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JNU छात्रा दुष्कर्म खुलासा: अर्धनग्‍न हालत में पीड़िता मांग रही थी मदद, पुलिस ने कही ये बात

JNU की दुष्कर्म पीड़िता के साथ दिल्‍ली पुलिस बहुत ही बेरुखी से पेश आई है। यह खुलासा हुआ है कि पुलिस ने किसी भी प्रकार से पीड़िता की मदद को आगे नहीं आई।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 08:50 AM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 09:26 AM (IST)
JNU छात्रा दुष्कर्म खुलासा: अर्धनग्‍न हालत में पीड़िता मांग रही थी मदद, पुलिस ने कही ये बात
JNU छात्रा दुष्कर्म खुलासा: अर्धनग्‍न हालत में पीड़िता मांग रही थी मदद, पुलिस ने कही ये बात

नई दिल्ली, (राकेश कुमार सिंह)। JNU student physical harassment case चालक के चंगुल से छूटने के बाद जेएनयू की दुष्कर्म पीड़ित छात्रा अर्धनग्न अवस्था में किसी तरह रास्ता पूछते हुए रात करीब दो बजे वसंत कुंज उत्तरी थाने पहुंची थी, लेकिन थाने में छात्रा की फरियाद सुनने के बजाय उसे वहां से अर्धनग्न अवस्था में ही भगा दिया गया। इस बीच वहां मौजूद पुलिसकर्मियों की न तो संवेदना जागी और न ही उन्हें शिकायत दर्ज करने का अपना फर्ज या मानव धर्म याद आया। खास बात यह है कि ये काम दो महिला पुलिसकर्मियों का ही है।

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पूछ-पूछ कर पहुंची थी थाने 

पुलिस सूत्रों के मुताबिक छात्रा ने बताया कि उसे थाने के बारे में पता नहीं था। वहीं रात में मिलने वाले ज्यादातर लोग भी उसे थाने की जानकारी नहीं दे सके। इसलिए थाने पहुंचने में देरी हुई। थाने में ड्यूटी अफसर के पास जाकर छात्रा ने वरिष्ठ अधिकारियों को घटना की जानकारी दी, लेकिन कोई भी मदद करने को तैयार नहीं हुआ।

कामकाज का हवाला देते हुए शिकायत दर्ज करने से इन्‍कार
आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक ही कामकाज होने की बात कहते हुए शिकायत दर्ज करने से इन्कार कर दिया। यही नहीं पुरुष पुलिसकर्मी के साथ पीड़िता ने जेएनयू जाने से इन्कार किया तो उसे अकेले ही रात में तीन बजे थाने से जाने दिया गया।

सुबह तक थाने में रखने भी नहीं थी तैयार पुलिस
पुलिस सुबह तक उसे थाने में रखने को भी तैयार नहीं हुई। वहीं छात्रा के मिन्नतें करने के बाद भी महिला पुलिसकर्मी को उसके साथ नहीं भेजा गया। इस बीच 2 बजे से 2.55 तब छात्र अर्धनग्न अवस्था में ही थाने में एक पुलिसकर्मी से दूसरे पुलिसकर्मी तक गुहार लगाती रही। खास बात यह है कि इस तरह के लापरवाह पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की जगह पुलिस के आला अधिकारी अब तक चुप्पी साधे बैठे हैं।

वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म के बाद किए थे बड़े-बड़े दावे
महिला सुरक्षा को लेकर सरकार से लेकर दिल्ली पुलिस तक हमेशा ही बड़े-बड़े दावे करती रही है। लेकिन, लेकिन सच्चाई दावों के विपरीत नजर आती है। दिल्ली के थानों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए 2010 में महिला हेल्प डेस्क भी खोली गई थी। इसे 16 दिसंबर 2012 में वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म कांड के बाद और कारगर बनाया गया और 24 घंटे महिला पुलिसकर्मी की तैनाती की गई। इसका उद्देश्य देर रात महिलाओं के साथ होनी वाली आपराधिक घटनाओं में तत्काल कार्रवाई करना था। लेकिन, वसंत कुंज उत्तरी थाने के पुलिसकर्मियों के रवैये ने इस व्यवस्था पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।

बनाई गई थी जीरो एफआइआर की व्यवस्था
वसंत विहार कांड के बाद तत्कालीन पुलिस आयुक्त ने दिल्ली में जीरो एफआइआर की व्यवस्था बनाई थी। जिससे महिला नजदीकी थाने में तत्काल सहायता मांग सके। उस समय थाना इंजार्चों को महिलाओं के मामले में तत्काल मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। इसी व्यवस्था के तहत आसाराम बापू के खिलाफ कमला मार्केट थाने में जीरो एफआइआर दर्ज कर केस को जयपुर भेज दिया था। लेकिन इस मामले में घटना को मंदिर मार्ग का बताकर न सिर्फ पुलिसकर्मियों ने टाल दिया, बल्कि अधिकारियों को भी गुमराह किया। साथ ही घटना को छिपाने की कोशिश करते रहे।

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