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स्टार्टअप्स क्रांति के जरिए भारत किस तरह बदलाव की राह पर बढ़ रहा आगे

स्वाधीनता के अमृत महोत्सव वर्ष में इन दिनों जब देश स्टार्टअप इंडिया इनोवेशन वीक (10-16 जनवरी) मना रहा है ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि स्टार्टअप्स क्रांति के जरिए भारत किस तरह बदलाव की राह पर आगे बढ़ रहा है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 12:39 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 12:40 PM (IST)
स्टार्टअप्स क्रांति के जरिए भारत किस तरह बदलाव की राह पर बढ़ रहा आगे
स्टार्टअप कंपनियां देश को सशक्तीकरण की राह पर आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

इन दिनों ओमिक्रोन के रूप में कोरोना की तीसरी लहर के प्रभाव को बढ़ता देख हर कोई चिंतित है। बेशक केंद्र और राज्य सरकारें अपने स्तर पर इसका मुकाबला कर रही हैं, लेकिन वे यह भी सुनिश्चित कर रही हैं कि लोगों के कामकाज पर इसका ज्यादा प्रभाव न पड़े। हालांकि खुद के साथ-साथ दूसरों को संक्रमण से बचाने के लिए सबसे ज्यादा सावधानी हम सभी के स्तर पर ही बरते जाने की जरूरत है।

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अच्छी बात यह है कि कोरोना संकट के बीच भी दुनिया के तमाम देशों की तुलना में इन दिनों भारतीय अर्थव्यवस्था की गति सुचारु बनी हुई है। इससे भी महत्वपूर्ण बात करीब 90 यूनिकार्न स्टार्टअप्स के साथ भारत का इस मामले में दुनिया में तीसरे स्थान की गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल करना है। भारत के बेंगलुरु में फिलहाल सबसे अधिक स्टार्टअप्स हैं। इनमें सबसे ज्यादा स्टार्टअप फिनटेक यानी फाइनेंशियल टेक्नोलाजी, ई-कामर्स, साफ्टवेयर सर्विसेज, इंश्योरेंस सेक्टर से संबंधित हैं।

उत्साही युवाओं की उद्यमशीलता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में भारत में स्टार्टअप्स से बदलाव की बयार और तेज होगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को तो गति मिलेगी ही, कौशलयुक्त युवाओं को भी रोजगार के और अधिक बेहतर अवसर मिल सकेंगे। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी विभिन्न मंचों से देश में बढ़ते स्टार्टअप्स और युवाओं की तारीफ करते हुए उन्हें लगातार प्रोत्साहित करते रहे है।

नौकरियां बढ़ाने में योगदान: भारत जैसी दुनिया की दूसरी विशाल आबादी वाले देश के लिए बेरोजगारी हमेशा से बड़ी समस्या रही है। यह भी सच है कि केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से हर किसी को सरकारी नौकरी उपलब्ध कराना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं। ऐसे में अन्य विकल्पों को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है, ताकि देश के युवाओं को उनके उपयुक्त नौकरी मिल सके और देश में बेरोजगारी की स्थिति समाप्त हो सके। देखा जाए, तो इस दिशा में नवोन्वेषी भारतीय युवाओं द्वारा शुरू किए जाने वाले स्टार्टअप्स की भूमिका बेहद सराहनीय रही है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 से 2021 के दौरान भारतीय स्टार्टअप्स ने छह लाख से अधिक नौकरियां सृजित की हैं और यह संख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले चार वर्षो में 50,000 नये स्टार्टअप्स से करीब 20 लाख नौकरियां सृजित होंगी।

बढ़ रहा रुझान: देश में स्टार्टअप्स की कामयाबी को देखते हुए बाकी युवा भी इसके लिए प्रेरित हो रहे हैं। तकनीक की तरक्की के साथ देश के युवाओं में भी अपने मन का काम करने की जिजीविषा लगातार बढ़ रही है। यही कारण है कि सिर्फ आइआइएम और आइआइटी ही नहीं, बल्कि देश के स्कूलों और कालेजों में भी आए दिन नये-नये इनोवेशन होते दिख रहे हैं। अच्छी बात यह है कि सरकार और संस्थाओं के अलावा देश व दुनिया में स्थापित एंटरप्रेन्योर भी उनकी मदद के लिए आगे आ रहे हैं। चाहे उनके इनोवेशन को विकसित करते हुए उत्पादन तक पहुंचाने की बात हो या फिर उसके प्रचार-प्रसार और मार्केटिंग के लिए संसाधन और धन उपलब्ध कराने की, सरकार और एंजेल इनवेस्टर्स इसमें सक्रिय रूप से रुचि लेते दिख रहे हैं। यहां तक कि कारपोरेट दिग्गज भी युवाओं को अपने सपने पूरा करने में सहयोग से पीछे नहीं रह रहे हैं।

