Move to Jagran APP

रेलवे के 400 स्‍टेशनों पर होने जा रहा यह बड़ा बदलाव, आपको भी होगा अच्‍छा अहसास; पढ़ें खबर

रेल प्रशासन ने देशभर के चार सौ स्टेशनों का चयन किया है जहां मिट्टी से बने बर्तनों का प्रयोग किया जाना है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 08:19 PM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 07:09 AM (IST)
रेलवे के 400 स्‍टेशनों पर होने जा रहा यह बड़ा बदलाव, आपको भी होगा अच्‍छा अहसास; पढ़ें खबर
रेलवे के 400 स्‍टेशनों पर होने जा रहा यह बड़ा बदलाव, आपको भी होगा अच्‍छा अहसास; पढ़ें खबर

नई दिल्ली (जागरण स्‍पेशल)। नई दिल्ली सहित राजधानी के अन्य बड़े स्टेशनों पर अब यात्रियों को पर्यावरण अनुकूल बर्तनों में खाने-पीने का सामान मिलेगा। उन्हें प्लास्टिक के कप-प्लेट की जगह कुल्हड़ व मिट्टी के बर्तनों में चाय, लस्सी और अन्य खाने-पीने का सामान परोसा जाएगा।

loksabha election banner

देश के चार सौ स्‍टेशनों पर मिलेगी यह सुविधा

रेल प्रशासन ने देशभर के चार सौ स्टेशनों का चयन किया है जहां मिट्टी से बने बर्तनों का प्रयोग किया जाना है। इसमें उत्तर रेलवे के 25 स्टेशन शामिल हैं। खादी और ग्राम उद्योग आयोग (केवीआइसी) के सहयोग से इसे लागू किया जा रहा है।

प्‍लास्‍टिक रोकने में मिलेगी मदद

इससे प्लास्टिक के प्रयोग को रोकने में मदद मिलेगी। वाराणसी और रायबरेली रेलवे स्टेशनों पर जनवरी से ही मिट्टी से बने बर्तनों का प्रयोग किया जा रहा है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इन दोनों स्टेशनों पर प्लास्टिक कचरा से निपटने में मदद मिली है। इसे देखते हुए अब ऐसी व्यवस्था चार सौ रेलवे स्टेशनों पर लागू होगी, जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ ही प्लास्टिक के उपयोग पर अंकुश लगेगा।

दो अक्‍टूबर से सिंगल यूज प्‍लास्‍टिक पर पूरी तरह पाबंदी 

रेल प्रशासन दो अक्टूबर से एक बार प्रयोग में आने वाले प्लास्टिक पर पूरी तरह पाबंदी लगाने की घोषणा भी कर चुका है। इसे लेकर उत्तर रेलवे के चीफ कॉमर्शियल मैनेजर (कैटरिंग) ने पांचों रेल मंडलों को पत्र जारी कर दिया है। रेलवे अधिकारियों को अपने क्षेत्र में स्थित केवीआइसी के अधिकारियों से संपर्क में रहने की सलाह दी गई है, ताकि स्टेशनों पर कुल्हड़ व अन्य सामान की आपूर्ति में दिक्कत नहीं हो।

इलेक्‍ट्रिक चाक से मिलेगी मदद

केवीआइसी कुम्हारों को इलेक्ट्रिक चाक वितरित कर रहा है, ताकि उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ सके। सभी मंडलों से इस योजना को लागू करने के बाद तीन अक्टूबर तक रिपोर्ट देने को भी कहा गया है, ताकि व्यावहारिक कठिनाइयों को दूर किया जा सके। इसे लेकर अखिल भारतीय रेलवे खानपान लाइसेंसी वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रविंद्र गुप्ता का कहना है कि पर्यावरण को ध्यान में रखकर दिल्ली के स्टेशनों पर वेंडर पिछले कई माह से पॉलीथिन का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। हालांकि, प्लास्टिक के बोतल में पानी आपूर्ति का विकल्प भी तलाशने की जरूरत है। इसकी जगह टेट्रा पैक का इस्तेमाल किया जा सकता है।

दिल्‍ली-एनसीआर की खबरों को पढ़ने के लिए यहां करें क्‍लिक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.