संकट में केजरीवाल, AAP के 20 विधायकों पर फैसला इसी माह
चुनाव आयोग से डरे आप के विधायक इस सुनवाई से पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट जा रहे है। जिसमें वह पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को आधार बनाकर दिल्ली हाईकोर्ट के सामने अपनी बात रखेंगे।
नई दिल्ली [ जेएनएन ]। लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों के मामले में इसी माह फैसला आ सकता है। बताया जा रहा है कि इस मामले की चुनाव आयोग में अंतिम बहस 14 अक्टूबर को होने की संभावना है।
चुनाव आयोग ने इस तारीख तक आप के सभी विधायकों से उनकी आपत्तियां मांगी हैं। सूत्रों का कहना है कि चुनाव आयोग से डरे आप के विधायक इस सुनवाई से पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट जा रहे है। जिसमें वह पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को आधार बनाकर दिल्ली हाईकोर्ट के सामने अपनी बात रखेंगे।
जिसमें कोर्ट को बताया जाएगा कि जब वहां की हाईकोर्ट के आदेश पर हरियाणा में बनाए गए संसदीय सचिव का पद ले लिया गया है। मगर वे लोग विधायक हैं तो इसी आधार पर उन्हें भी विधायक रहने की छूट दी जाए। बहरहाल अब देखना यह है कि आप के 20 के विधायकों की विधानसभा सदस्यता छिन जाती है या बची रहती है। चुनाव आयोग इस मामले पर सख्त दिख रहा है।
बता दें कि आप विधायकों ने याचिका दी थी कि जब दिल्ली हाई कोर्ट में संसदीय सचिव की नियुक्ति ही रद हो गई है तो ऐसे में ये केस चुनाव आयोग में चलने का कोई मतलब नहीं बनता। 8 सितंबर 2016 को दिल्ली हाइकोर्ट ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद कर दी थी। इस मामले में चुनाव आयोग लगभग सवा माह पहले ही सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर चुका है।
चुनाव आयोग में अब अंतिम सुनवाई होनी है
आप विधायकों के पास संसदीय सचिव का पद 13 मार्च 2015 से 8 सितंबर 2016 तक था। इसलिए 20 आप विधायकों पर केस चलेगा केवल राजौरी गार्डन के विधायक जरनैल सिंह को छोड़कर क्योंकि वह जनवरी 2017 में विधायक पद से इस्तीफा दे चुके हैं। अब चुनाव आयोग में अंतिम सुनवाई शुरू होगी। आप विधायकों को अब साबित करना होगा कि वे संसदीय सचिव के तौर पर लाभ के पद पर नहीं थे।
क्या है मामला
आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसके बाद 19 जून को एडवोकेट प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद करने के लिए आवेदन किया।
राष्ट्रपति ने शिकायत चुनाव आयोग भेज दी थी। इससे पहले मई 2015 में आयोग के पास एक जनहित याचिका भी डाली गई थी। आम आदमी पार्टी के संयोजक व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के बाद उन्हें कोई लाभ नहीं दिया गया है।
इसी के साथ संसदीय सचिवों को प्रोटेक्शन देने के लिए दिल्ली सरकार ने दिल्ली विधानसभा से एक विधेयक पास कर राष्ट्रपति के पास भेजा था। मगर राष्ट्रपति ने सरकार के इस विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। इस विधेयक में संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान था। जिसके बाद मामले को रद करने के लिए इन 21 विधायकों ने चुनाव आयोग में याचिका लगाई थी।