EXCLUSIVE: पहली बार दीवार के पार देखने की तकनीक ईजाद, भारतीय छात्र का कमाल
USA में भारतीय छात्र ने ईजाद की लेजर तकनीक। दीवार के पीछे छिपी वस्तु या व्यक्ति का आसानी से लगाया जा सकेगा पता। आतंकी वारदात में अहम साबित होगी खोज।
गाजियाबाद (आशुतोष यादव)। युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने वाले तीस वर्षीय उत्कृष्ट गुप्ता ने इसी महीने यूएसए में आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस में पीएचडी पूरी कर शहर के साथ ही प्रदेश का नाम भी रोशन किया है। वह भविष्य में 3डी प्रोजेक्टिव डिस्प्ले के लिए एल्गोरिदम डिजाइन करने पर भी काम कर रहे हैं। हाल ही में उत्कृष्ट ने यूएसए में रहते हुए नया आविष्कार किया, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बिखेर रहा है। खासतौर पर आतंकवाद से ग्रसित देशों में।
उत्कृष्ट ने बताया कि ईंट और कंक्रीट की दीवार के पीछे छिपी हुई चीजों को देखना अब कल्पना नहीं हकीकत होगी। दीवार के पीछे चलते-फिरते इंसान या किसी निर्जीव वस्तु की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई सबका पता आसानी से लग सकेगा। इसके लिए उन्होंने नई लेजर तकनीक ईजाद की है। ये तकनीक दीवार के पीछे मौजूद व्यक्ति या वस्तु का पता लगाने में अचूक है।
मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) अमेरिका के छात्र उत्कृष्ट गुप्ता गाजियाबाद के लोहिया नगर निवासी हैं। उन्होंने अपने अनुसंधान में लेजर प्रणाली के इस्तेमाल से दीवार के पीछे मौजूद किसी भी वस्तु का 3-डी इमेज से पता लगाने की तकनीक की खोज की है। उत्कृष्ट की यह खोज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोर चुकी है। इस तकनीक से भूकंप या आग लगने पर, सैनिक अभियान, बचाव अभियान और छिपे आतंकवादियों की तलाश कर उनको दबोचने में काफी मदद मिलेगी। यह टेक्नोलॉजी 10 साल बाद आम लोगों के लिए उपलब्ध हो जाएगी।
रिसर्च टीम के लीडर हैं उत्कृष्ट
रिसर्च टीम के लीडर उत्कृष्ट गुप्ता ने फोटॉन के इरेक्टिक बिहेवियर के अध्ययन के दौरान पाया कि फोटॉन किसी भी चीज से टकराकर इधर-उधर छिटकते रहते हैं। उनकी गति और दिशा को एडवांस ऑप्टिक्स के साथ संयोजित कर दीवार के पीछे छिपी वस्तु की 3-डी इमेज बनाई जा सकती है। इससे यह पता लग जाएगा कि आखिर दीवार के पीछे है क्या।
राष्ट्रपति पदक भी मिला है
उत्कृष्ट के पिता वरिष्ठ फिजिशियन डा. एके गुप्ता ने बताया कि उत्कृष्ट बचपन से ही काफी मेधावी रहा है। आईआईटी टॉप करने के बाद उसे राष्ट्रपति पदक से भी सम्मानित किया जा चुका है। इससे पहले यूपीटेक एंट्रेंस में भी उत्कृष्ट टॉपर रहा था।
गूगल व लिंक्डइन में भी काम कर चुके हैं उत्कृष्ट
गूगल में सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहते हुए मई 2013 से अगस्त 2014 तक एक साल काम किया। इस दौरान उन्होंने आवाज प्रतिक्रियाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए काम किया। उन्होंने व्हाट्स ऑन क्रोमकास्ट जैसी क्रियाओं को विकसित किया। इसके पहले उन्होंने जून 2012 से मई 2013 तक लिंक्डइन में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर काम किया। अल्ट्राफास्ट खोज कर आर्किटेक्ट के काम को आसान बनाया। डेटाबेस की जांच करने, अलर्ट भेजने और सर्वर संदेशों को डीबग करने के लिए स्क्रिप्ट की एक लाइब्रेरी विकसित की।
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