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EXCLUSIVE: विश्व के 3 अनोखे मामलों से अलग है दिल्ली में 11 मौतों का प्रकरण!

बुराड़ी की घटना यदि आत्महत्या है तो एक बात स्पष्ट है कि किसी ने उन्हें फांसी लगाने के लिए प्रेरित किया। चाहे परिवार का ही सदस्य ललित हो या कोई और।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 05 Jul 2018 05:59 AM (IST)Updated: Thu, 05 Jul 2018 07:30 AM (IST)
EXCLUSIVE: विश्व के 3 अनोखे मामलों से अलग है दिल्ली में 11 मौतों का प्रकरण!
EXCLUSIVE: विश्व के 3 अनोखे मामलों से अलग है दिल्ली में 11 मौतों का प्रकरण!

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली के बुराड़ी इलाके में एक ही घर में 11 सदस्यों की मौत का मामला उलझता जा रहा है। दुनिया के तीन अद्भभुत मामलों की पड़ताल करने वाले एक विशेषज्ञ का दावा है कि यह दुर्लभ मामला लगता है। ऐसे में मामले की जांच कर रही पुलिस की उलझन भी बढ़ती जा रही है। रोज मिल रहे नए-नए रजिस्टर भी परेशानी बढ़ा रहे हैं और इसमें लिखी बातें जांच अधिकारियों के साथ मीडिया को भी हैरान कर रही हैं।

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विश्व के तीन अनोखे मामलों से मैच नहीं कर रहा बुराड़ी प्रकरण
डॉ. संदीप बोहरा (मनोचिकित्सक) की मानें तो मैंने विश्व के ऐसे ही तीन मामलों की गहन पड़ताल की थी। ये तीनों ही मामलें अजीब थे, इन तीनों मामलों में लोग अंधेरे की गिरफ्त में थे। यही वजह है कि इन तीनों मामलों के साथ बुराड़ी प्रकरण मैच नहीं कर रहा।

शेयर्ड डिल्यूजन डिसऑर्डर से जुड़ा हो सकता है पूरा मामला
दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों की फंदे से लटकने का कारण कहीं शेयर्ड डिल्यूजन डिसऑर्डर ( साझा भ्रम संबंधी विकार) तो नहीं है? क्योंकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बुराड़ी कांड की यह एक वजह हो सकती है। क्योंकि इसमें लोग आपस में मानसिक तौर पर जुड़े रहते हैं।

अपोलो अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. संदीप बोहरा के मुताबिक बगैर किसी व्यक्ति का इतिहास जाने किसी नतीजे पर पहुंचना संभव नहीं है। यह शेयर्ड डिल्यूजन डिसऑर्डर हो सकता है। अब इसमें यह जानने की जरूरत है कि कैसे एक व्यक्ति ने परिवार के सभी सदस्यों को अपने प्रभाव में ले रखा था। डॉ. बोहरा के मुताबिक विसरा रिपोर्ट से साफ हो सकेगा कि कहीं मृतकों को कोई नशीला या जहरीला पदार्थ तो नहीं खिलाया गया था?

उन्होंने कहा कि यह मानसिक बीमारी है, जो धार्मिक मान्यता और अंधविश्वास से जुड़ा है। इस तरह की कई मानसिक बीमारियां हैं जिसमें पीड़ित व्यक्ति किसी अदृश्य शक्ति के वश में होने का अहसास करता है और अपने अस्तित्व को कुछ देर के लिए भूल जाता है। इसे बीमारी समझने के बजाय परिवार के कई सदस्य उनकी बातों पर विश्वास करने लगते हैं। बुराड़ी की घटना यदि आत्महत्या है तो एक बात स्पष्ट है कि किसी ने उन्हें फांसी लगाने के लिए प्रेरित किया। चाहे परिवार का ही सदस्य ललित हो या कोई और।

विदेशों में भी कई ऐसे मामले
20वीं सदी में 18 नवंबर, 1978 को दक्षिण अमेरिका के गुयाना के जोन्सटाउन में 918 लोगों की सामूहिक आत्महत्या का मामला सामने आया था। इस पंथ की स्थापना करने वाले जिम जोंस ने भी आत्महत्या कर ली थी। मरने वालों में 276 बच्चे भी शामिल थे। वे सभी एक धार्मिक पंथ पीपल्स टेंपल ग्रुप को मानने वाले थे। इसे आधुनिक इतिहास की सामूहिक आत्महत्या की सबसे बड़ी घटना कहा जाता है। लोगों ने सायनाइड खाकर जान दी थी। वहीं, 1994 से 1997 तक ऑर्डर ऑफ द सोलर टेंपल नाम के धार्मिक पंथ के सदस्यों ने सामूहिक आत्महत्याएं की। इस घटना में करीब 74 लोगों ने अपनी जान दी थी। मरने वालों ने विदाई के पत्र भी लिखे। इन पत्रों में लिखा था कि वे लोग इस दुनिया के पाखंड और दमन से बचने के लिए अपनी जान दे रहे हैं।

