महिला बंदियों को तनाव से दूर रहने का मिला प्रशिक्षण, गलत कदम रोकने के लिए प्रशासन का प्रयास
जेल की चारदीवारी में बंद रहने के दौरान बंदी अक्सर तनाव में आ जाते हैं। तनाव में आकर कई बंदियों के द्वारा गलत कदम भी उठा लिए जाते हैं। इसलिए योग अभ्यास का प्रशिक्षण दिया गया।
नोएडा, जेएनएन। जेल की चारदीवारी में बंद रहने के दौरान बंदी अक्सर तनाव में आ जाते हैं। इसके कारण वह अक्सर गलत कदम भी उठा लेते हैं। अत्याधिक तनाव का असर कई बार बंदियों के मस्तिष्क पर भी पड़ता है। महिला बंदियों को तनाव से दूर रखने के लिए जिला जेल लुक्सर में आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा एक सप्ताह के प्रशिक्षण शिविर का आयोजन हुआ।
योग, प्राणायाम आदि के माध्यम से बंदियों को बताया गया कि वह तनाव से किस प्रकार अपने को दूर रख सकते हैं। अपराध करने के बाद आरोपित जब जेल पहुंचता है तो उसके जीवन में अचानक से बड़ा बदलाव आता है। जेल के रहन-सहन, खान-पान के साथ ही तमाम बंदिशें लग जाती हैं।
इस कारण अक्सर व्यक्ति तनाव में आ जाता है। महिला बंदियों को तनाव से दूर रखने के लिए प्रतिदिन सुबह सात से नौ बजे तक सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। रविवार को इसका समापन हो गया।
आर्ट ऑफ लिविंग की विशेषज्ञ वंदना दहिया ने जेल में बंद 70 महिला बंदियों को सुदर्शन क्रिया, प्राणायाम, योग आदि का अभ्यास कराया। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन लगभग एक घंटा योगाभ्यास से तनाव के साथ बीमारियों से भी बचा जा सकता है। पुरुष बंदियों के लिए भी शिविर के आयोजन की योजना है।
जेल अधीक्षक विपिन कुमार मिश्रा ने बताया शिविर में सभी महिला बंदियों ने हिस्सा लिया। शिविर समापन के बाद भी महिला बंदी नियमित योगाभ्यास जारी रखे हैं।
विभिन्न कॉलेजों के छात्रों ने किया जेल का भ्रमण
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जेल का भ्रमण कराने के लिए विभिन्न कॉलेजों के छात्रों का चयन किया था। जिसमें जेएनयू, आइआइटी समेत विभिन्न शैक्षिक संस्थानों के 46 छात्र थे। सोमवार को छात्र जेल का भ्रमण करने पहुंचे। जेल प्रबंधन ने उन्हें पूरे परिसर का भ्रमण कराया। बंदियों के रहने, खाने, खेल व अन्य क्रियाकलाप, इलाज आदि के बारे में जानकारी दी गई। जेल की सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी भी दी गई। छात्र अपना फीडबैक जल्द मानवाधिकार आयोग को देंगे।
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