महापंचायत में निहंग बोले न किसान मोर्चा के बुलावे पर आए न ही उनके कहने पर वापस जाएंगे, जानिए और क्या?
Kisan Andolan निहंग न उसके बुलावे पर आए थे और न ही उसके कहने से वापस जाएंगे। बार्डर पर जमे रहेंगे और मांग पूरी होने तक नहीं हटेंगे। साथ ही निहंगों ने ये भी कहा कि यदि धर्म की बेअदबी हुई तो फिर लखबीर जैसा दूसरा फैसला होगा।
नई दिल्ली/सोनीपत, जागरण संवाददाता। केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन को 11 माह पूरे हो चुके हैं। इस बीच कुंडली बार्डर पर लखबीर सिंह की जघन्य हत्या जैसा मामला सामने आया था। उसके बाद आंदोलन स्थल से निहंगों के वापस जाने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। संयुक्त किसान मोर्चा के सामने भी अजीब तरह के हालात पैदा हो गए थे। निहंग इस धरना स्थल पर रहेंगे या यहां से चले जाएंगे इसको लेकर बुधवार को निहंगों की महापंचायत बुलाई गई थी। महापंचायत में तमाम बिंदुओं पर चर्चा हुई। कुंडली बार्डर पर हुई उस घटना के बाद पूरे देश में आंदोलन की आलोचना हुई थी।
इसी महापंचायत में ये तय किया गया कि किसान मोर्चा प्रदर्शन का मालिक नहीं है। निहंग न उसके बुलावे पर आए थे और न ही उसके कहने से वापस जाएंगे। बार्डर पर जमे रहेंगे और मांग पूरी होने तक नहीं हटेंगे। साथ ही निहंगों ने ये भी कहा कि यदि धर्म की बेअदबी हुई तो फिर लखबीर जैसा दूसरा फैसला होगा। इसी महापंचायत में तय किया गया कि निहंग इस महापंचायत के बारे में बृहस्पतिवार की शाम को पांच बजे पत्रकारों को विस्तार से जानकारी देंगे।
दरअसल किसान मोर्चा के पदाधिकारी लखबीर हत्याकांड के बाद से खुद को अलग रखकर अलग छवि बचाने का प्रयास कर रहे थे, वहीं निहंगों का मानना है कि मोर्चा नेताओं के साथ छोड़ देने से पुलिस कार्रवाई हुई है। धर्म ग्रंथ के अपमान का बदला लेने के बाद से मोर्चा ने निहंगों को अलग-थलग कर दिया है। इसी के चलते निहंगों ने आज 27 अक्टूबर को महापंचायत का ऐलान किया था। इस महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा के बयानों के बाद के हालात पर फैसला लिया जाना था।
निहंग बाबा राजाराम सिंह ने कहा था कि अब निहंग प्रदर्शन में रहेंगे या वापस जाएंगे, इसका निर्णय महापंचायत में होगा। इस महापंचायत में जनमत संग्रह के आधार पर फैसला लिया जाना था कि निहंगों को कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन से वापस जाना चाहिए या नहीं। पंचायत में निहंगों ने तय किया कि फिलहाल वो यहां से नहीं जा रहे हैं। न ही वो किसान मोर्चा के बुलावे पर आए थे न ही उनके कहने पर यहां से जाने वाले हैं।