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Delhi Driving License: ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना चाहते हैं तो जरूर पढ़ें यह खबर, सख्य हुआ नियम

Delhi Driving License अब दिल्ली की सभी अथॉरिटी में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना मुश्किल होने जा रहा है। अब उन्हीं लोगों का लाइसेंस बन सकेगा जिन्हें ऑटोमेडेट सिस्टम पास करेगा।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 09:32 AM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 09:58 AM (IST)
Delhi Driving License: ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना चाहते हैं तो जरूर पढ़ें यह खबर, सख्य हुआ नियम
Delhi Driving License: ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना चाहते हैं तो जरूर पढ़ें यह खबर, सख्य हुआ नियम

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अब दिल्ली की सभी अथॉरिटी में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना मुश्किल होने जा रहा है। अब उन्हीं लोगों का लाइसेंस बन सकेगा जिन्हें ऑटोमेडेट सिस्टम पास करेगा। इसके लिए दिल्ली के सभी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) में ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक का काम पूरा होने जा रहा है। अगले तीन माह में दिल्ली के सभी आरटीओ में ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक बनाने का शुरू कर दिया जाएगा।

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पांच आरटीओ में ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक सुचारू हैं, जहां 8 आरटीओ के टेस्ट हो रहे हैं। दो-तीन महीने में 7 नए टेस्ट ट्रैक तैयार हो जाएंगे। इसके बाद दिल्ली के सभी 14 आरटीओ में परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट नई व्यवस्था से होगा।

परिवहन विभाग का कहना है कि नए ट्रैक पर पहली बार टेस्ट देने के लिए आने वाले 30 से लेकर 40 फीसद लोग ही पास हो रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार विचार कर रही है कि आवेदन करने वालों को प्रशिक्षण का मौका भी मिले जो लोग टेस्ट देने से पहले ऑटोमेटेड ट्रैक पर प्रशिक्षण लेना चाहते हैं उन्हें यह मौका दिया जाए।

अभी सराय काले खां में दो जिलों के लिए टेस्ट हो रहे हैं। मध्य जिला और दक्षिणी जिला के दो कार्यालयों में आवेदन करने वालों को सराय काले खां आना पड़ता है। यहां पर सराय काले खां और शेख सराय कार्यालय के टेस्ट होते हैं। मयूर विहार, सूरजमल विहार के अलावा बुराड़ी में माल रोड और रोहिणी कार्यालय के टेस्ट हो रहे हैं। इसके अलावा वजीरपुर कार्यालय में भी नए सिस्टम से टेस्ट हो रहे हैं। अगले दो महीने में रोहिणी, द्वारका, लोनी, झड़ौदा कलां, वसंत विहार, जनकपुरी और राजा गार्डन में ऑटोमेटेड ड्राइ¨वग टेस्ट ट्रैक बनकर तैयार हो जाएंगे।

क्यों फेल हो रहे हैं लोग

टेस्ट में फेल होने की बड़ी वजह यह है कि लोग ऑटोमेटेड ट्रैक पर टेस्ट देने के लिए तैयार नहीं हैं। उनके लिए प्रैक्टिस की कोई व्यवस्था नहीं है। एक बार टेस्ट देने के एक हफ्ते बाद फिर से टेस्ट होते हैं और उसके बाद भी बहुत से लोग टेस्ट पास नहीं कर पाते। कार को बैक करने के लिए रिवर्स पैरेलल पार्किंग टेस्ट पास करने में लोगों को ज्यादा मुश्किल होती है। इसके माध्यम से देखा जाता है कि आवेदक तय की गई जगह में अपनी गाड़ी को कैसे पार्क करता है साथ ही बैक करने में गाड़ी कैसे चलाते हैं।

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