मौत की छांव में जिंदगी का बसेरा, दिल्ली के इन इलाकों में कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
जो लोग पांच-छह मंजिला इमारत में फ्लैट खरीदते हैं, वे भी सस्ते के चक्कर में उसकी मजबूती, सुरक्षा और सही मानकों के अनुरूप बने होने की बात की अनदेखी करते हैं।
नई दिल्ली [लोकेश चौहान]। सिर पर छत की चाह में नियमों और सुरक्षा को दरकिनार करके बनाए जा रहे आशियाने लोगों के लिए कभी भी मौत की छांव बन सकते हैं। ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी में हुआ हादसा इसकी बानगी भर है। दक्षिणी दिल्ली में भी ऐसे इलाकों की कमी नहीं हैं, जहां लाखों परिवार मौत की छांव में जिंदगी गुजार रहे हैं। ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी में दो इमारतों के अचानक गिरने की जो घटना हुई है, उसकी पुनरावृत्ति दक्षिणी के कई इलाकों में कभी भी हो सकती है।
ताक पर नियम
संगम विहार और जामिया नगर में लाखों परिवार ऐसे मकानों में रह रहे हैं, जो सुरक्षा मानकों पर किसी भी स्तर पर खरे नहीं उतरते। जहां दो-तीन मंजिला भवन बनाने की अनुमति है, वहां लोगों ने पांच-छह मंजिला भवन बना लिए हैं। इन मकानों की नींव बनाने लेकर दीवारों की मोटाई तक का ध्यान नहीं रखा गया है, वहीं इन भवनों का नक्शा भी अधिकृत रूप से स्वीकृत नहीं कराया गया है। भवन के निर्माण से पहले मिट्टी की जांच भी नहीं कराई जाती है, वहीं भवन का निर्माण किए जाने के दौरान उसकी मजबूती का ख्याल रखने के बजाय सिर्फ उसकी ऊंचाई पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
सुरक्षा मानकों का ख्याल नहीं
जो लोग स्वयं के रहने के लिए मकान बना रहे हैं, वे भी यहां किराया वसूलने के चक्कर में भवन की ऊंचाई को प्राथमिकता देते हैं। वहीं, जो लोग फ्लैट बनाकर बेचने के लिए इमारतें खड़ी कर रहे हैं, वे किसी भी प्रकार के सुरक्षा मानकों का ख्याल नहीं रखते। ऐसे में इन इमारतों में रहने वाले लोगों की सांसों की डोर कब जिंदगी के हाथ से फिसलकर मौत के हाथ में आ जाए, यह उन लोगों को भी नहीं पता, जो ऐसे अवैध रूप से निर्मित भवनों में रह रहे हैं।
कम कीमत में मिलते हैं अवैध निर्माण वाले मकान
अवैध रूप से बनाए जाने वाले मकानों को लोग सस्ते के लालच में खरीद लेते हैं। जो लोग पांच-छह मंजिला इमारत में फ्लैट खरीदते हैं, वे भी सस्ते के चक्कर में उसकी मजबूती, सुरक्षा और सही मानकों के अनुरूप बने होने की बात की अनदेखी करते हैं। सस्ते के लालच में लोग गलत तरह की प्रॉपर्टी में निवेश करने के साथ हमेशा के लिए मौत के साये में रहने का जोखिम उठाने से भी नहीं चूक रहे हैं।
सभी विभागों की बंद हैं आंखें
अवैध निर्माण को रोकने वाली संस्थाओं के अधिकारी पूरी तरह से आंखें बंद कर बैठे हुए हैं। जिन लोगों पर अवैध निर्माण को रोकने की जिम्मेदारी है वे स्वार्थ के चलते निर्माणाधीन क्षेत्र में जाकर जांच करने की जहमत नहीं उठाते हैं। इस कारण अवैध रूप से बनने वाली इमारतों की संख्या और ऊंचाई लगातार बढ़ती जा रही है।
सरकारी जमीन पर भी हो रहा अवैध निर्माण
अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि एक तरफ जहां वे अवैध निर्माण को रोकने के लिए कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, वहीं सरकारी जमीन को भी कब्जे से बचाने में नाकाम हो रहे हैं। एक-एक करके बनाए जाने वाले अवैध मकानों के कारण लगातार घनी आबादी अवैध रूप से सरकारी जमीन पर बसती जा रही है।
हादसे के इंतजार में अधिकारी
अवैध निर्माण को नजरअंदाज करने वाले अधिकारी शायद किसी बड़ी घटना के इंतजार में हैं। दक्षिणी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस, डीडीए, एसडीएमसी, वन मंत्रालय की है। अपने क्षेत्र में होने वाले निर्माण को वोट बैंक के लालच में पार्षद, विधायक और सांसद भी अनदेखा कर देते हैं।
अवैध निर्माण के कारण इन इलाकों में है जान जोखिम में
जामिया नगर, जोगाबाई एक्सटेंशन, जैतपुर, शाहीन बाग, बदरपुर, छतरपुर, संगम विहार, कालकाजी, तुगलकाबाद, ओखला, तेहखंड, खड्डा कॉलोनी, अबुल-फजल एंक्लेव, खानपुर, देवली, राजू पार्क, कृष्णा पार्क, जसोला व महिपालपुर।