Move to Jagran APP

स्टोरीटेलर्स सुना रहे अपनी भाषा में भारत की पौराणिक कहानियां, जोड़ रहे संस्कृति से अपना तार

आज के तकनीकी दौर में भले ही बच्चों के पास दुनिया के विभिन्न देशों की कहानियां सुनने का विकल्प है इसके बावजूद आज वे न सिर्फ भारत की पौराणिक लोक-संस्कृति वीर योद्धाओं महापुरुषों आजादी की लड़ाई आदि से जुड़ी कहानियां सुनने में रुचि दिखा रहे हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sun, 12 Sep 2021 10:39 AM (IST)Updated: Sun, 12 Sep 2021 11:22 AM (IST)
स्टोरीटेलर्स सुना रहे अपनी भाषा में भारत की पौराणिक कहानियां, जोड़ रहे संस्कृति से अपना तार
देश के किस्सागो बच्चों को हिंदी व क्षेत्रीय भाषाओं में कहानियां सुना रहे हैं, पाडकास्ट कर रहे हैं...

नई दिल्ली, अंशु सिंह। चौथी कक्षा में पढ़ने वाली चंडीगढ़ की रितवी कौशिक टीवी और यू-ट्यूब पर कहानियां देखती-सुनती थीं। वहीं से उन्हें प्रेरणा मिली कि क्यों न कहानियां सुनायी जाएं? उन्होंने कुछ स्टोरी टेलिंग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया, जहां से उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया मिली। रितवी के कहानी कहने की शैली को दपसंद किया गया। इसके बाद तो उन्होंने फेसबुक के माध्यम से भारत की पौराणिक, पंचतंत्र से जुड़ी कहानियां एवं जातक कथाएं सुनानी शुरू कीं। बताती हैं रितवी, ‘मुझे किताबें पढ़ने का शौक रहा है।

loksabha election banner

खासकर रोमांचक कहानियां। सुधा मूर्ति को पढ़ने के अलावा मां से भी कहानियां सुना करती हूं। उन सबकी मदद से ही फेसबुक पर 100 दिनों तक हिंदी में प्रेरक कहानियां सुनाने का आत्मविश्वास आया, क्योंकि यह मेरी मातृभाषा है और मैं इसका सम्मान करती हूं।' कहानियों के चयन की बात करें, तो रितवी खुद नयी-नयी चीजें ढूंढ़ती रहती हैं। वह कठपुतलियों के अलावा परछाईं की मदद से भी कहानियां सुनाती हैं। इन दिनों स्कूली बच्चों को भी आनलाइन कहानियां सुनाकर उन्हें प्रेरित कर रही हैं।

हिंदी एवं मालवी में कहानियां : किताबें पढ़ने के शौकीन मुंबई के छठी कक्षा के छात्र सौरम्या भंडारी को बेडटाइम स्टोरीज इतनी पसंद हैं कि उन्हें सुने बिना नींद नहीं आती। महान लेखक रस्किन बांड के प्रशंसक सौरम्या बीते दो वर्षों से स्टोरी टेलिंग भी कर रहे हैं। अमूमन वह पहले अंग्रेजी में कहानियां सुनाते थे, लेकिन बिग बड्डी वर्ल्ड के यंग लैंग्वेज क्रूसेडर प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए इन्होंने हिंदी में कहानी सुनाने का निर्णय लिया। वह बताते हैं, ‘शुरू में थोड़ी झिझक थी। दुविधा में था कि कैसे सुना पाऊंगा? लेकिन लोपमुद्रा मोहंती मैम ने हौसला बढ़ाया। मां ने भी मदद की। मैंने इंटरनेट के अलावा मां एवं नानी से सुनी कहानियों को सबके साथ साझा करना शुरू किया, जिस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। हिंदी के अलावा मैं मालवी भाषा (मध्य प्रदेश की) में भी कहानियां सुनाता हूं।‘ सौरम्या को रचनात्मक चीजें करने और गाने का शौक है। इन दिनों वह हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन का प्रशिक्षण भी ले रहे हैं। इनका अपना यू-ट्यूब चैनल भी है, जहां वह अपने गाने अपलोड करते रहते हैं।

