आइपीएस ने आसाराम पर लिखी किताब, अदालत ने विमोचन और बिक्री पर लगाई रोक
दुष्कर्म के मामले में सजायाफ्ता आसाराम पर लिखी गई किताब के विमोचन और बिक्री पर पटियाला हाउस की एक अदालत ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है।
नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। दुष्कर्म के मामले में सजायाफ्ता आसाराम पर लिखी गई किताब के विमोचन और बिक्री पर पटियाला हाउस की एक अदालत ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है। अदालत का यह आदेश दुष्कर्म के मामले में नामजद रही संचिता गुप्ता की अपील पर आया है। पटियाला हाउस के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर.एल मीणा ने अपने आदेश में कहा कि 30 सितंबर को इस मामले को फिर से सुना जाएगा। तब तक किताब के विमोचन और बिक्री पर रोक लगाई जाती है। किताब को जयपुर के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अजय पाल लांबा (दुष्कर्म मामले के तत्कालीन जांच अधिकारी) ने संजीव माथुर के साथ मिलकर लिखा है।
संचिता गुप्ता के अधिवक्ता विजय अग्रवाल ने अदालत को बताया कि इस किताब को सच्ची घटना बताकर लिखा गया और बेचने की तैयारी है। जबकि इसमें कई तथ्य सही नहीं है। क्योंकि याची संचिता गुप्ता की सजा को राजस्थान हाई कोर्ट ने सस्पेंड कर दिया है। ऐसे में अगर यह किताब प्रकाशित होती है तो याची की छवि खराब होगी। लिहाजा पर इस पर तुरंत रोक लगाई जाए। इस दलील के बाद अदालत ने रोक लगाते हुए कहा कि किताब के प्रकाशक हॉर्पर कॉलिंस अगले आदेश तक इसका प्रकाशन नहीं करेंगे और अमेजन, फल्पिकार्ट इस किताब की बिक्री नहीं करेंगे।
विगत को हो कि अप्रैल 2018 में राजस्थान के जोधपुर जिला की एक विशेष अदालत ने आसाराम को नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा दी थी। संचिता गुप्ता को भी सजा दी गई थी, लेकिन बाद में राजस्थान हाई कोर्ट ने सजा को सस्पेंड कर दिया। संचिता उस हॉस्टल की वार्डन थी, जहां नाबालिग पीड़िता रहती थी। संचिता पर आरोप था कि उसने ही नाबालिग को आसाराम के पास भेजा था।
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