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देश का सबसे अनोखा मामला, जानिए- कैसे NDRF ने टावर्स के बीच फंसे शव को निकाला

एनडीआरएफ टीम का एक जवान कटी हुई दीवार के बीच से दो टॉवरों के बीच की गली में फंसे शव तक पहुंचा और शव को बाहर निकाला।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 03 Jul 2019 01:16 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2019 02:06 PM (IST)
देश का सबसे अनोखा मामला, जानिए- कैसे NDRF ने टावर्स के बीच फंसे शव को निकाला
देश का सबसे अनोखा मामला, जानिए- कैसे NDRF ने टावर्स के बीच फंसे शव को निकाला

नोएडा, जेएनएन। दिल्ली से सटे नोएडा में दो टावर्स के बीच तकरीबन 80 घंटे से अधिक समय तक लटके युवती के शव को लेकर अनदेखी ने इंसानियत को भी शर्मसार करके रख दिया है। सवाल उठ रहा है कि आखिर कैसे इतनी देर तक 130 फीट ऊंचाई पर यह शव लटकता रहा और किसी को नजर आया। बहरहाल,  सिलिकॉन सिटी के दो टॉवरों के बीच फंसी युवती सोनामुनी के शव को निकालना पुलिस के लिए चुनौती बन गया था और संभवतया देश में पहली बार ऐसा हुआ है जब एनडीआरएफ ने कड़ी मशक्कत के बाद शव को निकाला।

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इससे पहले पुलिस व अग्निशमन विभाग के घंटों प्रयास के बाद भी असफल होने पर गाजियाबाद से एनडीआरएफ टीम को बुलाना पड़ा। 45 सदस्यीय एनडीआरएफ टीम दोपहर करीब साढ़े 12 बजे मौके पर पहुंची व ऑपरेशन शुरू किया। 17 फ्लोर के टॉवर सी के टॉप फ्लोर से पहले टीम ने शव निकालने का प्रयास किया, लेकिन असफलता मिली। चूंकि दो टॉवर के बीच करीब डेढ़ फीट संकरी गली में 12वें फ्लोर पर शव फंसा था। ऐसे में 12वें फ्लोर के फ्लैट की दीवार काटकर रेस्क्यू करने का निर्णय हुआ। किसी कारण टॉवर सी के फ्लैट नंबर 1206 में रहने वाले एक आइएएस अधिकारी अपने फ्लैट की दीवार काटने के लिए सहमत नहीं हुए। इसके बाद पुलिस-प्रशासन ने 19 वें फ्लोर की टॉवर डी बिल्डिंग के फ्लैट नंबर 1202 के निवासी से बात कर अनुमति ली।

एनडीआरएफ की टीम ने उस फ्लैट की बालकनी में दो फिट के तिकोने आकार में दीवार को काटा। एनडीआरएफ टीम का एक जवान कटी हुई दीवार के बीच से दो टॉवरों के बीच की गली में फंसे शव तक पहुंचा और शव को बाहर निकाला। संभवतया देश का यह पहला मामला है कि जब एनडीआरएफ की टीम ने दो घंटे के संघर्षपूर्ण ऑपरेशन के बाद युवती का शव निकाला।

रोप-वे विधि का इस्तेमाल कर 12वें फ्लोर से नीचे लाया गया शव

बालकनी से शव को फ्लैट के रास्ते लिफ्ट के जरिये शव को लाने के बजाया बालकनी से सीधे ग्राउंड फ्लोर पर रस्सी के सहारे (रोप -वे विधि) स्ट्रेचर पर रखकर लाया गया। एनडीआरएफ टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन की पूरी रिकार्डिग की, रेस्क्यू ऑपरेशन को लाइव देखते हुए एनडीआरएफ मुख्यालय से निगरानी की गई।

पहली बार किसी सोसायटी में हुआ इस प्रकार का ऑपरेशन

शहर ही नहीं, संभवतया देश में पहली बार किसी सोसायटी में एनडीआरएफ टीम को इस प्रकार से रेस्क्यू के लिए बुलाना पड़ा था। मालूम हो कि एनडीआरएफ से पहले मौके पर पहुंची अग्निशमन विभाग ने लिफ्ट मशीन के जरिये रेस्क्यू करने के प्रयास में जुटी थी, लेकिन असफल रही थी। सेक्टर-76 स्थित सोसायटी में मंगलवार सुबह बदबू आने पर पता चला, एनडीआरएफ ने एक फ्लैट की बालकनी की दीवार काटकर बाहर निकाला।

टाइम लाइन

7:00 बजे: टॉवर सी 1207, निवासी जेपी मिश्र ने पड़ोसी के साथ टॉप फ्लोर से शव देखा

7:30 बजे: सोसायटी निवासियों की सूचना पर सुरक्षा गार्ड छत पर पहुंचे

7:40 बजे: सुरक्षा कर्मचारियों ने पुलिस को शव पड़े होने की सूचना दी

08:00 बजे: कोतवाली सेक्टर 49 पुलिस मौके पर पहुंची

09:00 बजे: अग्निशमन विभाग की टीम को बुलाया गया

12:30 बजे: एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची व रेस्क्यू शुरू किया

02:00 बजे: टॉवर डी के फ्लैट नंबर 1202 के बालकनी की दीवार काटकर शव निकाला गया

02:20 बजे: रोप रेस्क्यू विधि के तहत शव को 12वें फ्लोर से ग्राउंड फ्लोर पर लाया गया

02:30 बजे: शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेजा

शव पड़ा रहा, सुरक्षाकर्मियों को नहीं लगी भनक

28 जून से लापता युवती का शव दो टॉवरों के बीच फंसा रहा, लेकिन सुरक्षाकर्मियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। सोसायटी से किसी युवती या घरेलू सहायिका के लापता होने की सुरक्षाकर्मियों को जानकारी तक नहीं थी। सोसायटी में सुरक्षा से जुड़े कर्मचारियों ने बताया कि सोसायटी में 400 से अधिक घरेलू सहायिकाएं सिलिकॉन सिटी में काम करती हैं। उनका दावा है कि यहां काम करने वाले सभी घरेलू सहायिकाओं का आई कार्ड भी बना हुआ है। हालांकि उन्होंने कहा कि इसके अलावा कुछ फ्लैटों में 12 घंटे या स्थाई रूप से घरेलू सहायिकाएं काम करती हैं, उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। सोसायटी के सिक्योरिटी हेड विजय सिंह ने कहा कि सुबह साढ़े सात बजे उन लोगों को शव फंसे होने की जानकारी मिली है। उसके कुछ देर बाद पुलिस को सूचना दी गई है।

डी टावर के 1802 नंबर फ्लैट में रहने वाले जयप्रकाश ने पोस्टमार्टम हाउस में जाकर मृतक युवती की पहचान अपने घर में काम करने वाली युवती सोनामुनी के रूप में की है। जयप्रकाश के मुताबिक, वह बिहार के कटिहार में उनके गांव के पास मधेपुरा की रहने वाली थी और उनके घर एक साल से काम कर रही थी। वह बिहार से 18 जून को ही लौटी थी, लेकिन 28 जून से लापता थी।

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