दरअसल, भारत में स्टार्टअप संस्कृति विकसित होने के पीछे उस पारंपरिक धारणा का टूटना है, जिसमें कोई युवा पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश करता था। एक बार नौकरी मिल जाने के बाद वह युवा फिर उसी में अपनी पूरी जिंदगी निकाल देता था। आज के युवाओं का सोच काफी बदल गया है। वे बंधी-बंधाई नौकरी करने के बजाय कुछ ऐसा करना चाहते हैं, जिसमें उन्हें जीवनभर आनंद के साथ पैसे भी मिलें। इतना ही नहीं, वे कुछ ऐसा भी करना चाहते हैं, जो लोगों की जिंदगी को आसान कर सके, उनकी मुश्किलें कम कर सके। ज्यादातर स्टार्टअप्स के साथ इस तरह के सामाजिक सरोकार भी जुड़े हैं।

नया करने पर हो जोर: यदि आप भी अपने मन का काम करने की इच्छा रखते हैं, तो आपको पढ़ाई के साथ-साथ अपनी कल्पनाशीलता पर भी जोर देना होगा। अपने दिल-दिमाग को खोल कर रखते हुए यह देखना होगा कि आखिर वे कौन-से क्षेत्र हैं, जहां काम करने की काफी गुंजाइश है। इसके लिए पढ़ाई के दौरान रटने, याद करने के बजाय सीखने-जानने पर जोर देना होगा। जिस क्षेत्र में आप आगे बढ़ने का शौक रखते हैं, उसमें देश और दुनिया में होने वाले बदलावों पर लगातार नजर रखते हुए यह भी देखना होगा कि आगे आने वाले वर्षो में उसमें किस तरह के परिवर्तन आ सकते हैं। इस तरह से आप अपना काम करने की ओर भी बढ़ सकते हैं और चाहें तो किसी स्टार्टअप से भी जुड़ सकते हैं।

स्टार्टअप्स में भी सीखने की इच्छा रखने वाले उत्साही युवाओं को अवसर दिया जाता है। इनमें संस्थान को आगे बढ़ाने के लिए नये-नये प्रयोग करने के मौके भी दिए जाते हैं। ऐसे में नौकरी के दौरान तरक्की के भी खूब अवसर होते हैं। यदि अपना स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं, तो सभी पहलुओं का अध्ययन-विश्लेषण करके ही आगे बढ़ें। साथ ही, दूसरों के अनुभवों से भी सीखने की कोशिश करें। मुश्किलों, बाधाओं और शुरुआती असफलताओं से घबराएं नहीं। अगर आपके मन में संकल्प है, तो आपको अपने काम में सिद्धि अवश्य मिलेगी।

स्टार्टअप इंडिया इनोवेशन सप्ताह से बढ़ावा: देश में युवाओं के बीच स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार का उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआइआइटी) इन दिनों स्टार्टअप इंडिया इनोवेशन सप्ताह (10-16 जनवरी) मना रहा है। विभाग ने वर्ष 2016 से अब तक 60,600 से ज्यादा स्टार्टअप्स को स्वीकृति दी है। यह प्रक्रिया तेज गति से लगातार जारी है। माना जाता है कि प्रति स्टार्टअप कम से कम 11 नौकरियां सृजित हुई हैं। हमारे प्रधानमंत्री युवाओं का लगातार आह्वान करते रहते हैं कि हम नौकरी खोजने वाले की जगह नौकरी देने वाला राष्ट्र बनें। खुशी की बात यह है कि देश के उत्साही और इनोवेटिव युवा उनके इस संकल्प को सिद्धि की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।


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