद आंदोलन खत्म करने पर बात होगी।
दरअसल किसान आंदोलन को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा को इस दिन अहम निर्णय लेना था। सिंघु बार्डर पर इसी बैठक में आंदोलन के भविष्य पर निर्णय होना तय था। मालूम हो कि कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब मोर्चा ने एमएसपी गारंटी का कानून बनाने सहित छह मांगों पर विचार के लिए प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा है। साथ ही इन मांगों पर सरकार के साथ वार्ता के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाई थी, लेकिन बातचीत के लिए सरकार की ओर से कोई न्योता नहीं आया। कमेटी के सदस्यों ने इसे शर्मनाक बताते हुए प्रदर्शन को तेज करने और दिल्ली कूच की बात कही थी।
मालूम हो कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने के बावजूद यूपी, हरियाणा और पंजाब के किसान दिल्ली के बार्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और यहीं पर बैठे हुए हैं। जब केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून खत्म कर दिए तो ऐसा लगा था कि अब किसान प्रदर्शनकारी दिल्ली-एनसीआर के बार्डर से चले जाएंगे और एक साल से चल रहा आंदोलन खत्म हो जाएगा।