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सावधान ! देश के सबसे नामी अस्पताल AIIMS में कैंसर की स्क्रीनिंग करेंगी आंखों की डॉक्टर

एम्स ने प्रिवेंटिव आंकोलॉजी (कैंसर) विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर ऐसे डॉक्टर का चयन किया है जो आंखों की बीमारियों पर शोध कर रही हैं। इसको लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 10:22 AM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 10:22 AM (IST)
सावधान ! देश के सबसे नामी अस्पताल AIIMS में कैंसर की स्क्रीनिंग करेंगी आंखों की डॉक्टर
सावधान ! देश के सबसे नामी अस्पताल AIIMS में कैंसर की स्क्रीनिंग करेंगी आंखों की डॉक्टर

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। कैंसर की आशंका या जोखिम होने पर यदि दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute Of Medical Science) के कैंसर सेंटर में स्क्रीनिंग कराने जा रहे हैं, तो जरा सतर्क रहें। हो सकता है कि प्रिवेंटिव आंकोलॉजी विभाग में जो डॉक्टर संभावित कैंसर की जांच कर रहे हों वह कैंसर की स्क्रीनिंग व इलाज में दक्ष न हों। दरअसल, एम्स ने प्रिवेंटिव आंकोलॉजी (कैंसर) विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर ऐसे डॉक्टर का चयन किया है जो आंखों की बीमारियों पर शोध कर रही हैं। साथ ही अन्य तीन विभागों में भी नियुक्ति में गड़बड़ी का मामला सामने आया है, जहां एक ही डॉक्टर को एम्स कैंसर सेंटर व राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआइ) इन दोनों जगहों के लिए चुना गया है। इसलिए एम्स की नियुक्ति प्रक्रिया पर डॉक्टर सवाल खड़े कर रहे हैं।

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उठ रहे कई सवाल

हालांकि एम्स प्रशासन ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। वहीं डॉक्टर सवाल खड़े कर रहे हैं कि आंखों की बीमारियों पर शोध करने वाले डॉक्टर को कैंसर स्क्रीनिंग, सर्वाइकल कैंसर के टीकाकरण इत्यादि की जिम्मेदारी कैसे दी जा सकती है। यह भी तब जब कैंसर के बढ़ते मामलों के बीच प्रिवेंटिव कैंसर विभाग अहम होता जा रहा है। यही वजह है कि वर्ष 2017 में एम्स में यह विभाग शुरू हुआ था। इस विभाग में सर्वाइकल, ओवेरियन, कोलोरेक्टल, कोलन, ओरल, लंग व स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग की सुविधा है। इसके अलावा जेनेटिक कारणों से परिवार के लोगों में होने वाले कैंसर की रोकथाम के लिए हाई रिस्क कैंसर क्लीनिक भी चलता है। जहां कैंसर के दक्ष डॉक्टर अनुबंध पर नियुक्त थे।

पिछले साल एम्स ने सहायक प्रोफेसर के तौर पर करीब 160 डॉक्टरों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की थी। नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद एम्स ने करीब 120 डॉक्टरों को चुन लिया। इसके तहत एम्स के कैंसर सेंटर व हरियाणा के झज्जर स्थित एनसीआइ के लिए भी डॉक्टर नियुक्त किए गए हैं। एम्स के कैंसर सेंटर में प्रिवेंटिव आंकोलॉजी के लिए एक व एनसीआइ के प्रिवेंटिव आंकोलॉजी विभाग के लिए दो डॉक्टरों का चयन किया गया है। एम्स कैंसर सेंटर के प्रिवेंटिव आंकोलॉजी के लिए चयनित डॉक्टर एम्स के आरपी सेंटर में कम्युनिटी नेत्र विज्ञान विभाग में शोध कर रही हैं।

इसके अलावा एनसीआइ के लिए नियुक्त डॉक्टर अमेरिका में शोध कर रहे हैं। वह भी कम्युनिटी मेडिसिन के विशेषज्ञ हैं। हालांकि प्रिवेंटिव आंकोलॉजी विभाग में नियुक्ति के लिए तय योग्यता में मेडिकल की सात ब्रांच शामिल थीं, जिसमें कम्युनिटी मेडिसिन भी एक थी। हालांकि डॉक्टर यह सवाल उठा रहे हैं कि जिनका कैंसर की रोकथाम या उसके इलाज में अनुभव नहीं है उन्हें यह जिम्मेदारी कैसे दी जा सकती है। एम्स की नियुक्ति प्रक्रिया में विभागाध्यक्ष की अहम भूमिका होती है। बताया जा रहा है कि प्रिवेंटिव आंकोलॉजी के प्रभारी कैंसर सेंटर के प्रमुख डॉ. जीके रथ हैं। लेकिन उन्हें दरकिनार कर एम्स प्रशासन ने दूसरे विभाग के विभागाध्यक्ष को नियुक्ति प्रक्रिया का हिस्सा बनाया था।

इसी तरह एम्स के मुख्य अस्पताल व एनसीआइ में रेडियोथैरेपी विभाग में नियुक्ति के लिए ओबीसी कोटे में दो सीटों पर आवेदन मांगे गए थे। साक्षात्कार में तीन डॉक्टर शामिल हुए। फिर भी इन दोनों पदों पर एक ही डॉक्टर का चयन किया गया। इसी तरह सर्जिकल आंकोलॉजी में भी एक ही डॉक्टर का चयन एम्स कैंसर सेंटर व एनसीआइ दोनों जगह की सीटों पर हुआ है। इसके अलावा एनेस्थीसिया विभाग में एक ही डॉक्टर का चयन दोनों जगहों की सीटों पर किया गया है। जबकि ये डॉक्टर किसी एक जगह ही ज्वाइन कर पाएंगे। ऐसे में तीनों विभागों में एक-एक पद खाली हो जाएगा। एम्स ने इस बार प्रतिक्षा सूची भी नहीं बनाई है। ताकि यदि कोई डॉक्टर किसी कारण ज्वाइन नहीं कर पाए तो दूसरे को मौका मिल सके। इस बारे में एम्स के प्रोटोकॉल व मीडिया समिति की चेयरमैन डॉ. आरती विज से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल सका।

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