आखिर कहां गए नजीब, JNU में दो छात्र संगठनों के बीच ठनी
जेएनयू प्रांगड़ का महौल एक बार फिर खराब हो चुका है। वामपंथी और दक्षिणपंथी छात्र संगठनों के बीच ठन गई है। शनिवार से जेएनयू से गायब हुए छात्र नजीब अहमद को लेकर कैंपस में राजनीति गर्म है।
नई दिल्ली [ जेएनएन ]। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रांगड़ का महौल एक बार फिर खराब हो चुका है। वामपंथी और दक्षिणपंथी छात्र संगठनों के बीच ठन गई है। शनिवार से जेएनयू से गायब हुए छात्र नजीब अहमद को लेकर कैंपस में राजनीति गर्म है। छात्र संगठन इसको लेकर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन बीच जेएनयू प्रशासन ने भी जांच के आदेश दे दिए हैं।
जेएनयू प्रशासन द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि 14 अक्टूबर की रात हुई घटना के बाद मामला शांत हो गया और जरूरी निर्देश भी दिए गए। लेकिन 16 अक्टूबर को जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष ने जेएनयू प्रशासन के अधिकारी से मिलकर छात्र नजीब अहमद के गायब होने बात कही।
जेएनयू प्रशासन ने उसके बाद जेएनयू की सुरक्षा एजेंसी से गायब छात्र को खोजने के लिए कहा है साथ ही, हास्टल वार्डन को छात्रों के कमरे में खोजने के लिए लिखित आदेश दिया है। कैंपस में इस मामले की जांच के लिए पुलिस की उपस्थिति को भी स्वीकारा है साथ इस मामले में जांच के पुलिस का सहयोग करने की भी बात कही है।
हालांकि जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष मोहित कुमार पांडेय का कहना है कि नजीब और एबीवीपी के छात्रों के बीच मारपीट का मामला सामने आया। लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि एबीवीपी के लोगों ने नजीब के साथ मारपीट की और इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं।
हमने इस मामले में जेएनयू प्रशासन से जांच की मांग की है। नजीब गायब है और उसे ढूंढना प्राथमिकता है। उधर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी इसी तरह की प्रतिक्रिया दी है और जेएनयू छात्र संघ की भूमिका पर सवाल उठाया है।
एबीवीपी के नेता सौरभ कुमार शर्मा का कहना है कि सांप्रदायिक सौहार्द, शोध और बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए जाना जाने वाला जेएनयू आज वामपंथियों के कारण सांप्रदायिक तनाव के माहौल में घिरा हुआ है।
माही मांडवी हास्टल में 14 अक्टूबर को नजीब अहमद ने विक्रांत कुमार को रक्षासूत्र बाधने पर आपत्ति जताते हुए थप्पड़ मारे।
यह तब हुआ जब विक्रांत कुमार हॉस्टल के मेस कमिटी के लिए चुनाव में प्रत्याशी के रूप में वोट मांगने गया था। नजीब ने थप्पड मारने की बात स्वीकार भी की है। सीनियर वार्डन ने उसके खिलाफ करवाई करते हुए नजीब को 21 अक्टूबर तक हॉस्टल ख़ाली करने का समय दिया था।
वहां जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष ने एक छात्र की तरफ इशारा करते हुए जाति सूचक शब्दों का प्रयोग किया और धमकी दी। हम जेएनयू प्रशासन और दिल्ली पुलिस से मांग करते है की नज़ीब को जल्द से जल्द ढूंढ कर जेएनयू वापस लाया जाए।
सौरभ ने आरोप लगाया कि जब मैं 16 अक्टूबर को सभी पक्षों की बात सुनने के लिए वार्डन से निवेदन किया और सही फैसला लेने का अनुरोध तभी मौके पर उपस्थित मोहित पाण्डेय, अनंत प्रकाश, हामिद रजा, शाहिद रजा और उनके साथी ने मुझे मेरे कॉलर पकड़ कर धक्का दिया और जान से मारने की धमकी दी।