तस्वीरेंः दिल्ली में लॉकडाउन ने दिखाई प्रदूषण नियंत्रण की राह, पर्यावरण में दिखा व्यापक बदलाव
लॉकडाउन के दौरान यह स्पष्ट हो गया है कि निजी वाहनों की संख्या कम करने सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने से प्रदूषण पर काबू पाया जा सकेगा।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। इन दिनों हवा एकदम साफ हो गई है, लॉकडाउन खुलने के बाद भी इस समय का अध्ययन भविष्य में प्रदूषण नियंत्रण की राह तैयार करेगा। करीब तीन सप्ताह से चल रहे लॉकडाउन से दिल्ली-एनसीआर के पर्यावरण में व्यापक स्तर पर बदलाव देखने को मिला है। पेट्रोल और डीजल चालित वाहन बंद होने से हवा की गुणवत्ता ही नहीं सुधरी बल्कि औद्योगिक इकाइयां बंद होने से यमुना का पानी भी काफी साफ दिखाई दे रहा है। हर स्तर के आयोजन बंद होने और जनता के भी घरों में ही रहने के कारण ध्वनि प्रदूषण के स्तर तक में खासी गिरावट दर्ज की गई है। इस बदलाव पर तमाम अध्ययन भी किए जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने दिल्ली-एनसीआर के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) से लॉकडाउन की अवधि में हुए पर्यावरण सुधार पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा है।
बता दें कि यमुना मॉनिटरिंग समिति पहले ही यमुना को लेकर सीपीसीबी से अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने को कह चुकी है। ईपीसीए स्वयं भी इन दिनों पर्यावरण संरक्षण के हर पहलू पर निगाह रखे हुए है। नीला आसमान, पक्षियों की चहचहाहट और वातावरण से धूल का आवरण हटना हर स्तर पर विचारणीय बना हुआ है। बताया जाता है कि भविष्य में दिल्ली-एनसीआर के पर्यावरण सुधार से जुड़ी सभी अध्ययन रिपोर्ट को आधार बना कर ही पर्यावरण संरक्षण की कार्ययोजनाएं तैयार की जाएंगी।
लॉकडाउन के दौरान यह स्पष्ट हो गया है कि निजी वाहनों की संख्या कम करने, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने, औद्योगिक इकाइयों के प्रदूषण समेत विभिन्न स्तरों पर अंकुश लगाने से किस हद तक वायु, ध्वनि और जल प्रदूषण को कम किया जा सकता है। इसलिए भविष्य में इस दिशा में जो भी योजनाएं तैयार होंगी, उनमें लॉकडाउन के अनुभव का भी समावेश रहेगा। यह भी संभव है कि हालात सामान्य होने पर भी अनेक स्तरों पर नियम-कायदों के साथ थोड़ा अंकुश बरकरार रखा जाए।
ईपीसीए के अध्यक्ष भूरेलाल ने बताया पर्यावरण की दृष्टि से लॉकडाउन के नतीजे उत्साहवर्धक रहे हैं, इसलिए हमने इस पर अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। इन रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली-एनसीआर के पूरे परिदृश्य पर नए सिरे से विचार ही नहीं होगा बल्कि यहां की स्थिति में सुधार के लिए कार्ययोजना भी तैयार की जाएगी।