मिल रहा देश की संस्कृति का ज्ञान : छठी कक्षा में ही पढ़ने वाली मोहाली की जश्नामह कौर को अपनी मातृभाषा एवं राष्ट्रभाषा से बहुत लगाव है। दादा-दादी एवं मां से पंजाबी लोक कथाएं व हिंदी की पौराणिक कहानियां, जातक कथाएं आदि सुना करती हैं। कोरोना काल में जब स्कूल बंद हो गए, तो उन्होंने कुछ नया करने के उद्देश्य से आनलाइन कहानियां सुनाने (स्टोरी टेलिंग) की सोची। वह किताबों व अन्य स्रोतों की सहायता से कहानियों का चयन करतीं और फिर उन्हें अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड करतीं। बताती हैं जश्नामह, ‘वैसे तो मैं हैरी पाटर आदि को पढ़ना पसंद करती थी। अंगेजी में सहज महसूस करती थी। लेकिन जब अपने देश की संस्कृति-इतिहास के बारे में पढ़ा-सुना, तो उसके बारे में और जानने की जिज्ञासा हुई। इसके बाद मैंने अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी कहानियां सुनाना शुरू किया। स्टोरी टेलर एवं ‘बिग बड्डी वर्ल्ड’ की संस्थापक लोपमुद्रा मोहंती कहती हैं, ‘हम चाहते हैं कि बच्चे अपनी मातृभाषा, क्षेत्रीय भाषा एवं अपनी स्थानीय संस्कृति को जानें, ताकि इन भाषाओं के प्रति जो भी हीन भावना या जागरूकता की कमी है, उसे दूर किया जा सके। इतना ही नहीं, वे सिर्फ विदेशी कहानियों पर निर्भर न रहें, बल्कि अलग-अलग राज्यों की लोक कथाओं एवं संस्कृति से भी अवगत हों।‘ इसी उद्देश्य के साथ इन्होंने 2019 में ‘इंडियन लैंग्वेज स्टोरीटेलिंग मंडाला’ नाम से प्रोजेक्ट शुरू किया था, जिसमें क्षेत्रीय एवं देश की अलग-अलग भाषाओं में कहानियां सुनायी जाती थीं। लोपमुद्रा कहती हैं, 'कोरोना काल में हमने बच्चों के लिए आनलाइन ‘माई पैल’ - ‘यंग इंडियन लैंग्वेज क्रूसेडर’ अभियान शुरू किया। इसमें देश के अलग-अलग हिस्सों के बच्चों ने अपनी मातृभाषा में कहानियां रिकार्ड कर हमें भेजीं। चुनिंदा कहानियों को हमने अपने यूट्यूब चैनल-बिग बड्डी वर्ल्ड पर अपलोड किया।'

अमर चित्रकथा की कहानियों का एनिमेशन : साल 1967 के फरवरी का महीना था। दूरदर्शन पर एक प्रतियोगिता चल रही थी, जिसमें सवाल पूछा गया कि रामायण में भगवान श्रीराम की माता का नाम क्या था? किसी प्रतिभागी ने उत्तर नहीं दिया। यह देखकर तब एक अखबार के दफ्तर में कामिक्स विभाग संभालने वाले शख्स को इस पर बहुत अफसोस हुआ। उन्होंने फैसला किया कि वह अपनी रचनात्मकता से नई पीढ़ी को सामान्य ज्ञान एवं नैतिक शिक्षा देंगे, जिससे कि वे बोर भी न हों और अपने इतिहास एवं संस्कृति से परिचित हो सकें। उन्होंने नौकरी छोड़ दी और फिर शुरुआत हुई अमर चित्र कथा की। उनका नाम था अनंत पाई, जिन्हें बच्चे अंकल पई के रूप में जानते हैं। उन्होंने कामिक्स के माध्यम से बच्चों को रामायण, महाभारत से लेकर देश की पौराणिक, ऐतिहासिक, महापुरुषों एवं वीर योद्धाओं से जुडी कहानियां, जातक कथाएं, पंचतंत्र आदि पढ़ने के लिए प्रेरित किया। उनका उद्देश्य सिर्फ एक था- अपनी परंपरा एवं संस्कृति से अनजान बच्चे उन्हें जान सकें। 2007 से ये कामिक्स डिजिटल रूप में भी उपलब्ध हो चुकी हैं। वहीं, अब इसे एनिमेशन के रूप में भी लाने की तैयारी है यानी एसीके मीडिया के साथ मिलकर अपलाज इंटरटेनमेंट बच्चों के लिए रामायण एवं अन्य पौराणिक कहानियों पर आधारित एनिमेशन बनाएगा।

