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किसान आंदोलन: सिंघु बार्डर पर हिंसा के बाद 44 लोग गिरफ्तार

किसानों का आंदोलन में एक बार फिर शुक्रवार को बवाल गया। 26 जनवरी की घटना अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि सिंघु बॉर्डर पर फिर एक बार पुलिसकर्मी पर तलवार चलाने की घटना से किसान आंदोलन को सवालों के घेरे में ला दिया है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 29 Jan 2021 10:44 PM (IST)Updated: Sat, 30 Jan 2021 07:11 AM (IST)
किसान आंदोलन: सिंघु बार्डर पर हिंसा के बाद 44 लोग गिरफ्तार
सिंघु बॉर्डर पर किसान और स्‍थानीय लोगों के बीच झड़प के दौरान पुलिसकर्मी पर हमला करता हुए शख्‍स।

नई दिल्‍ली,गाजियाबाद, सोनीपत, जागरण टीम।  किसानों का आंदोलन में एक बार फिर शुक्रवार को बवाल गया। 26 जनवरी की घटना अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि सिंघु बॉर्डर पर फिर एक बार पुलिसकर्मी पर तलवार चलाने की घटना से किसान आंदोलन को सवालों के घेरे में ला दिया है। हालांकि, इधर गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा फिर से बढ़ने लगा है। इसके कारण पुलिस को पीछे हटना पड़ा है। 

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सिंघु बॉर्डर का हाल

किसान आंदोलन के बीच सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार को बवाल हो गया। स्थानीय लोगों और किसानों के बीच पत्थरबाजी हुई। इस दौरान अलीपुर एसएचओ पर तलवार से हमला भी हुआ। इस मामले में पुलिस ने 44 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इनमें अलीपुर एसएचओ को तलवार मारने का आरोपी भी शामिल है। वहीं, कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसान नेताओं ने कहा कि आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास विफल हो गया है। गाजीपुर से लेकर सिंघु बार्डर तक जितने षड्यंत्र रचे गए, सभी का मुंहतोड़ जवाब देते हुए किसान दोगुनी मजबूती के साथ आंदोलन से जुड़ गया है। किसान नेताओं ने शुक्रवार शाम को पत्रकारों से बातचीत करते हुए ऐलान किया कि 30 जनवरी को सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी किसान नेता भूख हड़ताल करेंगे। उन्होंने देशभर के किसान नेताओं ने इस भूख हड़ताल में शामिल होने की अपील की है।

कुंडली बार्डर पर प्रेसवार्ता

कुंडली बार्डर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉ. दर्शनपाल, बलबीर सिंह राजेवाल, अमरजीत सिंह, शिवकुमार कक्का, जगजीत सिंह डल्लेवाल, युद्धबीर सिंह आदि ने संयुक्त रूप से कहा कि भाकियू नेता राकेश टिकैत ने जिस मजबूती के साथ सरकार के हथकंडे का मुकाबला किया, उसका नतीजा सरकार ने देख लिया होगा। पहले से कई गुना ज्यादा किसान वहां एकत्रित हो गए हैं और यही हाल कुंडली बार्डर का भी है। इसलिए सरकार को ऐसी हरकतों से बाज आना चाहिए और जिद छोड़कर तीनों कृषि कानूनों वापस लेना चाहिए। 

इंटरनेट बंद करना सरकार की बौखलाहट 

किसान नेता डा. दर्शनापाल ने कहा कि इंटरनेट बंद कर देना सरकार की बौखलाहट को दर्शाता है। इस तरह की ओछी हरकत से आंदोलन को दबाया नहीं जा सकता। इसका असर यह है कि हरियाणा के विभिन्न जिलों के अलावा मोहाली, लुधियाना से भी भारी संख्या में किसान बार्डर पर पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार तत्काल इंटरनेट सेवा बहाल करे, अन्यथा इसके खिलाफ भी किसान आंदोलन से गुरेज नहीं करेंगे। गाजीपुर बार्डर पर राजनीति पार्टियों के लोगों के आने के सवाल पर युद्धवीर सिंह ने कहा कि सभी राजनीतिक दल का अपना एजेंडा होता है, लेकिन उन्हें हमलोग नहीं बुलाते हैं और न ही उन्हें मंच देते हैं।

भाकियू (भानु) के राष्ट्रीय महासचिव ने छोड़ा संगठन

भारतीय किसान यूनियन (भानु) के किसान आंदोलन से अलग कर लेने के बाद राष्ट्रीय महासचिव कुलदीप पांडेय ने संगठन से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आंदोलन से अलग होने को राष्ट्रीय अध्यक्ष का कायरता पूर्ण निर्णय बताया है। गांव गढ़ी में समर्थकों और किसानों के साथ बैठक कर कुलदीप पांडेय ने कहा कि आज किसानों के आंदोलन को ताकत की जरूरत है, वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने स्वयं आंदोलन से अलग कर कायरता पूर्ण निर्णय लिया है। राकेश टिकैत ने किसानों की लड़ाई जारी रखी है, वह किसान पुत्र हैं। कुलदीप पांडेय ने कहा कि वह जल्द ही अलग किसान संगठन तैयार करेंगे और अपने समर्थकों के साथ दिल्ली कूच करेंगे। उन्होंने बताया कि वीडियो काल कर राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपने निर्णय की जानकारी दे दी है।

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