इंसानियत की मिसाल बनीं बिहार की दो बेटियां सना और फायका, ट्रेनों में भूखे यात्रियों को खिला रहीं खाना
इंसानियत की मिसाल बनी हैं बिहार की दो बेटियां। इन दोनों ने भूखे श्रमिकों को खिलाने की काम शुरू किया है। अब इस अभियान से कई लोग जुड़ चुके है। इस नेक काम की हर जगह तारीफ हाे रही है।
नई दिल्ली (राहुल मानव)। कोरोना को लेकर हुए लॉकडाउन के दौरान कई संगठन और लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं। इंसानियत की इसी कड़ी में जामिया मिल्लिया इस्लामिया की बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर की छात्रा सना हसन ने ट्रेन से सफर कर रहे श्रमिकों को खाना उपलब्ध कराने के लिए पहल की है। 24 वर्षीय सना ने अपनी बहन फायका हसन के साथ के साथ मिलकर अपनी बचत के 4500 रुपयों से एक अभियान शुरू किया है। जिसमें वह ट्रेन से श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सफर कर रहे श्रमिकों को मुफ्त में फूड पैकेट बांट रही हैं।
बिहार की हैं रहने वालीं सना
बिहार के पटना से 50 किलोमीटर दूर आरा शहर की रहने वाली सना ने दो दिन पहले ही इस अभियान की शुरुआत की है। उनकों उनके पिता सैयद एम.शिबली हसन और माता सिमाब हैदर का भी साथ मिल रहा है। उनके पिता सिविल कोर्ट में स्टेनोग्राफर के तौर पर कार्यरत हैं। उन्होंने अब इस अभियान से अपने दोस्तों, अन्य शिक्षण संस्थानों के छात्रों व लोगों को भी जोड़ना शुरू कर दिया है।
पुलिस के सहयोग से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में दिया जा रहा खाने का सामान
सना ने बताया कि आरा जंक्शन पर जब श्रमिक स्पेशल ट्रेन पहुंचती है तब वहां पर पुलिस के सहयोग से फूड पैकेट बांटे जा रहे हैं। इस फूड पैकेट में बिहार में खाए जाने वाला चूड़ा जिसे धान से तैयार किया जाता है। उसे दिया जा रहा है साथ ही गुड़, सत्तू, मूंग दाल, बिस्किट बांटे जा रहे हैं।
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इनके साथ मौजूद बच्चों को टॉफी भी दी जा रही है। अब तक 150 श्रमिकों को फूड पैकेट बांटे जा चुके हैं। हमारा संकल्प है कि प्रत्येक दिन सौ श्रमिकों को यह फूड पैकेट मुफ्त में बांटे जाएं। सना 22 मार्च को अपने घर पहुंच गई थीं। उनकी बहन भी लखनऊ के शिक्षण संस्थान से बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर की पढ़ाई कर रही हैं।