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यौन हिंसा का शिकार बच्चों को इंसाफ दिलाएंगे कैलाश सत्यार्थी, 100 जिलों में चलेगा अभियान, फरहान अख्तर का मिला साथ

2017 में नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी के नेतृत्‍व में बाल यौन शोषण के खिलाफ एक अभियान शुरू होने जा रहा है। इस अभियान को फिल्म अभिनेता फरहान अख्तर का भी साथ मिला है। यह देश के 100 जिलों में चलेगा।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 17 Mar 2021 04:22 PM (IST)Updated: Wed, 17 Mar 2021 04:22 PM (IST)
यौन हिंसा का शिकार बच्चों को इंसाफ दिलाएंगे कैलाश सत्यार्थी, 100 जिलों में चलेगा अभियान, फरहान अख्तर का मिला साथ
देश में बच्चों के यौन शोषण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। लेकिन, उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा है।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। कैलाश सत्यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन (केएससीएफ) यौन शोषण और दुष्कर्म के शिकार बच्चों और उनके परिवारों को तय समय पर न्याय, स्वास्थ्य सहायता और पुनर्वास सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए देशव्‍यापी अभियान शुरू करने जा रहा है। इस ‘जस्टिस फॉर एवरी चाइल्‍ड’ अभियान की शुरुआत 21 मार्च से होगी जो एक वर्ष तक चलेगी। यह अभियान देश के उन 100 जिलों में चलाया जाएगा जो बाल उत्पीड़न और बच्चों के दुष्कर्म के दृष्टिकोण से अति संवेदनशील हैं। अभियान के सरोकार और उद्देश्‍यों से लोगों को अवगत कराने के लिए हिंदी फिल्‍मों के मशहूर अभिनेता और निर्देशक फरहान अख्‍तर इस अभियान से बतौर ब्रांड अम्बेसडर शामिल हुए हैं।

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हर घंटे तीन बच्चियों से हो रहा दुष्कर्म

इस अवसर पर फरहान अख्‍तर ने बाल यौन शोषण की भयावहता को राष्ट्रीय आपातकाल की संज्ञा देते हुए कहा, ‘‘भारत में हर घंटे तीन बच्चियों का दुष्कर्म होता है और पांच यौन उत्‍पीड़न के शिकार होते हैं। उन्‍हें न्याय के लिए लम्‍बा संघर्ष करना पड़ता है, जो उन्‍हें जीवनभर पीड़ा देने का काम करता है। यह एक राष्ट्रीय आपातकाल है और भारत के बच्चों को हमारी मदद की आवश्यकता है। ऐसे में “जस्टिस फॉर एवरी चाइल्ड” मुहिम में कैलाश सत्यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन से जुड़ कर हम सब को इस लड़ाई को आगे बढ़ाना चाहिए।’’

लगातार बढ़ रहे हैं यौन शोषण के मामले

देश में बच्चों के यौन शोषण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। लेकिन, उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा है। बच्चों के शोषण पर रोक लगाने के खिलाफ बने कानून पॉक्सो अधिनियम के अनुसार एक निश्चित समय में जांच प्रकिया पूरी कर पीड़ितों को न्याय दिलाने का प्रावधान है, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। “जस्टिस फॉर एवरी चाइल्ड” अभियान का लक्ष्‍य बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामले में देश के उन 100 संवेदनशील जिलों में यौन अपराधों से बच्‍चों का संरक्षण (पॉक्‍सो) अधिनियम के तहत चल रहे कम से कम 5000 मामलों में बच्‍चों को तय समय में त्वरित न्‍याय दिलाना है। इस अवधि के दौरान केएससीएफ यौन शोषण और दुष्कर्म के पीड़ित बच्‍चों को कानूनी और स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं, पुनर्वास, शिक्षा और कौशल विकास के अवसरों की सुविधाएं प्रदान करेगा। बाल यौन शोषण के पीड़ितों और उनके परिवारों को विशेष रूप से मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य सहायता भी संगठन मुहैया कराएगा। इस दौरान केएससीएफ लोगों को “बाल मित्र” बनाने की प्रक्रिया के तहत न्यायपालिका और प्रशासनिक प्रणालियों से संबंधित हितधारकों को संवेदनशील बनाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण कार्यशालाओं का भी आयोजन करेगा।

