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बनारस से इंडोनेशिया तक राम ही राम, अकबर ने जारी किया था राम-सीता का सिक्का

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में लगी लीला प्रदर्शनी 17 दिसंबर तक चलेगी।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 06 Dec 2017 02:19 PM (IST)Updated: Wed, 06 Dec 2017 08:10 PM (IST)
बनारस से इंडोनेशिया तक राम ही राम, अकबर ने जारी किया था राम-सीता का सिक्का
बनारस से इंडोनेशिया तक राम ही राम, अकबर ने जारी किया था राम-सीता का सिक्का

नई दिल्ली (संजीव कुमार मिश्र)। राम सिर्फ आराध्य नहीं। राम नाम हर भारतीय जनमानस की जिंदगी में रमा है। भारतीयों की जिंदगी में घुली राम नाम की इसी मिश्री का सुस्वाद इंदिरा गांधी कला केंद्र में आयोजित लीला प्रदर्शनी में लिया जा सकता है। यहां नृत्य व नाट्य परंपरा में 40 प्रकार से ज्यादा रामलीलाओं को देखा जा सकता है।

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प्रदर्शनी में विभिन्न रामलीला से जुड़ी 1000 वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। देशभर के 23 संग्रहालयों के सहयोग से आयोजित इस प्रदर्शनी में इंडोनेशिया, थाईलैंड समेत विदेशों में होने वाली रामलीलाओं के बारे में न सिर्फ जानकारी मिलेगी बल्कि पात्रों के वेश एवं मुखौटों का दीदार करने का मौका भी मिलेगा। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में लगी लीला प्रदर्शनी 17 दिसंबर तक चलेगी।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की प्रोफेसर मौलि कौशल कहती हैं कि प्रदर्शनी में रामायण को सिर्फ रामायण की तरह नहीं अपितु भारतीय दर्शन चिंतन के बीच मानव को रखकर देखा गया है। राम की लीलाओं को संसार की गतिविधियों में चहुंओर देखा जा सकता है।

मौलि कहती हैं कि लिविंग ट्रेडिशन ऑफ राम कथा पर प्रोजेक्ट सन् 2007 में शुरू हुआ था। यूनेस्को में भी इस बाबत दस्तावेज पेश किए गए थे। मकसद, भारत के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाली प्रसिद्ध और ऐतिहासिक रामलीलाओं के माध्यम से राम के स्वरूप को दुनिया के सामने रखना।

इसी कड़ी में पहली बार इस तरह की प्रदर्शनी आयोजित की गई है। बकौल मौलि कौशल प्रदर्शनी में बनारस के रामनगर की रामलीला की एक माह की वीडियो देख सकते हैं। साथ ही यहां रामनगर की रामलीला में बनी मरीच की कलाकृति भी मौजूद है।

रामनगर की रामलीला अपने संवाद की वजह से खासी प्रसिद्ध है। इसके संवाद लिखने वाले काष्ठ जिह्वा की हस्तलिखित किताब भी यहां देखी जा सकती है। नाटी इमली का विश्व प्रसिद्ध भरत मिलाप का चित्रण व भरत का श्रृंगार करने वाले रघुनाथ दास का साक्षात्कार भी देख-सुन सकते हैं।

रामगाथा सुनाता कवाड

राजस्थान में कवाड 500 साल पुरानी कथा वाचन की विधा है। मौलि कहती हैं कि प्रदर्शनी में कवाड से दर्शक रूबरू हो सकते हैं। इसमें रामायण की पूरी कहानी चित्रों के माध्यम से अंकित है जिसे कहानी के रूप में पेश किया जाता है। कुरुक्षेत्र के श्री कृष्ण म्यूजियम ने कवाड पेंटिंग दी है।

कवाड विधा में लकड़ी के बक्से में कई दरवाजे होते हैं, जिसमें तस्वीरें बनी होती हैं। श्रीलाल जोशी की फाड पेंटिंग के माध्यम से प्रस्तुत रामायण की गाथा भी अद्भुत है।

रावण वीणा बजाता था। पूर्वोत्तर का रावण हत्था (वाद्य यंत्र) लोगों को पसंद आएगा। इसे बजाते हुए लोक गाथाएं गायी जाती हैं। इंडोनेशिया के बाली में रामलीला के मंचन के दौरान बजाए जाने वाला वाद्य यंत्र गैमलन का तान सुन सकते हैं।

जानें सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक सिक्के के बारे में

बादशाह अकबर ने भी राम सिया के नाम पर एक सिक्का जारी किया था। चांदी का इस सिक्के पर एक तरफ राम और सीता की तस्वीरें उकेरी गई थीं और दूसरी तरफ कलमा खुदा हुआ था। इसे सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक के रूप में माना जाता है।


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