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इराकी लड़की के शरीर में थे 25 घाव, भारतीय डॉक्टरों ने बिना सर्जरी किया इलाज

इराक की 10 वर्षीय लड़की की भोजन नली व पेट में इतने घाव थे कि उसे रक्तस्नाव के कारण हर चार दिन में खून चढ़ाना पड़ता था।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 04 Jan 2020 11:05 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 11:05 AM (IST)
इराकी लड़की के शरीर में थे 25 घाव, भारतीय डॉक्टरों ने बिना सर्जरी किया इलाज
इराकी लड़की के शरीर में थे 25 घाव, भारतीय डॉक्टरों ने बिना सर्जरी किया इलाज

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। इराक की 10 वर्षीय लड़की की भोजन नली व पेट में इतने घाव थे कि उसे रक्तस्नाव के कारण हर चार दिन में खून चढ़ाना पड़ता था। उसकी जिंदगी खतरे में थी। दिल्ली के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने सर्जरी के बिना एंडोस्कोपी के जरिये उसका इलाज किया, जिसके बाद वह काफी हद तक ठीक है और वह इराक वापस लौट चुकी है।

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मणिपाल अस्पताल के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोलॉजी विभाग की विशेषज्ञ डॉ. सुफ्ला सक्सेना ने कहा कि पीड़ित लड़की ब्लू रबर ब्लेब नेवस सिंड्रोम नामक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है। इससे शरीर में जगह-जगह सूजन हो जाती है और अल्सर जैसा घाव निकल आता है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज को शरीर के किसी भी हिस्से में इस तरह का जख्म बन सकता है। इस लड़की को भोजन की नली के अलावा बड़ी आंत, छोटी आंत व लिवर में करीब 25 घाव थे। जिससे रक्तस्नाव होने से उसे खून की बहुत कमी हो गई थी। इस वजह से हर चौथे दिन खून चढ़ाना पड़ता था। फिर भी उसकी हालत गंभीर होती जा रही थी। जिस वक्त उसे अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था तब वह शॉक में चली गई थी। पेट में इतने घाव थे कि उसकी सर्जरी भी संभव नहीं थी। इस वजह से पहले उसकी हालत स्थिर की गई। इसके बाद तीन चरणों में एंडोस्कोपी, कोलोनोस्कोपी व इंटेरोस्कोपी की मदद से एपीसी (अर्गोन प्लाज्मा कोगुलेशन) प्रक्रिया से इलाज किया गया। उस प्रक्रिया के कुछ घंटे बाद ही उसे खाना दिया जाने लगा था।

उन्होंने कहा कि दुनिया में इस बीमारी के करीब 200 मामले ही आए हैं। कई मरीजों को मस्तिष्क में भी इस तरह का घाव हो सकता है। यह बीमारी जानलेवा हो सकती है। इस लड़की की जीभ व त्वचा पर भी जगह-जगह खून जमने जैसे जख्म हैं। इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं। इसका एक कारण जेनेटिक है। ऐसे मामले बहुत दुर्लभ है। डॉक्टर कहते हैं कि इसका स्थायी इलाज नहीं है। क्योंकि इलाज के बाद शरीर के दूसरे हिस्सों में रक्तस्नाव होने की आशंका बनी रहती है।

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