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Flexible Brace: आइआइटी दिल्ली के वैज्ञानिकों ने तैयार किया ब्रेस, पढ़िये- कैसे बढ़ जाएगी इमारतों की भूकंपरोधी क्षमता

Flexible Brace News दिल्ली स्थित भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology Delhi) ने एक ऐसा लचकदार ब्रेस तैयार किया है जिससे भूकंप की स्थिति में भी बहुमंजिला इमारत को नुकसान नहीं होगा। इसकी लागत भी कम होगी।

By Jp YadavEdited By: Published: Wed, 15 Jun 2022 09:58 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jun 2022 09:58 AM (IST)
Flexible Brace: आइआइटी दिल्ली के वैज्ञानिकों ने तैयार किया ब्रेस, पढ़िये- कैसे बढ़ जाएगी इमारतों की भूकंपरोधी क्षमता
आइआइटी दिल्ली के वैज्ञानिकों ने तैयार किया ब्रेस, पढ़िये- कैसे बढ़ जाएगी इमारतों की भूकंपरोधी क्षमता

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर में बड़ी संख्या में ऐसी बहुमंजिला इमारतों के साथ छोटे मकानों के भी निर्माण में भूकंपरोधी मानकों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसके चलते हल्के भूकंप के दौरान भी मकानों में दरारें आ जाती हैं। देश की राजधानी दिल्ली भी अपवाद नहीं है, यहां पर भी बड़ी संख्या में ऐसे मकान बने हैं, जिनमें भूकंपरोधी मानकों को नहीं अपनाया गया है। 

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वहीं, अब दिल्ली स्थित भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology,  Delhi) ने कम लागत वाले एक विशेष लचकदार ब्रेस का निर्माण किया है। इस ब्रेस को लेकर आइआइटी दिल्ली के विज्ञानियों का दावा है कि यह इस विशेष ब्रेस के इस्तेमाल से इमारतों की भूकंपरोधी क्षमता बढ़ जाएगी।

बताया जा रहा है कि इस ब्रेस का पेटेंट कराने के लिए भी आवेदन कर दिया गया है। आइआइटी प्रशासन ने बताया कि यह ब्रेस स्टील के सभी घटकों में लगाया जा सकेगा। इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि आसानी से लगाया जा सके। इससे देशभर की लाखों इमारतों के निर्माण के दौरान भूकंपरोधी यह उपाय अपनाया जा सकेगा।

इस ब्रेस को लेकर आइआइटी दिल्ली के सिविल इंजीनियरिंग विभाग की प्रोफेसर दीप्ति रंजन साहू ने बताया कि इमारतों की भूकंपरोधी क्षमता को बढ़ाने के लिए आमतौर पर दो तरह की तकनीक प्रयोग में लाई जाती है। पहली भूकंपीय बल विरोध प्रणाली और दूसरा कंपन नियंत्रण उपकरण का प्रयोग किया जाता है। आइआइटी द्वारा विकसित बकलिंग-रेजिस्टेंस ब्रेस विशेष संरचनात्मक तत्व हैं, जो दोनों उद्देश्यों की पूर्ति करता है।

बता दें कि तकरीबन 2 साल पहले एक याचिकाकर्ता अधिवक्ता अर्पित भार्गव ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया था कि राजधानी में 10 से 15 फीसदी निर्माण ही नियम के तहत हुए हैं। इसके अलावा दिल्ली में लगभग 17 सौ अनाधिकृत कॉलोनियां हैं, जिसके निर्माण में नियम कानून का पालन नहीं किया गया है। उसमें लगभग 50 लाख लोग रहते हैं। भूकंप आने की दशा में वहां बड़उ नुक़सान हो सकता है। आम लोगों के लिए यह बड़ी क्षति होगी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि भूकंप होने की दशा में लोगों को क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए उसके बारे में जागरूक किया जाए। 


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