दिल्ली की 500 से अधिक इमारतों में चल रही अवैध फैक्ट्रियां, आग लगी तो जा सकती है हजारों की जान
अनाज मंडी में 500 से अधिक बहुमंजिला इमारतों में सारे नियम कानून को ताक पर रखकर अवैध रूप से फैक्ट्रियां चल रही हैं।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। फिल्मिस्तान की करीब 200 वर्ग गज में बनी, जिस इमारत में गत दिनों आग लगने से 43 लोगों की मौत हुई। उसमें अवैध रूप से 18 छोटी-छोटी फैक्ट्रियां चल रही थीं। इसी तरह अन्य इमारतों में 10-20 फैक्ट्रियां चल रही हैं।
दरअसल यह पूरा इलाका रिहायशी है,जहां दिल्ली फायर सर्विस एक्ट के मुताबिक इमारतों की ऊंचाई 15 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। लेकिन, यहां की तकरीबन हर इमारत की ऊंचाई इससे अधिक है, क्योंकि घर-घर में फैक्ट्रियां चल रही हैं। यहां पांच से छह मंजिला इमारतें भी बनी हुई हैं।
अग्निशमन विभाग ने नहीं दी एनओसी
व्यावसायिक गतिविधियों के लिए अग्निशमन विभाग से एनओसी नहीं दी जाती है, सिर्फ छोटे मोटे धंधे के लिए ही एनओसी मिल सकती है। जिस इमारत में आग लगी उसकी ऊंचाई 17 मीटर है और उसमें बीएसईएस के सात व्यावसायिक मीटर लगे थे, जबकि 18 फैक्टियां हैं, इसलिए इतने ही औद्योगिक मीटर होने चाहिए। रिहान इन सात मीटरों से अवैध तरीके से सभी को बिजली दे रहा था और सब मीटर लगवाकर उनसे प्रति यूनिट अतिरिक्त वसूली कर रहा था। व्यावसायिक मीटरों से औद्योगिक इकाइयां भी नहीं चलाई जा सकती हैं।
क्राइम ब्रांच के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि घटना के बाद सीलिंग को लेकर फैक्ट्री मालिकों में भय है। इसलिए सैकड़ों फैक्टियों में ताले डाल दिए गए हैं। हादसे से सभी संबंधित विभागों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। हादसे के बाद कार्रवाई की बात कही जा रही है। ऐसे में फैक्ट्री मालिकों ने अनाज मंडी से पलायन शुरू कर दिया है। इसकी वजह से रात में ही क्रेन मंगवाकर फैक्ट्रियों से मशीनों को निकाला जा रहा है। ताकि, सीलिंग होने पर उनकी करोड़ों की मशीनें व सामान बच जाए। इसके बाद भी नगर निगम व अन्य संबंधित विभागों की आंखें नहीं खुल रही हैं।
उठ रहे प्रशासन पर सवाल
यही नहीं सामान ले जा रहे फैक्ट्री मालिकों को भी कोई रोकने वाला नहीं है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि कहीं संबंधित एजेंसियां ही कार्रवाई से पहले उन्हें पलायन का मौका तो नहीं दे रही हैं। अनाज मंडी के आसपास अवैध फैक्ट्रियां लगाने का मुख्य कारण यह है कि यहां पास में पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के अलावा सदर बाजार है। इससे आसानी से फैक्ट्रियों में तैयार सामान बेचने व कहीं ले जाने में आसानी होती है। सघन आबादी वाले इस इलाके में संबंधित एजेंसियों की निगरानी न के बराबर रहती है। इस इलाके में फैक्ट्री चलाने वाले लोग सीजन के हिसाब से सामान बनाकर बेचते हैं।
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