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स्वास्थ्य कर्मचारियों के संक्रमित होने से जांच व टीकाकरण अभियान पड़ा कमजोर

पश्चिमी जिले के अंतर्गत करीब 35 से 40 फीसद स्वास्थ्य कर्मचारी होम आइसोलेशन व क्वारंटाइन में है जिसके कारण जिले में पहले जहां रोजाना दस हजार कोरोना जांच हो रही थी वह अब घटकर दो हजार पर सिमट गई है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 05:07 PM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 05:07 PM (IST)
स्वास्थ्य कर्मचारियों के संक्रमित होने से जांच व टीकाकरण अभियान पड़ा कमजोर
कोरोना संक्रमण अब स्वास्थ्य कर्मचारियों को भी तेजी से अपनी जद में लेता जा रहा है।

नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। कोरोना संक्रमण अब स्वास्थ्य कर्मचारियों को भी तेजी से अपनी जद में लेता जा रहा है। जिसका असर कोरोना जांच व टीकाकरण अभियान पर नजर आने लगा है। सूत्रों की मानें तो पश्चिमी जिले के अंतर्गत करीब 35 से 40 फीसद स्वास्थ्य कर्मचारी होम आइसोलेशन व क्वारंटाइन में है, जिसके कारण जिले में पहले जहां रोजाना दस हजार कोरोना जांच हो रही थी वह अब घटकर दो हजार पर सिमट गई है।

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जांच करवाने के लिए लोग यहां-वहां भटकते हुए नजर आ रहे है।  कोरोना संक्रमितों की पहचान कर पाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। साथ ही आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट में देरी के कारण रैपिड एंटीजन जांच पर ही जोर दिया जा रहा है। अगर टीकाकरण अभियान की बात करें तो जैसे-तैसे फिलहाल सभी केंद्रों को जारी रखने का प्रयास किया जा रहा है। पर 1 मई से 18 वर्षीय युवाओं के लिए भी सरकार टीकाकरण की सुविधा शुरू होने जा रही है। 

ऐसे में सीमित साइटों के बलबूते पर आगामी दिनों में सफलतापूर्वक टीकाकरण अभियान को जारी रखना संभव नहीं है। दक्षिण-पश्चिमी जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों की माने तो यहां भी करीब 40 फीसद स्वास्थ्य कर्मचारी या तो खुद कोरोना संक्रमण की चपेट में हैं या फिर उनके परिजनों के कोरोना की जद में होने के कारण वे क्वारंटाइन में हैं। पहले ही विभाग स्वास्थ्य कर्मचारियों की भारी किल्लत से जूझ रहा था, उस पर से अब 40 फीसद कर्मचारियों के काेरोना संक्रमित हो जाने के कारण कोरोना के खिलाफ जंग को जारी रख पाना मुश्किल हो गया है।

पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार गंभीर है स्थिति

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक पिछले वर्ष जहां लक्षण रहित कोरोना संक्रमितों की संख्या अधिक दर्ज की गई थी, वहीं इस बार प्रत्येक संक्रमित में खांसी, जुकाम, बुखार, शरीर में दर्द, गले में खराश, आक्सीजन की कमी देखी जा रही है। अधिकांश कोरोना संक्रमित के मरीज गंभीर है। विशेष बात यह है कि इस बार युवाओं में भी आक्सीजन की भारी कमी देखने को मिल रही है, जो पिछले वर्ष 50 वर्ष से अधिक लोगों में देखी गई थी। समय रहते आक्सीजन नहीं मिलने के कारण आइसीयू बेड की मांग लगातार बढ़ रही है। 

आक्सीजन की बढ़ी मांग के कारण अस्पतालों में आक्सीजन को लेकर हाहाकार की स्थिति है। अस्पताल प्रशासन मरीजों को अपने स्तर पर आक्सीजन की व्यवस्था करने पर जोर दे रहा है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है पिछले वर्ष लक्षण रहित मरीजों का होम आइसोलेशन में इलाज किया गया था, पर इस बार अस्पतालों में बेड के अभाव के कारण गंभीर मरीज भी घर में आक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर अपना इलाज जारी रख रहे है। मजबूरन स्वास्थ्य विभाग भी इसे मंजूरी दे रहा है। इस बार कोरोना संक्रमण फेफड़ों को काफी नुकसान पहुंचा रहा है, जिसके कारण मरीज में आक्सीजन की मांग अधिक देखने को मिल रही है। आलम यह है कि मरीजों में 15 से 20 लीटर आक्सीजन की मांग दर्ज की जा रही है।


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