युवती ने दोस्ती करने से किया मना तो युवक वाट्सअप पर वायरल कर दी अश्लील फोटो, पढ़िये पूरा मामला
आरोपित ने खुद को मंदिर का पुजारी बताते हुए आगे से मंदिर आने पर दर्शन करने में मदद करने का कहीं और अपना नंबर दिया। इसी दौरान पीड़िता ने आरोपित को अपना नंबर दिया। इसके बाद वह उसे लगातार परेशान कर रहा था।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अमर कालोनी थाना क्षेत्र में युवती के दोस्ती करने से मना करने पर एक युवक ने उसका अश्लील फोटो वाट्सएप पर लगाकर वायरल कर दिया। युवती ने अपना फोटो देखकर मामले की सूचना पुलिस को दी। सूचना के बाद पुलिस ने युवती की शिकायत पर केस दर्ज कर आरोपित की तलाश शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि पीड़िता दयानंद कालोनी में रहती है। जबकि आरोपित युवक सराय जुलैना का रहने वाला है।
पीड़िता ने पुलिस को दी गई शिकायत में बताया कि वह कालका मंदिर गई थी, जहां उसकी मुलाकात आरोपित से हुई। इस दौरान आरोपित ने खुद को मंदिर का पुजारी बताते हुए आगे से मंदिर आने पर दर्शन करने में मदद करने का कहीं और अपना नंबर दिया। इसी दौरान पीड़िता ने आरोपित को अपना नंबर दिया। इसके बाद वह उसे लगातार परेशान कर रहा था। इसके बाद आरोपित ने पीड़िता का अश्लील फोटो वायरल कर दिया। इसके बाद मामले की सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस ने फिलहाल मामले में केस दर्ज कर आरोपित की तलाश शुरू कर दी है।
उधर धोखाधड़ी के एक मामले में कोर्ट ने रियल एस्टेट कंपनी पार्श्वनाथ डेवलपर्स के तीन निदेशकों को जमानत दे दी। मुख्य महानगर दंडाधिकारी देव सरोहा के कोर्ट ने आदेश में कहा कि आरोपितों को जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया था। उनके और उनकी कंपनी के खिलाफ सीधे आरोपपत्र दाखिल किया गया था। ऐसे में वह जमानत के हकदार हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डा. एसके गोयल ने अधिवक्ता नमित सक्सेना के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया था कि दिल्ली की एक रियल एस्टेट परियोजना में फ्लैट देने का वादा करके उनसे 10 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई।
आरोप लगाया था कि इस परियोजना के लिए पार्श्वनाथ समूह को किसी तरह की मंजूरी नहीं थी।कोर्ट ने इस मामले में आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के बाद पार्श्वनाथ डेवलपर्स के निदेशक प्रदीप कुमार जैन, राजीव जैन और संजीव कुमार जैन को तलब किया था। कोर्ट में पेश होने के बाद उन्होंने जमानत अर्जी दायर कर दी थी। पीडि़त के वकील ने इस अर्जी का विरोध किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद शनिवार को कोर्ट ने इन तीनों को जमानत दे दी।
उधर नशीला पदार्थ रखने के आरोप में गिरफ्तार महिला को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत देने से इन्कार कर दिया। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की एकल पीठ ने कहा कि महिला के पास से काफी मात्रा में नशीले पदार्थ की बरामदगी हुई थी। जो तथ्य रखे गए हैं, उसके मुताबिक वह नशीले पदार्थ की बिक्री में शामिल नेटवर्क का हिस्सा थी। ऐसे में उसे बेदाग छवि के नाते 600 ग्राम मेथाम्फटामाइन रखने के आरोप से मुक्त नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में अधिक शिक्षित लोगों के खिलाफ अधिक पूर्वधारणा रहती है।
फरवरी 2018 में पुलिस को सूचना मिली थी कि एक महिला हजरत निजामुद्दीन से मुंबई जा रही ट्रेन में नशीला पदार्थ लेकर जा रही है। इस सूचना पर महिला को गिरफ्तार किया गया था। उससे मेथाम्फटामाइन बरामद हुआ था।न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की एकल पीठ ने महिला की जमानत पर सुनवाई करते हुए रेखांकित किया कि उसके बयान के आधार पर दो नाइजीरियाई आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था, जो फर्जी पासपोर्ट पर यहां रह रहे थे और उनके पास नशीला पदार्थ था।