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अप्रैल से सही मायने में वाहन प्रदूषण पर लगेगा अंकुश, होने जा रहा ये बदलाव

वाहनों से हो रहे प्रदूषित पर अंकुश लगाने के लिए ही सुप्रीम कोर्ट ने वाहन बीमा के लिए पीयूसी को अनिवार्य करने को कहा था। इसी कड़ी में पीयूसी के ब्यौरे को ऑनलाइन करने का निर्णय लिया गया है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 22 Nov 2018 08:26 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 08:26 PM (IST)
अप्रैल से सही मायने में वाहन प्रदूषण पर लगेगा अंकुश, होने जा रहा ये बदलाव
अप्रैल से सही मायने में वाहन प्रदूषण पर लगेगा अंकुश, होने जा रहा ये बदलाव

नई दिल्ली, जेएनएन। अगले साल अप्रैल से वाहनों का प्रदूषण प्रमाणपत्र समय पर बनवाना और रीन्यू करवाना जरूरी होगा। सरकार ने बीमा कंपनियों की दिक्कत और बढ़ते वाहन प्रदूषण को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र के ब्यौरे को ऑनलाइन करने का निर्णय लिया है। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाणपत्र के ब्यौरे को सड़क मंत्रालय के 'वाहन' और 'सारथी' पोर्टलों साथ एकीकृत किया जा रहा है। अगले वर्ष 31 मार्च तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

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लिहाजा 1 अप्रैल बिना पीयूसी सर्टिफिकेट के आप अपनी गाड़ी का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस भी नहीं करा पाएंगे। लेकिन, यदि आपने पीयूसी सर्टिफिकेट ले रखा है तो आपको आरसी और डीएल की तरह पीयूसी का कागजी दस्तावेज लेकर चलने की भी आवश्यकता नहीं होगी।

कोई आपसे इन कागजात की मांग करे भी तो आप उससे मोबाइल के जरिए 'वाहन' और 'सारथी' पोर्टल पर जाकर ब्यौरा चेक करने को कह सकते हैं। अथवा स्वयं अपने मोबाइल पर उसे दिखा सकते हैं। सड़क मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार आइटी एक्ट के तहत सभी डिजिटल दस्तावेज और सर्टिफिकेट उसी प्रकार मान्य और वैध हैं जिस प्रकार कागजी सर्टिफिकेट। इसलिए कोई पुलिस वाला या आरटीओ कागजी दस्तावेज के लिए बाध्य नहीं कर सकता।

अभी दिल्ली आदि महानगरों में तो ट्रैफिक पुलिस पीयूसी सर्टिफिकेट की जांच करती है। वहीं छोटे नगरों और कस्बों में कोई इसकी परवाह नहीं करता, परंतु अप्रैल से कम से कम गाड़ी का बीमा कराने के लिए इलेक्‍ट्रिक वाहनों को छोड़ पेट्रोल, डीजल और सीएनजी चालित सभी वाहनों के लिए इसकी जरूरत पड़ेगी।

वैसे तो मोटर वाहन नियम 1989 के अनुसार इलेक्टि्रक वाहनों को छोड़ बाकी सभी प्रकार के (पेट्रोल, डीजल, सीएनजी, एलपीजी आदि से चलने वाले) वाहनों के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट अनिवार्य है। नए वाहन के साथ एक वर्ष तक वैध पीयूसी मिलता है।

उसके बाद हर छह महीने में नया सर्टिफिकेट लेना आवश्यक है, लेकिन व्यवहार में इस कानून का पूरी तरह पालन नहीं होता। फलत: ज्यादातर वाहन चालक हानिकारक उत्सर्जन के साथ अपने वाहनों को सड़कों पर दौड़ाते और वायुमंडल को प्रदूषित करते रहते हैं। इसी प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए ही सुप्रीम कोर्ट ने वाहन बीमा के लिए पीयूसी को अनिवार्य करने को कहा था।

सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर सड़क मंत्रालय ने मई में बीमा नियामक इरडा से और इरडा ने बीमा कंपनियों से वाहनों के थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट को अनिवार्य करने को कहा था, लेकिन बीमा कंपनियों ने इसमें तकनीकी और व्यावहारिक अड़चने बताई थीं।

इनमें एक अड़चन पीयूसी डेटा आनलाइन न होने की थी, लेकिन सड़क मंत्रालय ने अधिसूचना देकर इसे अनिवार्य कर दिया है। इसके बाद ज्यादातर राज्यों ने अपने ट्रांसपोर्ट सिस्टम और प्रक्रियाओं को दुरुस्त और ऑनलाइन कर सेंट्रल पोर्टल के साथ जोड़ने की प्रक्रिया तेज कर दी है। पूर्वोत्तर के कुछ राज्य बचे हैं। वे भी मार्च अंत तक सेंट्रल सिस्टम से जुड़ जाएंगे।


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