इंसेफेलाइटिस पर अध्ययन के लिए डॉक्टरों को बिहार भेजेगा आइएमए
एसोसिएशन के महासचिव डॉ. आरवी अशोकन ने कहा कि एमसीपीजी के दुष्प्रभाव से ब्लड में शुगर की मात्रा अचानक कम हो सकती है। इससे उल्टी होने के साथ-साथ मस्तिष्क पर असर पड़ सकता है।
नई दिल्ली (राज्य ब्यूरो)। बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस से हो रही बच्चों की मौत पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने चिंता जाहिर की है और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम बिहार भेजने का फैसला किया है। यह टीम इस बीमारी के फैलने के कारणों का अध्ययन करेगी। साथ ही उसके निदान के लिए बिहार सरकार व केंद्र सरकार से सिफारिश करेगी।
आइएमए के मुताबिक अधपके लीची का सेवन नहीं करना चाहिए। वर्ष 2017 में इस मामले पर एक अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में शोध पत्र प्रकाशित हुआ था। इसमें बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस का कारण लीची में मौजूद एथिलीन साइक्लोप्रोपाइल ग्लाइसिन (एमसीपीजी) को बताया गया था।
एसोसिएशन के महासचिव डॉ. आरवी अशोकन ने कहा कि एमसीपीजी के दुष्प्रभाव से ब्लड में शुगर की मात्रा अचानक कम हो सकती है। इससे उल्टी होने के साथ-साथ मस्तिष्क पर असर पड़ सकता है। इस कारण बेहोशी व कोमा में जाने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा एमसीपीजी व हाइपोग्लाइसिन की मौजूदगी से तेज बुखार व मिर्गी के दौरे भी पड़ सकते हैं। कुछ ऐसे ही लक्षण वहां बीमारी से पीड़ित बच्चों में देखे जा रहे हैं।
घरेलू नुस्खे न करें इस्तेमाल
आइएमए ने कहा कि दूर दराज के इलाकों में बच्चों के बीमार पड़ने पर लोग शुरुआत में काफी समय घरेलू नुस्खे का प्रयोग करने में खराब कर देते हैं। बच्चों में इंसेफेलाइटिस के लक्षण दिखने या फिर बीमार पड़ने पर उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए।
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