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जानें- राहत इंदौरी ने मंच से क्यों कह दिया था '... तो मैं मुशायरा छोड़कर चला जाऊंगा'

Rahat Indori Death News इंदौरी साहब की एक खासियत थी कि वे अपने से छोटों का एक रुपया भी खर्च नहीं होने देते थे। चाहे टिकट का पैसा हो या फिर रास्ते में कुछ खाने का सामान।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 08:26 AM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 10:50 AM (IST)
जानें- राहत इंदौरी ने मंच से क्यों कह दिया था '... तो मैं मुशायरा छोड़कर चला जाऊंगा'
जानें- राहत इंदौरी ने मंच से क्यों कह दिया था '... तो मैं मुशायरा छोड़कर चला जाऊंगा'

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Rahat Indori Death News: अवाम की आवाज को शायरी के जरिये दुनिया के सामने रखने वाले मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन से दिल्लीवासियों को भी गहरा आघात लगा है। सोशल मीडिया पर दिल्ली के लोग राहत इंदौरी के निधन पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते दिखे। शायर व उर्दू अकादमी के उपाध्यक्ष प्रो. शहपर रसूल कहते हैं- 'दिल्ली के लिए उनके दिल में खास जगह थी। यहां के मुशायरों में शरीक होने के लिए वे सारे काम छोड़कर आते थे। इसके अलावा वे मुशायरे और शायरी की बहुत इज्जत करते थे। पिछले वर्ष उर्दू अकादमी ने सेंट्रल पार्क में हेरिटेज उत्सव का आयोजन किया था। आयोजन का एक वाकया मुझे याद आ रहा है। असल में मुशायरे के दौरान कुछ दर्शक तालियां बजा रहे थे। इस पर एक शायर ने कहा कि तालियां न बजाएं, सिर्फ दाद दें, लेकिन मुशायरे में ही शरीक होने आए एक अन्य शायर ने दर्शकों से कहा कि तालियां क्या, अगर उनकी शायरी अच्छी लगे तो दर्शक सीटी भी बजा सकते हैं। यह सुनना भर था कि राहत इंदौरी उठ खड़े हुए। बोले, 'मैं मुशायरे छोड़कर चला जाऊंगा। सीटी बजाना मुशायरे के मान के खिलाफ है।' बाद में दर्शकों को भी अपनी गलती का एहसास हो गया। उसके बाद किसी ने कार्यक्रम में ताली या सीटी नहीं बजाई।'

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शहपर रसूल बताते हैं कि राहत इंदौरी साथियों की बहुत फिक्र करने वाले इंसान थे। रसूल कहते हैं, ''एक मुशायरे में शरीक होने के लिए मैं राहत इंदौरी के साथ कतर जा रहा था। एयरपोर्ट पर मेरा वीजा नहीं पहुंचने के कारण मुझे रोक दिया गया। आयोजकों ने बाकि शायरों को फ्लाइट पकड़कर पहुंचने के लिए कहा, लेकिन राहत इंदौरी ने मना कर दिया। बोले, जाएंगे तो सब साथ नहीं तो कोई नहीं जाएगा। सभी शायर साथ ही कतर गए।'' मशहूर शायर शकील जमाली कहते राहत इंदौरी ट्रेंड शुरूकरने वाले लोगों में से थे और अपने से छोटों का बहुत ख्याल रखते थे।

जमाली कहते हैं, ''इंदौरी साहब की एक खासियत थी कि वे अपने से छोटों का एक रुपया भी खर्च नहीं होने देते थे। चाहे टिकट का पैसा हो या फिर रास्ते में कुछ खाने का, सब वे खुद ही खरीदकर देते थे। मार्च में लॉकडाउन के दौरान उनका फोन आया था। बोले, फेसबुक पर मुशायरा करना है। राहत इंदौरी द्वारा मुशायरे के ऑनलाइन आयोजन के बाद तो दौर ही चल पड़ा। ''

शायर कुंवर रंजीत सिंह चौहान बताते हैं उन्हें मार्च में राहत इंदौरी के साथ मंच साझा करना था। चौहान कहते हैं, ''20 से 22 मार्च तक साहित्योत्सव का आयोजन होना था, लेकिन जनता क‌र्फ्यू के चलते आयोजन रद करना पड़ा। मैंने राहत इंदौरी साहब को फोन किया तो बोले दिल्ली में दर्शकों से मुखातिब होना चाहता था। बाद में नवंबर महीने में आयोजन की योजना बनी। इस सिलसिले में करीब एक हफ्ते पहले आखिरी बार उनसे बात हुई तो उन्होने कहा कि क्यों न ऑनलाइन ही दर्शकों से मुखातिब हुआ जाए। अफसोस कि अब ये मुमकिन नहीं हो पाएगा।

मनोज तिवारी ने राहत इंदौरी याद करते हुए एक ट्वीट किया - 'अंतिम बार 23 सितंबर 2018 को दैनिक जागरण के कवि सम्मेलन में सामने बैठ कर उन्हें सुना था। उन्होंने भी मुझे कुछ कहा था सुना भी था। शाखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हम, आंधियों से कह दो औकात में रहें।'

यह भी देखें: RIP Rahat Indori: देखें राहत इन्दोरी के दिल छू लेने वाले फेमस शेर


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