JNU में 46 साल बाद होगा दीक्षांत समारोह, इस एक्टर की वजह से हुआ था बंद
8 अगस्त को पीएचडी के छात्रों का दीक्षांत समारोह आयोजित किया जाएगा। इससे पहले जेएनयू में 46 साल पहले यानी 1972 में पहला और अंतिम दीक्षांत समारोह हुआ था।
नई दिल्ली (जेएनएन)। देश के नामी संस्थानों में शुमार जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अगले महीने 8 अगस्त को पीएचडी के छात्रों का दीक्षांत समारोह आयोजित किया जाएगा। इससे पहले जेएनयू में 46 साल पहले यानी 1972 में पहला और अंतिम दीक्षांत समारोह हुआ था। जाहिर है यह 21वीं सदी का पहला और जेएनयू के इतिहास का दूसरा दीक्षांत समारोह होगा।
यहां पर बता दें कि 1972 में हुए दीक्षांत समारोह में अभिनेता बलराज साहनी ने अपने भाषण में ऐसा कुछ कहा था जिसके बाद काफी विवाद हुआ था। ऐसे में इसके बाद से यहां पर दीक्षांत समारोह ही बंद हो गया।
गौरतलब है कि जेएनयू मानविकी, समाज विज्ञान, विज्ञान, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन आदि विषयों में उच्च स्तर की शिक्षा और शोध कार्य में संलग्न देश के अग्रणी संस्थानों में से है।
वहीं, विश्वविद्यालयों में विवाद होना आम बात है पर जब जेएनयू में विवाद होता है तो वो राष्ट्रीय मुद्दा बन जाता है। यहां पर याद दिला दें कि जेएनयू कैंपस में 9 फरवरी, 2016 की रात को संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु की बरसी मनाई गई थी और इस मौके पर देश विरोधी नारे भी लगाए गए थे। आरोप है कि यहां पर कुछ छात्रों ने पाकिस्तान जिंदाबाद जैसे देशद्रोही नारे लगाए थे।
एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि अफजल की बरसी के दौरान कार्यक्रम में कई तरह के नारे गूंजे थे, लेकिन पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा नहीं गूजा था। जांच रिपोर्ट में प्रत्यक्षदर्शी भी शामिल हैं, जिनमें विश्वविद्यालय के छात्र और स्टाफ शामिल हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने 12 फरवरी को एक निजी टेलीविजन चैनल की फुटेज के आधार पर एक मामला दर्ज किया था। हैरानी की बात यह है कि इस वीडियो में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे भी थे। इस मामले में कई छात्रों पर कार्रवाई भी हुई थी, छात्र नेता कन्हैया कुमार को जेल तक जाना पड़ा था।