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विश्व पुस्तक मेला: ई बुक्स का कारोबार 4 फीसद गिरा, किताबों की बिक्री बढ़ी

आज बदलते दौर में युवाओं के बीच भले ही ई बुक्स लोकप्रिय हो रही हों लेकिन छपी हुई किताबों से दोस्ती उनमें भी कम नहीं हो रही है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 23 Apr 2018 12:03 PM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 12:03 PM (IST)
विश्व पुस्तक मेला: ई बुक्स का कारोबार 4 फीसद गिरा, किताबों की बिक्री बढ़ी
विश्व पुस्तक मेला: ई बुक्स का कारोबार 4 फीसद गिरा, किताबों की बिक्री बढ़ी

नई दिल्ली [ अभिनव उपाध्याय ] । मोबाइल पर घूमती और फिसलती अंगुलियां भले ही ई बुक्स पढ़ते थक जाती हों लेकिन किताबों के साथ उनका एक अपनापा है और यही कारण है कि आज बदलते दौर में युवाओं के बीच भले ही ई बुक्स लोकप्रिय हो रही हों लेकिन छपी हुई किताबों से दोस्ती उनमें भी कम नहीं हो रही है। यही कारण है कि बड़े स्तर पर प्रकाशक किताबों को बच्चों से जोडऩे की मुहिम शुरू कर रहे हैं।

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राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा बताते हैं भले ही ई बुक्स का चलन हो लेकिन हमारे यहां पिछले तीन सालों में ऑनलाइन मुद्रित किताबों को मंगाने का चलन बढ़ा है। लेकिन विगत वित्तीय वर्ष में जहां हमने मात्र 9 लाख किताबों की बिक्री की वहीं इस वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा 13 लाख का है। विश्व पुस्तक मेला में हमारे यहां ग्राहकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

मैंने हाल ही एक अमेरिकी रिपोर्ट में पढ़ा कि ई बुक्स का कारोबार 4 फीसद गिरा है। अमेरिका में भी हर तीसरा आदमी किताब पढ़ता है। छपी हुई पुस्तक की अपनी अहमियत है।

साहित्य अकादमी के सचिव डा.के श्रीनिवास का कहना है कि हमने विगत वर्ष 22 भाषाओं में 575 किताबें छापी हैं यानि औसतन हर 15 घंटे पर एक किताब छापी है। किताबों की मांग हैं तभी किताबें छापी जा रही हैं। इसमें कुछ किताबों का पुनर्मुद्रण भी हुआ है।

हर साल पुस्तक मेला में बिक्री का परिणाम बहुत अच्छा रहा है। कई एजेंसियां सर्वे करा रही हैं और उन्होंने पाया है कि लोग फिर किताबों की तरफ लौट रहे हैं। इसका एक प्रमुख कारण किताबों के साथ उनका भावनात्मक लगाव भी है। किताबों के स्पर्श का एक अलग सुख है। उसे हाथ में लेकर पढऩे का अलग अनुभव है।

डीयू के जाकिर हुसैन कॉलेज में हिंदी के प्राध्यापक और वेबसाइट संचालक तथा साहित्यकार प्रभात रंजन का कहना है कि अमेरिकी कंपनी अमेजन ने सबसे पहले बुक रीडर का लाई और पाठक उसकी तरफ झुके लेकिन अब वह दूर हो रहे हैं। प्रिंट पुस्तकों की बिक्री बढ़ रही है।

उदाहरण के तौर पर बताना चाहूंगा कि दैनिक जागरण की बेस्ट सेलर सूची में सुरेंद्र मोहन पाठक की पुस्तक है। तीन सौ रुपए की पुस्तक की 25 हजार कापियां बिक चुकी हैं और अब दूसरा संस्करण छपने जा रहा है। यह किताबों के प्रति लोगों की दिलचस्पी के कारण ही है। ऑनलाइन पर खबरें अधिक पढ़ी जा रही हैं। उसके माध्यम से किताबें ढूंढी जा रही हैं लेकिन अब लोग ऑफ लाइन किताबें खरीद रहे हैं और उसको पढ़ रहे हैं।


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