2020 तक इस सेक्टर में पैदा होंगे 26 लाख रोजगार, भारत बनेगा ग्लोबल लीडर
अगले दो वर्षों में यानी 2020 तक भारत विश्व में दवाओं का तीसरा बड़ा बाजार होगा। आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा समय में फार्मा सेक्टर करीब 20 फीसद की दर से बढ़ रहा है।
नोएडा, जेएनएन। अगले दशक में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर करीब 200 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर सस्ती दवाइयां मुहैया कराने का प्रयास चल रहा है। फार्मा विजन 2020 के अनुसार भारत को दवाइयों के निर्माण में ग्लोबल लीडर के रूप में उभरने का मौका मिलेगा। फार्मा विजन को लागू करने व अनुसंधान व विकास के संबंध में अभी जागरूकता की जरूरत है। मौजूदा समय में फार्मा सेक्टर करीब 20 फीसद की दर से बढ़ रहा है। 2020 तक भारत विश्व में दवाओं का तीसरा बड़ा बाजार होगा। इससे करीब 26 लाख लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। ये बातें यूबीएम इंडिया के प्रबंध निदेशक योगेश मुद्रास ने बुधवार को ग्रेटर नोएडा एक्सपो मार्ट में तीन दिवसीय इंडिया फार्मा वीक के तीसरे संस्करण के शुभारंभ के दौरान कहीं।
उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया के सबसे बड़े फार्मा वीक 2017-18 में कुल 46 समझौते हुए हैं, इससे देश में नई-नई दवाइयों के निर्माण में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि जीएसटी से देश के फार्मेसी उद्योग में विदेशी निवेश की बढ़ोतरी होगी। इसका फायदा दवाई निर्माताओं को मिलना शुरू हो गया है।
उन्होंने बताया कि फार्मा वीक में देश के करीब 1600 से अधिक फार्मा कंपनियां हिस्सा ले रही हैं। तीन दिवसीय फार्मा वीक के दौरान यहां बी-टू-बी मीटिंग के साथ फ्लैगशिप एक्सपो सीपीएचएल व पी.एमईसी के 12वें संस्करण का भी आयोजन हो रहा है।
इसमें सीपीएचआइ व पी.एमईसी इंडिया एक मंच पर साझा प्रयास कर रही है। इसमें फार्मा उद्योग की तकनीकी चुनौतियों व इसके समाधान पर विचार विमर्श किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस दौरान आनलाइन दवाई की बिक्री, चुनौती व इसके निदान पर भी विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।