दिल्ली के सबसे महंगे और बडे़ रियल इस्टेट का मालिक DDA कर्ज में डूबा, बदहाली की वजह भी आई सामने
वर्ष 2014 से दिल्ली विकास प्राधिकरण का पैसा आवासीय योजनाओं में फंसता चला। वहीं जनता ने फ्लैटों को भी नकार दिया। जानकारों के अनुसार गलत प्लानिंग और जरूरत नहीं समझने की वजह से कंगाल डीडीए लगातार घाटे में रहा और अब कंगाली की स्थिति में हैं।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। जानकर हैरानी भले ही हो, लेकिन सच कमोबेश ऐसा ही है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के लगभग 15,500 फ्लैट बिक ही नहीं पा रहे हैं। इनकी कीमत भी करीब 18,000 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
आलम यह है कि गलत प्लानिंग व जनता की जरूरत को न समझने की वजह से ही डीडीए इस समय बड़ी आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। डीडीए के सेवानिवृत्त कर्मियों को समय पर पेंशन भी नहीं मिल पा रही है।
डीडीए 3209.14 करोड़ के घाटे में
पिछले दिनों एलजी और डीडीए अध्यक्ष वीके सक्सेना ने भी डीडीए की आर्थिक स्थिति को लेकर एक ट्वीट किया था। इस ट्वीट में उन्होंने बताया था कि 2019-20 से 2021-22 के दौरान डीडीए की आमदनी 3,578.69 करोड़ की है। वहीं कुल खर्चा 6,787.83 करोड़ का है। यानी डीडीए 3209.14 करोड़ के घाटे में हैं।
डीडीए पर तकरीबन 9000 करोड़ रुपये की देनदारी
ट्वीट में लिखा गया कि डीडीए राजधानी दिल्ली के सबसे महंगे और बडे़ रियल इस्टेट का मालिक है, लेकिन कुप्रबंधन की वजह से ही उसके आर्थिक हालात खराब हो गए हैं। बता दें कि 2016-17 से 2021-22 के दौरान डीडीए पर 8915 करोड़ की लोन देनदारी भी है।
साइज की वजह से नहीं भाए लोगों को डीडीए फ्लैट
एलजी ने इस पर उन्होंने लोगों से सुझाव भी मांगे थे। अधिकारियों के मुताबिक डीडीए के हालात खराब होना 2016-17 में शुरू हुए। वजह, 2014 से डीडीए के फ्लैटों की मांग गिरती चली गई। 2014 में डीडीए की आवासीय योजना में जो फ्लैट शामिल किए गए, वो अपने छोटे साइज की वजह से लोगों को पसंद नहीं आए।
अपने फ्लैटों को बेचने में फेल रहा डीडीए
इसके अलावा डीडीए के फ्लैटों की खराब डिजाइनिंग, प्राइवेट बिल्डरों की तुलना में अधिक कीमत और फ्लैटों का आउटर क्षेत्र में ऐसी जगह स्थित होना रहा जहां आसपास कनेक्टिविटी सहित दूसरी अनिवार्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहा। अधिकारियों की मानें तो इन फ्लैटों को बेचने के लिए डीडीए ने कई कदम उठाए।
लेटेस्ट स्कीम को भी नहीं मिल रहे खरीदार
फ्लैटों के आसपास ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाए गए, तीसरी रिंग रोड यानी यूईआर-2 को इन नए सेक्टरों से जोड़ा गया, दो फ्लैट को जोड़ने की स्कीम लाई गई, पहले आओ पहले पाओ को भी आजमाया गया। लेकिन कोई खास लाभ नहीं हुआ। 2014 के बाद से अब तक डीडीए अपनी आवासीय योजनाओं में करीब 57 हजार फ्लैट में ला चुका है। इनमें से करीब 15500 फ्लैट लोगों ने या तो वापस कर दिए या बिक ही नहीं पाए।
फ्लैट न बिकने के कुछ प्रमुख कारण
फ्लैटों का साइज छोटा होना-फ्लैटों के आसपास ट्रांसपोर्ट, एटीएम व बाजारों व सुरक्षा की कमी-डीडीए के फ्लैटों का प्राइवेट बिल्डरों के बनाए फ्लैटों से महंगा होना-डीडीए के द्वारका में आए एमआइजी श्रेणी के फ्लैटों का ड्रेन के पास होना।