भारतीय सैनिकों के लिए आइआइटी दिल्ली ने उठाया बड़ा कदम, भविष्य की तकनीक कराएगी उपलब्ध
आइआइटी दिल्ली का ज्वांइट एडवांस टेक्नॉलजी सेंटर भारतीय सशस्त्र बलों को भविष्य की उन्नत तकनीक उपलब्ध कराने के लिए शोध करेगा। आइआइटी एक विशेषज्ञ समूह तैयार करने में भी मदद करेगा जो सुरक्षा बलों की अभियान संबंधी चुनौतियों के लिए तकनीकी समाधान खोजने की दिशा में काम करेगा।
नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। आइआइटी दिल्ली के नाम एक बड़ी उपलब्धि आई है। इस बार देश की सुरक्षा के लिए इसने कदम बढ़ाया है। भारत की आंतरिक सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान, प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकियों के प्रबंधन के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी दिल्ली), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के बीच एक करार हुआ है।
भारतीय सशस्त्र बलों को भविष्य की उन्नत तकनीक उपलब्ध कराने के लिए होगा शोध
आइआइटी दिल्ली का ज्वांइट एडवांस टेक्नॉलजी सेंटर भारतीय सशस्त्र बलों को भविष्य की उन्नत तकनीक उपलब्ध कराने के लिए शोध करेगा। वहीं, करार के तहत आइआइटी एक विशेषज्ञ समूह तैयार करने में भी मदद करेगा जो सुरक्षा बलों की अभियान संबंधी चुनौतियों के लिए तकनीकी समाधान खोजने की दिशा में काम करेगा।
तीन से छह महीने का प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम करेंगे सीआरपीएफ के जवान
सीआरपीएफ प्रवक्ता ने बताया कि सीआरपीएफ के 40 इंजीनियरिंग स्नातक अधिकारियों और अधीनस्थ अधिकारियों का एक बैच आइआइटी दिल्ली के शिक्षा कार्यक्रम के तहत तीन से छह महीने का प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम करेंगे। इससे उन्हें जटिल चुनौतियों से निपटने, अभियान संबंधी और रणनीतिक जरूरतों को पूरा करने तथा प्रतिस्पर्धी लाभ बढ़ाने के लिहाज से विशिष्ट कौशल, क्षमता और ज्ञान मिलेगा। करीब 3.25 लाख कार्मिकों वाले बल में करीब 500 अधिकारी और उप-अधिकारी हैं जिनके पास इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में व्यावसायिक डिग्रियां हैं।
आइआइटी शोधार्थियों के लिए भी एक अवसर है यह मौका
वहीं आइआइटी निदेशक प्रो वी रामगोपाल राव ने कहा कि यह समझौता सुरक्षा बलों की तकनीकी और प्रबंधकीय जरूरतों को हल करने के लिए एक साथ काम करने का बेहतरीन अवसर है। रक्षा क्षेत्र में नवीन अनुसंधान सशस्त्र बलों की जरूरतों को ध्यान में रखकर किए जाएंगे। यह आइआइटी शोधार्थियों के लिए भी एक अवसर है कि वो सुरक्षा बलों की जरूरतों को समझें। सुरक्षा बल किस तरह जमीन पर कार्य करते हैं यह जानें एवं तकनीकी रूप में मददगार बनें।
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