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Disproportionate Assets Case: आय से अधिक संपत्ति मामले में झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन को दिल्ली HC से राहत

Disproportionate Assets Case झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को आय से अधिक संपत्ति मामले में दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रमुख और राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन के खिलाफ शुरू की गई लोकपाल कार्यवाही पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है।

By Aditi ChoudharyEdited By: Published: Mon, 12 Sep 2022 12:05 PM (IST)Updated: Mon, 12 Sep 2022 12:05 PM (IST)
Disproportionate Assets Case: आय से अधिक संपत्ति मामले में झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन को दिल्ली HC से राहत
Disproportionate Assets Case: आय से अधिक संपत्ति मामले में झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन को दिल्ली HC से राहत

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। आय से अधिक संपत्ति के मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) प्रमुख और राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन के विरुद्ध लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम-2013 के प्रविधानों के तहत भारत के लोकपाल द्वारा शुरू की गई कार्यवाही पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को रोक लगा दी।

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शिबू सोरेन की चुनौती याचिका पर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने मामले में नोटिस जारी करते हुए सुनवाई 14 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी। सोरेने ने याचिका में दावा किया है कि उनके खिलाफ की गई कार्यवाही कानून की दृष्टि से अधिकार क्षेत्र के बगैर की गई है।

5 अगस्त 2020 को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत पर भारत के लोकपाल ने सोरेन के खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई थी।इसके बाद सीबीआइ को लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम-2013 की धारा 20(1)(ए) के तहत शिकायत की प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया गया था। सोरेन ने दावा किया कि उक्त आदेश उन्हें नहीं दिया गया था।

शिकायत को झूठी व तुच्छ बताते हुए शिबू सोरेन ने अधिवक्ता वैभव तोमर के माध्यम से दायर याचिका में कहा कि अधिनियम की धारा-53 के तहत अपराध से सात वर्ष की समाप्ति के बाद की लोकपाल से की गई किसी भी शिकायत की जांच या जांच करने के अधिकार क्षेत्र पर वैधानिक रोक है।

याचिका में कहा गया है कि शिकायत की तारीख से प्रारंभिक जांच पूरी करने के लिए 180 दिनों की अधिकतम अवधि एक फरवरी 2021 को समाप्त हो गई।इस समय तक उनसे से केवल एक जुलाई 2021 को टिप्पणियां मांगी गई थीं, जो निर्धारित वैधानिक अवधि से परे है।

अंतिम प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सीबीआई ने 29 जून 2022 को 180-दिन की अवधि समाप्त होने के लगभग डेढ़ साल बाद प्रस्तुत की।इस तरह की रिपोर्ट कानून की नजर में शून्य है और इस पर लोकपाल द्वारा विचार नहीं किया जा सकता है।

पीठ ने चार अगस्त 2022 को भारत के लोकपाल द्वारा पारित आदेश को नोट किया। साथ ही यह भी देखा कि भारत के लोकपाल ने जो कुछ भी दर्ज किया वह यह था कि याचिकाकर्ता से प्राप्त टिप्पणियों को सीबीआइ को भेज दिया गया था, ताकि जांच की जा सके और एक जांच रिपोर्ट जमा की जा सके। हालांकि, लोकपाल द्वारा अधिकार क्षेत्र ग्रहण करने की चुनौती का न तो उत्तर दिया गया है और न ही निपटाया गया है।

पीठ ने कहा कि ऐसे में मामलेपर विचार करने की आवश्यकता है और लोकायुक्त के समक्ष लंबित कार्यवाही पर रोक जारी रहेगी।


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