बच्चों को लुभा रहीं ‘आजादी की कहानियां’ : दिल्ली पब्लिक स्कूल, रोहिणी में करीब 24 वर्ष तक हिंदी का अध्यापिका रहीं और अब किस्सागोई कर रहीं उषा छाबड़ा के पास कहानियों का भंडार है। हाल ही में इन्होंने फेसबुक के जरिये ‘आजादी की कहानियां’ नाम से एक पूरी सीरीज चलायी, जिसमें सेनानियों एवं योद्धाओं से जुड़े किस्से थे। बच्चों ने इसे काफी पसंद किया। इसके अलावा, वह नेशनल म्यूजियम में अवस्थित विभिन्न गैलरियों की कलाकृतियों से संबंधित रोचक किस्से भी सुनाती हैं। वह कहती हैं, 'संग्रहालयों में लोग घूमने जाते हैं, लेकिन कोई वहां संग्रहित कलाकृतियों के इतिहास या उनसे जुड़ी कहानी को जानने को इच्छुक नहीं होता जबकि हरेक कलाकृति की अपनी एक अद्भुत कहानी होती है। जैसे, मैं राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थित उत्तर-पूर्वी राज्यों की गैलरी में रखी कलाकृतियों से संबंधित कहानियां सुनाती हूं, जिसके बारे में बच्चों को अधिक जानकारी नहीं है। उनके लिए यह बिल्कुल नया अनुभव होता है, जब वे ‘सेवन सिस्टर्स’ (उत्तर-पूर्व के सात राज्य) की नदियों, वहां के नृत्य, बांस, गहनों आदि से जुड़ी अनसुनी कहानियां सुनते हैं। वहां की लोक कथाएं कम रुचिकर नहीं होती हैं। नि:संदेह इससे बच्चों में अपने देश को जानने की लालसा बढ़ती है।'

देसी कहानियों में बढ़ी बच्चों की रुचि : दिल्ली की लेखक एवं स्टोरी टेलर उषा छाबड़ा ने बताया कि आज ढेरों भारतीय किस्सागो बच्चों को पारंपरिक, देसज कहानियां सुना रहे हैं। बच्चे भी जब असल जिंदगी एवं समाज से जुड़ी कहानियां सुनते हैं, तो इतिहास एवं संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में उनका ज्ञान बढ़ता है। मैं पूरा शोध करने के बाद ही बच्चों को कहानियां सुनाती हूं। कई बार कहानियों को नये दौर के अनुरूप प्रस्तुत करने का प्रयास करती हूं। धीरे-धीरे बच्चों में भी अंग्रेजी की अपेक्षा हिंदी एवं क्षेत्रीय भाषाओं की कहानियों में दिलचस्पी उत्पन्न हो रही है। लेकिन जरूरी है कि अभिभावक भी हिंदी के प्रति सकारात्मक रुख रखें। बच्चों को अंग्रेजी के साथ हिंदी की किताबें पढ़ने के लिए भी प्रेरित करें।

प्रेरक कहानियां बढ़ाती हैं आत्मविश्वास : पुणे की स्टोरी टेलर सोनी लांबा द्विवेदी ने बताया कि किताबों में रुचि होने के कारण मैंने स्टोरीटेलिंग शुरू की। आनलाइन सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद ‘स्टोरी कट्टा’ नाम से अपना यू-ट्यूब चैनल शुरू किया है। मैं बच्चों को प्रेरक कहानियां सुनाने में विश्वास करती हूं, क्योंकि इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। मैंने देखा है कि कैसे पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, स्वामी विवेकानंद आदि से जुड़ी प्रेरक कहानियों को सुनने के बाद बच्चों का दृष्टिकोण बदलता है। कहानियों से उन्हें नये शब्दों के बारे में भी जानने को मिलता है। वे अपने देश की विविध संस्कृति, नैतिक मूल्यों के बारे में जान पाते हैं। बच्चों से यही कहना चाहूंगी कि हिंदी से कतई डरने या खुद को हीन समझने की जरूरत नहीं है। सिर्फ सीखने की चाह होनी चाहिए। हिंदी में महापुरुषों की जीवनी से संबंधित अनेक पुस्तकें हैं। पौराणिक कथाओं की किताबें हैं। अब तो कई आनलाइन मंचों पर भी हिंदी में कहानियां उपलब्ध हैं, जिन्हें स्टोरीटेलर्स अपने-अपने तरीके से बच्चों के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.