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असाधारण अवकाश के आवेदन को निरस्त करने का जेएनयू का फैसला मनमाना : हाई कोर्ट

न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि ये जेएनयू के लिए गौरव की बात है कि प्रतिष्ठित संस्थान ने जेएनयू के प्रोफेसर को फेलोशिप दी है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 06:36 PM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 06:36 PM (IST)
असाधारण अवकाश के आवेदन को निरस्त करने का जेएनयू का फैसला मनमाना : हाई कोर्ट
असाधारण अवकाश के आवेदन को निरस्त करने का जेएनयू का फैसला मनमाना : हाई कोर्ट

नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। फ्रांस में फेलोशिप के लिए अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर उदय कुमार के असाधारण अवकाश के आवेदन को निरस्त करने के जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट ने मनमाना करार दिया है। न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि ये जेएनयू के लिए गौरव की बात है कि प्रतिष्ठित संस्थान ने जेएनयू के प्रोफेसर को फेलोशिप दी है। पीठ ने कहा कि जेएनयू का फैसला उसके अध्यादेश के खिलाफ है। उक्त टिप्पणियों के साथ ही पीठ ने जेएनयू प्रशासन को निर्देश दिया कि प्रोफेसर उदय कुमार के एक अक्टूबर 2020 से 30 जून 2021 के असाधारण अवकाश के आवेदन पर दोबारा विचार कर स्वीकृत करे।

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विदेश में रहते हुए ऑनलाइन पढ़ाना जारी रखेंगे प्रोफेसर

पिछली तारीख पर पीठ ने कहा था कि फ्रांस में फेलोशिप के लिए असाधारण अवकाश देने से इन्कार करने का प्राथमिक तौर पर अदालत को कोई कारण नहीं दिखाई देता है। सुनवाई के दौरान प्रोफेसर उदय की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अभिक चिमनी ने कहा कि प्रोफेसर उदय ने स्पष्ट किया है कि वे विदेश में रहते हुए ऑनलाइन पढ़ाना जारी रखेंगे। ऐसे में जेएनयू प्रशासन यही कह सकता कि प्रोफेसर उदय को नौ महीने के लिए खाली नहीं छोड़ा जा सकता है।

बिना वेतन अवकाश की अर्जी थी जिसे जेनएनयू ने नकारा था

याची प्रोफेसर ने कहा कि फ्रांस के एक नामी रिसर्च इंस्टीट्यूट में फेलोशिप के लिए अक्टूबर 2020 से जून-2021 तक के लिए बिना वेतन अवकाश देने की अर्जी दी थी, लेकिन जेएनयू प्रशासन ने इसे ठुकरा दिया। उन्होंने मांग की उनकी अर्जी पर फिर से विचार कर अवकाश स्वीकृत करने का जेएनयू प्रशासन को निर्देश दिया जाए। प्रोफेसर ने दलील दी है कि उन्होंने अवकाश के लिए 23 जनवरी को आवेदन दिया था, लेकिन कार्यकारी परिषद ने 18 फरवरी को इसे नामंजूर कर दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी अर्जी पर पुनर्विचार करने के लिए फिर से तीन बार अर्जी दी, लेकिन इसे हर बार निरस्त कर दिया गया। उन्होंने कहा है कि गत चार वर्षों में एक भी छुट्टी नहीं ली है और इस दौरान उन्होंने दो ही असामान्य अवकाश लिया है। इसके बावजूद भी कार्यकारी परिषद ने उन्हें छुट्टी देने से इनकार कर दिया है।

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