आतंकियों के व्हाट्ऐप देख कर हैरान हैं जांच एजेंसियां, जम्मू में युवाओं को भेजते थे मैसेज
पुलिस अधिकारी ने बताया कि दोनों आतंकी यू ट्यूब व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर खासे सक्रिय थे। वे एक धर्म विशेष से जुड़े युवाओं को जम्मू कश्मीर की आजादी के लिए भड़काते थे। दोनों जैश-ए-मुहम्मद चीफ मौलाना मसूद अजहर को अपना रोल मॉडल मानते हैं।
नई दिल्ली, संतोष शर्मा। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा सराय काले खां से गिरफ्तार जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी अब्दुल लतीफ मीर व अशरफ खटाना के फोन से पुलिस को उनके पाकिस्तानी संपर्कों के नंबर प्राप्त हुए हैं। वहीं, छानबीन में पता चला कि उन्होंने -फ्रीडम ऑफ जम्मू-कश्मीर के नाम से एक वाट्सएप ग्रुप बना रखा था। उस ग्रुप से कश्मीरी युवा सहित पाकिस्तानी जुड़े हुए थे। वाट्सएप के मध्यम से ही वे महत्वपूर्ण सूचनाओं का आदान प्रदान करते थे। पुलिस सूत्रों ने बताया कि देवबंद में 15 दिनों के बुनियादी प्रशिक्षण के बाद आतंकी अन्य प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान जाते। पाकिस्तान से लौटकर आतंकियों का इरादा दिल्ली में आतंकी हमला करने का था।
देवबंद में बुनियादी प्रशिक्षण के बाद आतंकी जाते पाकिस्तान
स्पेशल सेल तीन दिन के रिमांड पर लेकर अब्दुल लतीफ मीर व अशरफ खटाना से पूछताछ कर रही है। पुलिस को लतीफ मीर के फोन में 150 नंबर मिले हैं। जिसमें 40 नंबर पाकिस्तानी संपर्कों के थे। वहीं, अशरफ के फोन में भी कई पाकिस्तानी नंबर मौजूद हैं। पुलिस पूछताछ में पता चला कि आतंकी एक हफ्ते पहले दिल्ली आए थे और पूर्वी दिल्ली इलाके में रुके थे। जिस शख्स के पास आतंकी ठहरे थे उसने आतंकियों को हथियार भी मुहैया कराया था। पुलिस दिल्ली में रहने वाले आतंकियों के सहयोगी की तलाश में दबिश दे रही है। वहीं, आतंकियों के देवबंद के संपर्कों की भी जानकारी जुटाई जा रही है।
यू ट्यूब व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर खासे सक्रिय थे आतंकी
पुलिस अधिकारी ने बताया कि दोनों आतंकी यू ट्यूब व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर खासे सक्रिय थे। वे एक धर्म विशेष से जुड़े युवाओं को जम्मू कश्मीर की आजादी के लिए भड़काते थे। दोनों जैश-ए-मुहम्मद चीफ मौलाना मसूद अजहर को अपना रोल मॉडल मानते हैं। आतंकी पाकिस्तान के शह पर कश्मीर की आजादी के लिए हर हद से गुजरने को तैयार थे। वे लोगों को भड़काने के लिए उत्तेजक भाषण भी देते थे। पुलिस अधिकारी ने बताया कि दोनों ने पहले कुपवाड़ा के रास्ते पाकिस्तान जाने की कोशिश की थी। लेकिन, सुरक्षा बलों की कड़ी निगरानी के कारण वे पाकिस्तान जाने में असफल रहे थे। इसी दौरान आतंकी आफताब के माध्यम से जैश-ए-मुहम्मद के पाकिस्तानी गुर्गों के संपर्क में आए थे। उसने ही दोनों को दिल्ली में रहने और बाद में देवबंद में प्रशिक्षण लेने की व्यवस्था की थी।
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