फिल्म निर्माता व शिक्षाविद समेत सैकड़ों लोगों ने दंगों की जांच के तरीके पर जताई आपत्ति
उमर खालिद ने एक सितंबर को लिखे पत्र में आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल दंगे के मामले में उसे फंसाना चाहती है। इसके लिए परिचितों से पूछताछ की जा रही है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Riots: कई फिल्म निर्माता, इतिहासकार, शिक्षाविद समेत एक हजार से ज्यादा लोगों ने बयान जारी कर फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की जांच के तरीके पर आपत्ति जताई है। उन्होंने जेएनयू के पूर्व छात्र व दंगों के आरोपित उमर खालिद द्वारा दिल्ली पुलिस आयुक्त को लिखे पत्र को आधार बनाते हुए दंगे के मामले में निष्पक्ष जांच करने का आग्रह किया है।
उमर खालिद ने एक सितंबर को लिखे पत्र में आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल दंगे के मामले में उसे फंसाना चाहती है। इसके लिए परिचितों से पूछताछ की जा रही है। उन सभी पर गलत बयान देने के लिए दबाव बना रही है। यह भी लिखा था कि एक युवक से पूछताछ कर गलत बयान लिया गया और उसकी वीडियोग्राफी की गई। यूएपीए के तहत गिरफ्तार करने की धमकी देकर युवक से गलत बयान लिया गया।
फिल्म निर्माता अपर्णा सेन, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, पूर्व राज्यपाल मारग्रेट अल्वा, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन डॉ. जफरूल इस्लाम खान, शिक्षाविद जोया हसन समेत एक हजार से ज्यादा प्रमुख व्यक्तियों ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि जांच का यह तरीका गलत है। इस पर रोक लगनी चाहिए।
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बुधवार को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद से तकरीबन 6 घंटे तक पूछताछ की। उमर खालिद पर शाहीनबाग में बैठक कर दिल्ली दंगों की साजिश रचने का आरोप लगा है। यह भी आरोप है कि बैठक में AAP ने निकाले गए पूर्व निगम पार्षद ताहिर हुसैन भी शामिल हुए थे। वहीं, दिल्ली पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उमर खालिद ने पूछताछ में सहयोग नहीं किया। अपराध शाखा ने उमर खालिद से पहली बार पूछताछ की है। पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर उमर खालिद को फिर से पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है।
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