जमीन के लिए छह माह में सहमति नहीं मिली तो जेवर एयरपोर्ट हो सकता है रद
प्रथम चरण में आठ गांवों की 1441 हेक्टेयर जमीन के लिए किसानों की सहमति मांगी गई। सिर्फ चार किसानों ने शिविर में आकर सहमति दी।

नोएडा (जेएनएन)। जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एक बार फिर संशय पैदा हो गया है। किसान जमीन के सर्किल रेट के दोगुना मुआवजे पर भूमि देने को तैयार नहीं है। नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अधिग्रहण से पहले 70 फीसद किसानों की सहमति जरूरी है। जिला प्रशासन ने किसानों की सहमति के लिए 16 जुलाई को अधिसूचना जारी कर गांवों में शिविर लगवाए थे। प्रथम चरण में आठ गांवों की 1441 हेक्टेयर जमीन के लिए किसानों की सहमति मांगी गई। सिर्फ चार किसानों ने शिविर में आकर सहमति दी। बाकी ने जमीन के सर्किल रेट के चार गुना दर पर मुआवजा मांगा। इससे कम दर पर जमीन देने से इंकार कर दिया गया। नए भूमि अधिग्रहण कानून में स्पष्ट लिखा है कि यदि अधिसूचना जारी होने की तिथि से छह माह के अंदर किसान जमीन देने को राजी न हो तो अधिसूचना स्वत: रद हो जाएगी। ऐसा हुआ तो जेवर एयरपोर्ट का प्रस्ताव भी रद हो जाएगा।
जेवर एयरपोर्ट की घोषणा बसपा सरकार ने 2007 में की थी। तत्कालीन मायावती सरकार ने प्रस्ताव पास कर केंद्र को भेजा था। केंद्र में लंबे समय तक प्रस्ताव लंबित रहा। प्रदेश में 2012 में सत्ता परिवर्तन के बाद अखिलेश यादव सरकार ने जेवर एयरपोर्ट के प्रस्ताव को रद कर दिया था। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद जेवर एयरपोर्ट का प्रस्ताव फिर से केंद्र सरकार के पास भेजा गया। केंद्र ने योगी सरकार के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी। जिला प्रशासन ने जमीन अधिग्रहण से पहले किसानों की सहमति लेने के लिए गांवों में शिविर लगाए। किसानों को जमीन के सर्किल रेट का दो गुना मुआवजा देने का प्रस्ताव दिया गया। किसानों ने इसे सिरे से नकार दिया। किसानों ने कहा कि उन्हें सर्किल रेट का चार गुना मुआवजा चाहिए। सिर्फ चार किसान सर्किल रेट के दो गुना मुआवजे पर सहमत हुए। अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सहमति के लिए अधिसूचना जारी होने की तिथि के बाद छह माह में 70 फीसद किसानों की स्वीकृति नहीं मिली तो अधिसूचना रद हो जाएगी। बाक्स
टल सकता है शिलान्यास कार्यक्रम
यमुना प्राधिकरण और जिला प्रशासन ने जेवर एयरपोर्ट के शिलान्यास की योजना अक्टूबर के लिए बनाई थी। शिलान्यास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आना था। इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को प्राधिकरण की तरफ से पत्र भी भेज दिया गया था। प्रधानमंत्री कार्यालय से कार्यक्रम के लिए सैंद्धांतिक सहमति मिल गई थी, लेकिन अब मामला उलझ जाने से प्रधानमंत्री द्वारा किए जाने वाला शिलान्यास कार्यक्रम टल सकता है। जानकारों का कहना है कि यदि लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने से पहले एयरपोर्ट का शिलान्यास नहीं हुआ तो कार्यक्रम एक वर्ष के लिए टल सकता है। इससे उन उम्मीदों को भी झटका लगेगा, जिनमें 2024 में जेवर एयरपोर्ट से जहाजों की उड़ान की संभावना थी। बाक्स
जिलाधिकारी को बाजार दर से जमीन का मुआवजा तय करने का अधिकार
नए जमीन अधिग्रहण कानून के भूमि अर्जन पुनर्वासन और पुर्नव्यवस्थापन में उचित प्रति और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम की धारा 24 में प्रावधान है कि डीएम को बाजार दर पर मुआवजा तय करने का अधिकार है। इस प्रावधान के तहत डीएम पिछले तीन वर्षों में अधिकतम दर पर हुए बैनामों का अध्ययन करेंगे। किसान हित में सबसे ऊंची दर पर हुए बैनामे के आधार पर जमीन का डीएम मुआवजा तय करेंगे।

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