JNU Fee Hike: HRD मंत्रालय की उच्च स्तरीय कमेटी करेगी जेएनयू का दौरा, छात्रों से होगी मुलाकात
जेएनयू में छात्रों के प्रदर्शन को मानव संसाधन मंत्रालय ने गंभीरता से लिया है। मंत्रालय ने छात्रों से मुलाकात के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। दिल्ली के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी है। बुधवार को बेनतीजा रही मीटिंग के बाद अब मानव संसाधन मंत्रालय (HRD) की उच्च स्तरीय कमेटी जेएनयू कैंपस का दौरा करेगी। शुक्रवार को यह कमेटी छात्रों से मुलाकात करके उनकी समस्याएं को हल करने के मामले पर चर्चा करेगी।
इससे पहले जेएनयू छात्र संघ के प्रतिनिधियों की एचआरडी मंत्रालय की तरफ से गठित उच्च स्तरीय समिति ने साथ बुधवार को बैठक हुई। करीब दो घंटे चली मीटिंग में छात्रों ने अपनी मांगों को दोहराया और बढ़ी हुई फीस वापस लेने की मांग की। छात्र संघ के महासचिव सतीश चंद्र यादव ने बताया कि समिति के समक्ष कुलपति को हटाने की भी मांग रखी गई है। क्योंकि वे पिछले तीन साल से छात्रों से मुलाकात नहीं कर रहे हैं।
कैंपस में सामान्य स्थिति बहाल करने की अपील
सतीश चंद्र ने बताया कि 28 नवंबर को जेएनयू प्रशासन की तरफ से इंटर हाल एडमिनिस्ट्रेशन समिति की बैठक को फिर से बुलाने की मांग की गई। इस बैठक में छात्र संघ के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि बैठक के बाद निर्णय लिया गया कि जब तक बढ़ी हुई फीस वापस नहीं हो जाती तब तक छात्र प्रदर्शन जारी रखेंगे। वहीं एचआरडी मंत्रालय की समिति ने छात्रों को प्रदर्शन खत्म करने और कैंपस में सामान्य स्थिति बहाल करने की अपील की।
फीस बढ़ोतरी से नाराज हैं छात्र
बता दें कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों का आरोप है कि नए नियमों के तहत हॉस्टल की फीस में बढ़ोतरी हुई है। सिंगल सीटर रूम का किराया 20 रुपये प्रति महीने से बढ़ाकर 600 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। जबकि डबल सीटर रूम का किराया 10 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये प्रति माह किया गया है। इसके अलावा यूटिलिटी चार्ज और सर्विस चार्ज के नाम पर फीस में काफी ज्यादा बढ़ोतरी की गई है।
वहीं जेएनयू प्रशासन ने हॉस्टल में रह रहे प्रत्येक छात्रों से प्रति महीने 1700 रुपये मेंटेनेंस शुल्क के रूप में लेने का फैसला किया गया है। इसे प्रत्येक महीने छात्रों को देना होगा। इससे पहले रखरखाव, पानी, बिजली और सफाई के नाम पर पैसे नहीं वसूले जाते थे। छात्र इसकी वजह से सबसे ज्यादा नाराज हैं।