Move to Jagran APP

बुराड़ी फांसीकांडः 11 में से इस मृतक का होगा 'साइकोलॉजिकल पोस्टमार्टम', सुलझेगी मिस्ट्री!

साइकोलॉजिकल पोस्टमार्टम के तहत मरने वालों के रिश्तेदारों की मदद ली जाएगी। इसमें ये जानकारी ली जाएगी कि जान गंवाने से पहले उनकी मानसिक हालात कैसी थी?

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 26 Jul 2018 01:47 PM (IST)Updated: Thu, 26 Jul 2018 02:53 PM (IST)
बुराड़ी फांसीकांडः 11 में से इस मृतक का होगा 'साइकोलॉजिकल पोस्टमार्टम', सुलझेगी मिस्ट्री!
बुराड़ी फांसीकांडः 11 में से इस मृतक का होगा 'साइकोलॉजिकल पोस्टमार्टम', सुलझेगी मिस्ट्री!

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली के बुराड़ी इलाके में एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत का मामला तकरीबन एक महीने बाद भी अनसुलझा है। जांच में जुटी दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच कोई भी एंगल छोड़ना नहीं चाहती है। यही वजह है कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) को पत्र लिखकर साइकोलॉजिकल पोस्टमार्टम करवाने की मांग की है। पुलिस ने सीबीआई की सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोर्टरी (CFSL) को ये पत्र लिखा है।

loksabha election banner

पत्र के मुताबिक, साइकोलॉजिकल पोस्टमार्टम के तहत मरने वालों के रिश्तेदारों की मदद ली जाएगी। इसमें ये जानकारी ली जाएगी कि जान गंवाने से पहले उनकी मानसिक हालात कैसी थी?

यहां पर बता दें कि यह दूसरा मौका है जब दिल्ली पुलिस किसी पेचीदा मामले की जांच की कड़ी में साइकोलॉजिकल पोस्टमार्टम करवाने जा रही है, इससे पहले सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में ये पोस्टमार्टम करवाया गया था।

यहां पर बता दें कि विश्व के तमाम देशों में आत्महत्या से संबंधित मामलों को सुलझाने के लिए साइकोलॉजिकल पोस्टमार्टम का सहारा लिया जाता है।  चिकित्सा की दुनिया में साइकोलॉजिकल अटॉप्सी एक चर्चित शब्द और विधि है। कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में भी साइकोलॉजिकल पोस्टमार्टम की मदद से मौत के कारणों की जांच-पड़ताल की गई थी।

कैसे होती है साइकोलॉजिकल पोस्टमार्टम

साइकोलॉजिकल पोस्टमार्टम विधि में जान गंवाने वाले शख्स से जुड़े हर पहलू का अध्ययन किया जाता है। मसलन मौत की तिथि के आस-पास उसके बात-व्यवहार और व्यक्तित्व को समझने का प्रयास किया जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, आत्महत्या के मामलों में साइकोलॉजिकल पोस्टमार्टम काफी मददगार साबित होती है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, साइकोलॉजिकल पोस्टमार्टम के तहत यह पता लगाया जाता है कि जान गंवाने वाले शख्स का व्यक्तित्व कैसा था? व्यवहार कैसा था? दूसरों के प्रति उसका कैसा रुख था? परिवार के प्रति उसकी क्या भावना थी व आचरण क्या था। और हां मौत से पहले किन लोगों से उसने क्या बात की थी। इस सबको आधार बनाकर मृतक के जीवन के हर पहलू को जानने-समझने का प्रयास किया जाता है। पुलिस की मानें तो बुराड़ी में 11 मौतों के मामले में साइकोलॉजिकल पोस्टमार्टम मददगार साबित हो सकती है क्योंकि इसमें 11 रजिस्टर मिले हैं, जिनमें मोक्ष, अनुष्ठान, अध्यात्म, भगवान आदि से जुड़ी बातें लिखी हैं।

पुलिस ने जांच में पाया था कि फंदे पर लटकने के लिए सभी ने मिल जुलकर सामान जुटाए थे। 30 जून की शाम से लेकर 1 जुलाई की सुबह तक की सीसीटीवी फुटेज में भुवनेश की पत्नी श्वेता व उसकी छोटी बेटी नीतू घटना वाली रात 10.20 बजे उसी गली के अंतिम छोर पर स्थित फर्नीचर की दुकान से चार प्लास्टिक के स्टूल खरीदकर घर आती दिख रही हैं।

दूसरी फुटेज में ललित का बेटा शिवम दुकान के पास से ही टेलीफोन का तार निकालकर घर ले जाता दिख रहा है और तीसरे में दोनों भाई भुवनेश व ललित अपनी-अपनी दुकानें बंद कर टेलीफोन के तार व सुतली लेकर घर जाते दिख रहे हैं। क्राइम ब्रांच का कहना है कि हो सकता है घटना वाले दिन सुबह से ही ललित व उसके परिजन फंदे पर लटकने व पूजा की क्रियाओं में इस्तेमाल सामान को जुटाने में लगे थे।

घटना वाली रात 10:57 बजे ललित पालतू टॉमी को घुमाने पहली मंजिल से नीचे आया था। 1 जुलाई को सुबह 5:35 बजे एक डिलीवरी वैन आई थी, जो दूध, ब्रेड व अन्य सामान ललित की दुकान के बाहर उतारने के बाद चली गई थी। इसके सात मिनट बाद सामने रहने वाले गुरवचन सिंह जब दुकान के पास आए तो उन्होंने देखा कि कई लोग सामान लेने दुकान के पास खड़े थे। 6:15 बजे जब वह पहली मंजिल पर ललित को बुलाने गए तो 10 लोगों को फंदे से लटका हुआ देखकर उनके होश उड़ गए। वह तुरंत चिल्लाते हुए नीचे आए और लोगों को घटना से अवगत कराया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.