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वायु प्रदूषण से भी जंग लड़ेगा झिलमिल जल शोधन संयंत्र

औद्योगिक क्षेत्र में जल प्रदूषण से निपटने के बाद अब झिलमिल स्थित संयुक्त जल शोधन संयंत्र (सीईटीपी) अब वायु प्रदूषण के खिलाफ जंग में भी उतरने की तैयारी में है।

By Pooja SinghEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 10:10 AM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 10:10 AM (IST)
वायु प्रदूषण से भी जंग लड़ेगा झिलमिल जल शोधन संयंत्र
वायु प्रदूषण से भी जंग लड़ेगा झिलमिल जल शोधन संयंत्र

नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। औद्योगिक क्षेत्र में जल प्रदूषण से निपटने के बाद अब झिलमिल स्थित संयुक्त जल शोधन संयंत्र (सीईटीपी) अब वायु प्रदूषण के खिलाफ जंग में भी उतरने की तैयारी में है। दरअसल, नगर निगम ने हाल ही में करीब 40 वाटर स्प्रिंकलर (पानी का छिड़काव) मशीनों को मैदान में उतारा है। ये मशीनें सड़कों पर पानी का छिड़काव कर रही हैं। निगम का मानना है कि जहां पर भी पानी का छिड़काव किया जा रहा है, वहां वायु प्रदूषण 30 से 40 फीसद तक कम हो रहा है। ये मशीनें धरातल के साथ हवा में भी पानी की हल्की बौछार करती हैं। इससे करीब दस मीटर की ऊंचाई तक हवा में घूमने वाले कण जमीन पर आ जाते हैं। इन मशीनों को अब झिलमिल स्थित संयंत्र से पानी मिलेगा।

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निगम अधिकारियों के मुताबिक, इन मशीनों को हर दिन करीब आठ से दस लाख लीटर पानी की जरूरत है। यह जरूरत वेलकम, झील और स्वामी दयानंद अस्पताल स्थित जल शोधन संयंत्रों से पूरी नहीं हो सकती है। पानी की कमी को देखते हुए झिलमिल जल शोधन संयंत्र के चेयरमैन डॉ. अनिल गुप्ता से बात की गई। उन्होंने पानी देने पर सहमति दे दी है। यह संयंत्र प्रतिदिन करीब 80 लाख लीटर पानी शोधित कर रहा है।

इससे फिलहाल पीडब्ल्यूडी और निगम के उद्यान विभाग को पानी दिया जा रहा है। इसके बाद भी करीब 60 लाख लीटर पानी बच जाता है। इसमें अब आठ से दस लाख लीटर प्रतिदिन इन मशीनों को दिया जाएगा। इससे मशीनों को पानी की किल्लत नहीं होगी और संयंत्र के पानी भी इस्तेमाल हो जाएगा। इसके लिए निगम की तरफ से संयंत्र को कोई शुल्क नहीं देना होगा। निगम अधिकारियों के मुताबिक, एक मशीन की क्षमता करीब आठ हजार लीटर की है। योजना है कि एक मशीन को दो से तीन फेरे लगवाए जाएं, ताकि हर दिन अधिक से अधिक सड़कों पर पानी डाला जा सके। गौरतलब है कि ङिालमिल में जल प्रदूषण से निपटने के लिए इस संयंत्र का निर्माण 2004 में किया गया था।

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