नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। भारत ने वर्ष 2025 तक 76 गीगावाट यूटिलिटी स्केल सौर और पवन बिजली उत्पादन क्षमता विकसित करने की योजना बनाई है। इससे भारत 19.5 बिलियन डॉलर (1588 बिलियन रुपये) बचा सकता है। ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर के ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई है।
ग्लोबल सोलर पावर ट्रैकर और ग्लोबल विंड पावर ट्रैकर के आंकड़ों के हिसाब से भारत को संभावित अक्षय ऊर्जा क्षमता के मामले में शीर्ष 7 देशों में रखा गया है। अगर यह उम्मीद है साकार हुई तो भारत हर साल लगभग 78 मिलियन टन कोयले के इस्तेमाल को टाल सकता है।
वर्ष 2030 तक 420 गीगावॉट सौर एवं पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता
भारत की सालाना बचत और भी ज्यादा हो सकती है, बशर्ते कोयले को हटाकर स्वच्छ ऊर्जा को अपनाया जाना देश की आकांक्षाओं से मेल खाता हो। भारत में वर्ष 2030 तक 420 गीगावॉट सौर एवं पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता जोड़ने का लक्ष्य तय किया है। इससे कोयले से बनी बिजली का उत्पादन टालने से 58 बिलियन डॉलर से ज्यादा की बचत होगी और वर्ष 2030 तक कुल बचत 368 बिलियन डॉलर हो जाएगी।
अगर भारत अपने सभी पूर्व निर्धारित सौर एवं पवन ऊर्जा परियोजनाओं को पटरी पर लाता है तो मोटे तौर पर इसकी लागत 51 बिलियन डॉलर होगी। मगर ऐसा करने से होने वाली 19.5 बिलियन डॉलर की सालाना बचत से भारत इस लागत को महज ढाई साल में वसूल कर सकता है।
वैश्विक स्तर पर पांच फीसद की हिस्सेदारी
भारत वैश्विक स्तर पर संभावित संपूर्ण यूटिलिटी स्केल सोलर पावर में 5% की हिस्सेदारी रखता है। इस मामले में वह चीन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से ही पीछे है। इसके अलावा पवन ऊर्जा की संभावित क्षमता के मामले में वह दुनिया में 17वीं पायदान पर है।
ग्लोबल विंड पावर ट्रैकर के परियोजना प्रबंधक श्रद्धेय प्रसाद ने कहा “धन बचाएं, प्रदूषण में कमी लाएं, भारत का कोयला छोड़कर साफ ऊर्जा को अपनाना जीत का एहसास दिलाता है। यह वर्ष 2070 तक भारत को नेट जीरो उत्सर्जन वाला देश बनाने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक संभावना पूर्ण कदम है। कोयले को तिलांजलि देकर भारत अधिक धनी और ज्यादा साफ सुथरा बनेगा।”
“सौर तथा वायु ऊर्जा की लागतों में लगातार गिरावट आ रही है और जीवाश्म ईंधन की कीमतों पर गौर करें तो अक्षय ऊर्जा नए बिजली ढांचे के निर्माण के लिए एक बेहतर विकल्प पेश करती है।”
दुनिया की सर्वाधिक संभावना पूर्ण अक्षय ऊर्जा वाले शीर्ष 10 देश इस प्रकार हैं-
- चीन (387,258 मेगा वाट)
- ऑस्ट्रेलिया (220,957 मेगा वाट)
- ब्राजील (217,185 मेगा वाट)
- अमेरिका (204,585 मेगा वाट)
- वियतनाम (93,585 मेगा वाट)
- मिस्र (81,616 मेगा वाट)
- भारत (76,373 मेगा वाट)
- दक्षिण कोरिया (76,153 मेगा वाट)
- ताइवान (67,296 मेगा वाट)
- जापान (55,147 मेगा वाट)
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