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अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में फैली बिहारी माटी की सोंधी खुशबू

मेले में बिहार दिवस समारोह का उद्घाटन बिहार के उद्योग मंत्री श्याम रजक उद्योग विभाग के सचिव नर्मदेश्वर लाल और उपेंद्र महारथी संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने किया।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 06:53 PM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 06:53 PM (IST)
अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में फैली बिहारी माटी की सोंधी खुशबू
अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में फैली बिहारी माटी की सोंधी खुशबू

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्‍क। प्रगति मैदान में चल रहे भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में बिहार की मिथिला पेंटिंग, टिकुली आर्ट, सुजनी कला की धूम मची है। गुरुवार को बिहार के कलाकारों के गीत संगीत से अंतरराष्ट्रीय मेला परिसर गुंजित हुआ। मेले में बिहार दिवस समारोह का आयोजन किया गया जिसका विधिवत उद्घाटन बिहार के उद्योग मंत्री श्याम रजक, उद्योग विभाग के सचिव नर्मदेश्वर लाल और उपेंद्र महारथी संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने किया।

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खादी में रोजगार की असीम संभावनाएं

मंत्री श्याम रजक ने कहा कि पारंपरिक कला हथकरघा और खादी में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं । पटना में आधुनिक डिजाइन के खादी वस्त्रों की बिक्री के लिए भारत का सबसे बड़ा खादी मॉल खोला गया है । बिहार सरकार मिथिला पेंटिंग, टिकुली कला, मंजूषा कला, भागलपुरी सिल्क, सिक्की शिल्प आदि को प्रोत्साहित करने का काम भी कर रही है।

नीतू के गीत पर झूमे लोग

हंसध्वनि थियेटर में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में नीतू कुमारी नवगीत, सत्येंद्र कुमार संगीत अमर आनंद तथा उषा कुमारी ने बिहार की संस्कृति से जुड़े पारंपरिक लोक गीतों की प्रस्तुति करते हुए उपस्थित श्रोताओं को खूब झुमाया। नीतू कुमारी नवगीत ने गंगा मैया की स्तुति करते हुए मांगी ला हम वरदान है गंगा मैया मांगी ला हम वरदान, कौने रंग वृंदावनवां, कौने रंगे यमुना, कौन है रंगे बृजबाला कन्हैया खेलत हो अंगना, राजा जनक जी के बाग में अलबेला रघुवर आयो जी, पटना से बैदा बुलाई द नजरा गईली गुईंया, राम जी से पूछे जनकपुर के नारी बता द बबुआ लोगवा देत काहे गारी बता द बबुआ जैसे पारंपरिक लोक गीतों को प्रस्तुत किया।

बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से ओतप्रोत गीत जिस धरा पर हमने जन्म लिया वही हमारा महान है ए बिहार की धरती पर जीवन कुर्बान है हर दिल में बसता प्यार यहां पर गंगा प्यार की बहती है देव अतिथि कहलाते हैं मिस्त्री बोली में रहती है गीत पेश किया जिसे खूब पसंद किया गया। भोजपुरी रॉकस्टार सत्येंद्र कुमार संगीत ने बाल्मीकि ने रची रामायण लव कुश को जाने संसार यह है मेरा बिहार,बिदेसीया गीत चर्हती जवनिया बैरन भईले हमरो से के मोरा हरिहे कलेस रे बिदेसीया, अंगुरी मे दसले बिया नगीनिया रे ए ननदी दियरा जरा द जैसे गीत पेश किए।

दर्शकों की मांग पर उन्होंने गोरिया चांद के अंजोरिया नियन गोर बारू हो तोहार जोड़ केहू नइखे तू बेजोड़ बारू हो, तलवा तलैया हिलोर मारे नया लहरे फसलिया ठावे ठाव गीत पेश किया ।कार्यक्रम के दौरान हरि भूषण झा ने तबला पर शशि भूषण झा ने ऑर्गन पर, कुमार पारस ने बैंजो पर, पंकज बिष्ट ने पैड पर और प्रीतम बग्गा ने ढोलक पर सतेंद्र कुमार संगीत और नीतू कुमारी नवगीत के साथ संगत किया । लोकप्रिय गायक अमर आनंद और उषा कुमारी ने भी बिहार के कई पारंपरिक गीतों को पेश कर श्रोताओं को झुमाया । प्रांगण में कलाकारों द्वारा शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया गया ।

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