Delhi Physical Abuse Case: पति-पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- अब जी रहे हैं अच्छी शादीशुदा जिंदगी
Delhi Physical Abuse Case दुष्कर्म का मामला 2013 का था और दोनों ने 2014 में शादी कर ली थी और तब से दोनों खुश हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अब दोनों पक्ष अच्छी शादीशुदा जिंदगी बिता रहे हैं। ऐसे में एफआइआर का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। दुष्कर्म पीड़िता युवती और आरोपित की दलील के बाद सुप्रीम कोर्ट में 2013 में दर्ज कराई गई एक एफआइआर को खत्म करने का फैसला सुनाया है। दोनों पक्षों का कहना है कि कुछ गलतफहमी के कारण एफआइआर दर्ज करा दी गई थी। दुष्कर्म का मामला 2013 का था और दोनों ने 2014 में शादी कर ली थी और तब से एक-दूसरे के साथ खुश हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अब दोनों पक्ष अच्छी शादीशुदा जिंदगी बिता रहे हैं। ऐसे में एफआइआर का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता है।
गौरतलब है कि पीड़िता युवती ने सितंबर, 2013 में एफआइआर दर्ज कराई थी। इसके एक साल के भीतर ही अक्टूबर, 2014 में पीड़िता और आरोपित युवक ने शादी कर ली थी। उसके बाद से दोनों पक्ष सफदरजंग एन्क्लेव पुलिस थाने में दर्ज एफआइआर खत्म कराने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने एफआइआर रद करने से इनकार कर दिया था। इस दौरान हाई कोर्ट ने टिप्पणी भी की थी। इसके बाद शादी-शुदा पति-पत्नी ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी गई थी। जस्टिस एएम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, 'तत्कालीन परिस्थितियों में कुछ गलतफहमी के कारण मामला दर्ज करा दिया गया था, लेकिन अब दोनों पक्ष अच्छी शादीशुदा जिंदगी बिता रहे हैं। ऐसे में एफआइआर का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता है।' पीठ ने कहा कि पूरे मामले को ध्यान में रखते हुए और न्याय के हित में एफआइआर खत्म करने के अनुरोध को स्वीकार किया जाता है। अदालत ने कहा कि एफआइआर दर्ज होने के बाद दोनों पक्षों का मतभेद दूर कर लेना और शादी कर लेना विवाद की बात नहीं है।