कहीं साइकोसिस तो नहीं था ललित

बत्रा अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. धर्मेद्र सिंह ने कहा कि साइकोसिस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को लगता है कि उसे कोई आवाज सुनाई दे रही है और वह उस आवाज के इशारे पर कार्य करने लगता है। इसके अलावा न्यूरोसिस से जुड़ी एक बीमारी पोजेसिव सिंड्रोम होती है।

यूपी-बिहार समेत कई राज्यों में देखे जाते हैं ऐसे मामले

राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित कई राज्यों में इसके मामले देखे जाते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति सामान्य व्यवहार करता है। उसे खुद के मानसिक रूप से बीमार होने का अहसास नहीं होता। पीड़ित खुद पर किसी आत्मा का साया होने की बात कहने लगता है। ऐसे लोगों के प्रभाव में आकर लोग झाड़ फूंक शुरू कर देते हैं। इहबास के निदेशक डॉ. निमेष जी देसाई ने कहा कि सामूहिक आत्महत्या की घटनाएं दुनियाभर में होती रही हैं।

कमरे में बिस्तर के नीचे मिला एक और रजिस्टर

क्राइम ब्रांच की टीम को एक और रजिस्टर मिला है। बुधवार को यह रजिस्टर मकान की नए सिरे से तलाशी लेने के दौरान कमरे में बिस्तर के नीचे से मिली है। इसके अलावा पुलिस को कई डायरियां भी मिली हैं।1पुलिस सूत्रों के अनुसार जो रजिस्टर मिला है, उसमें वर्ष 2007 से धर्म, अध्यात्म, पूजा-पाठ, ईश्वर भक्ति, परमात्मा आदि की वही बातें लिखी हैं, जो पहले मिले तीन अन्य रजिस्टरों में लिखे थे। इस चौथे रजिस्टर की लिखावट की भी अन्य रजिस्टरों से मेल खा रहे हैं।

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक परिजनों व रिश्तेदरों से पूछताछ के बाद यह पता चला है कि ललित के जीवन पर उनके पिता भोपाल दास का गहरा प्रभाव था। भोपाल दास की वर्ष 2017 में ही मौत हो गई थी। ललित ने पिता की मौत के बाद से ही रजिस्टर लिखना शुरू कर दिया था।

परिजनों के मुताबिक ललित को उनके पिता भी बेहद प्यार करते थे। उनके दोनों भाई दिनेश व भुवनेश भी उन्हें बेहद मानते थे और उनकी बातों को कभी नजरअंदाज नहीं करते थे। हालांकि हादसे में ललित की आवाज चली गई थी। जिसके कारण वह अपनी बातों को लिखकर बताता था।

साईं बाबा का भक्त था भाटिया परिवार
भाटिया परिवार के सदस्य सबसे ज्यादा साईं बाबा की भक्ति करता था। इसकी पुष्टि पुलिस अधिकारी भी कर रहे हैं। दरअसल भाटिया परिवार ने कमरे में ही एक छोटा मंदिर बना रखा था। वहां कई भगवान की तस्वीरें लगी थीं। इन तस्वीरों के बीच साईं बाबा की तस्वीर रखी गई थी। उसपर रंगीन कपड़ा भी लगा था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि परिवार के सदस्यों के मिले कुछ मोबाइल में इंटरनेट पर कई बार साईं बाबा की जानकारी और वीडियो खोजे गए थे। जो यह दर्शाता है कि परिवार साईं भक्त था। वहीं कई बार चंद्र ग्रहण को भी सर्च किया गया था। 

बच्चों के बैग में मिली थी हवन सामग्री
भाटिया परिवार के बड़े ही नहीं छोटे बच्चे भी धार्मिक प्रवृत्ति के थे। बड़े भाई भुवनेश का छोटा बेटा ध्रुव और छोटे भाई ललित का बेटा शिवम तीमारपुर के वीरेंद्र पब्लिक स्कूल में नौवीं कक्षा में पढ़ता था। पड़ोसियों के मुताबिक इन दोनों की भी हवन इत्यादि में काफी रुचि थी। करीब छह महीने पहले स्कूल में दोनों बच्चों के बैग से अगरबत्ती और धूप इत्यादि मिले थे। हालांकि इसके पीछे की मंशा का पता नहीं चल सका है। स्कूल के मैनेजर राजेश कुमार ने बताया कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।


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