सबूत और सुराग के अभाव में न्याय से वंचित रह जाते हैं बच्चे

केएससीएफ द्वारा हालिया प्रकाशित एक अध्‍ययन रिपोर्ट ‘पुलिस केस डिस्‍पोजल पैटर्न: एन इन्‍क्‍वायरी इनटू द केसेस फाइल्‍ड अंडर पॉक्‍सो एक्‍ट 2012’ के अनुसार लगभग 3000 मामले हर साल निष्पक्ष सुनवाई के लिए अदालत तक पहुंचने में विफल रहते हैं। यानी हर दिन यौन शोषण के शिकार चार बच्‍चों को न्याय से इसलिए वंचित कर दिया जाता है, क्योंकि यौन उत्पीड़ित होने के बावजूद पर्याप्‍त सबूत और सुराग के अभाव में पुलिस द्वारा उनके मामलों को थाने में ही बंद कर दिया जाता है। लिहाजा, ये मामले सुनवाई के लिए अदालत तक पहुंच ही नहीं पाते। रोंगटे खड़े कर देने वाले ये आंकड़े बताते हैं कि वक्‍त का तकाजा है कि बच्‍चों के लिए न्‍याय को सुनिश्चित करने के लिए ‘जस्टिस फॉर एवरी चाइल्ड’ अभियान की शुरुआत की जाए।

बच्चों के साथ परिवार की पीड़ा भी बढ़ जाती है

यौन शोषण के शिकार पीड़ित और उनके परिवारवालों के दर्द और पीड़ा को उजागर करते हुए केएससीएफ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एससी सिन्हा कहते हैं, “जब बच्‍चों के साथ यौन दुर्व्‍यवहार होता है, तो उन्‍हें न केवल शारीरिक यातना के दौर से गुजरना पड़ता है, बल्कि उन्‍हें असहनीय मानसिक आघात का भी सामना करना पड़ता है। पुलिस जांच प्रकिया के दौरान पीड़ित और उनके परिवार की पीड़ा उस समय और बढ़ जाती है, जब उन्हें बार-बार उस घटना का उल्‍लेख करना पड़ता है। न्‍याय के लिए भी उनको लंबा इंतजार करना पड़ता है। ये सारी प्रतिकूलताएं उनकी हताशा और दुश्चिंताओं को बढ़ाने का काम करती हैं और न्‍याय पाने की उनकी आकांक्षाओं को समाप्‍त कर देती हैं।”

समय से न्याय दिलाने की पहल

सिन्हा ने ‘जस्टिस फॉर एवरी चाइल्ड’ अभियान के उद्देश्य को स्पष्ट करत हुए कहा कि अभियान ऐसे पीड़ित बच्‍चों को सहायता उपलब्‍ध कराएगा, ताकि उन्‍हें न केवल समय पर न्याय मिले, बल्कि उन्‍हें उचित मानसिक, पुनर्वास और शैक्षिक सहायता भी मिल सके। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए सिन्‍हा कहते हैं, “कानून के मुताबिक बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामले में एक साल में अदालत में ट्रायल पूरा हो जाना चाहिए। हम एक संगठन के रूप में बाल संरक्षण के लिए सरकार और न्यायपालिका के साथ काम करना चाहते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर बच्चे को न्याय और उसका प्राकृतिक अधिकार मिले। जिससे वह एक खुशहाल और उन्‍मुक्‍त बचपन का आनंद उठा सके।

गौरतलब है कि केएससीएफ लंबे समय से बाल यौन शोषण के खिलाफ अभियान चला रहा है। संगठन ने 2017 में नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी के नेतृत्‍व में बाल यौन शोषण और ट्रैफिकिंग (दुर्व्‍यापार) के खिलाफ कन्याकुमारी से कश्मीर तक 12,000 किलोमीटर की ‘भारत यात्रा’ का भी आयोजन किया था। इसमें बाल यौन शोषण के शिकार रहे बच्‍चे, सिविल सोसायटी संगठन, विभिन्‍न राजनीतिक दलों के नेताओं, फिल्‍मी हस्तियों, धर्मगुरुओं, जजों आदि ने भाग लिया था।


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