NMC Bill 2019: दिल्ली में हजारों मरीजों को बड़ी राहत, डॉक्टरों की कल होने वाली हड़ताल स्थगित
NMC Bill 2019 के विरोध में बृहस्पतिवार को होने वाली डॉक्टरों की हड़ताल स्थगित हो गई है।
नई दिल्ली, जेएनएन। NMC Bill 2019 के विरोध में बृहस्पतिवार को होने वाली डॉक्टरों की हड़ताल स्थगित हो गई है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने घोषणा की है कि बृहस्पतिवार को होने वाली हड़ताल अगले आदेश तक स्थगित रहेगी।
इससे पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 8 अगस्त को हड़ताल पर जाने का आह्वान किया था। देश व्यापी हड़ताल की जानकारी देते हुए IMA ने कहा कि था मेडिकल छात्र IMA नेटवर्क के तहत देशभर में हड़ताल करेंगे।
वहीं, रविवार को AIIMS और सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल खत्म कर दी थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उन्हें आश्वासन दिया था कि NMC बिल को लेकर उनकी मांगो का सही तरीके से समाधान किया जाएगा। डॉक्टर पिछले सप्ताह राज्यसभा में पारित होने के बाद से बिल के कुछ प्रावधानों के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे थे।
बता दें कि रेजिडेंट डॉक्टरों के विरोध के बीच केंद्र सरकार राज्यसभा में NMC Bill 2019 को पास कराने में सफल हो गई थी। जबकि यह बिल 29 जुलाई को लोकसभा में पहले ही पास हो चुका था। NMC Bill के खिलाफ एक अगस्त से ही डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे। इसकी वजह से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
ये है आईएमए के हड़ताल पर जाने की वजह
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने का कहना है कि नेशनल कमीशन बिल 2019 की वजह से मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षा महंगी हो जाएगी। बिल में कहा गया है कि मेडिकल कॉलेजों के प्रबंधन 50 फीसदी से ज्यादा सीटों को अधिक दर पर बेच पाएंगे। साथ ही उनका कहना है कि इस बिल में मौजूदा धारा-32 के तहत करीब 3.5 लाख लोग जिन्होंने चिकित्सा की पढ़ाई नहीं की है उन्हें भी लाइसेंस मिल जाएगा। इससे लोगों की जान खतरे में पढ़ सकती है।
आईएमए ने यह भी कहा कि इस बिल में कम्युनिटी हेल्थ प्रोवाइडर शब्द को ठीक से परिभाषित नहीं किया है। जिससे अब नर्स, फार्मासिस्ट और पैरामेडिक्स आधुनिक दवाओं के साथ प्रैक्टिस कर सकेंगे और वह इसके लिए प्रशिक्षित नहीं होते हैं।
हड़ताल से मरीज हुए थे परेशान
इससे पहले डॉक्टरों की हड़ताल से हजारों मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा था। दिल्ली सरकार के करीब 34 अस्पताल हैं। जिनमें से पांच स्वायत्तशासी अस्पतालों को छोड़कर सभी 29 अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल की थी। इन अस्पतालों में ओपीडी सेवा पूरी तरह से ठप हो गई थी। दिल्ली सरकार के इन अस्पतालों को प्रतिदिन ओपीडी में करीब 65 हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं, जो हड़ताल के कारण वापस लौटने को मजबूर हो गए थे।
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