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'दुक्खम-सुक्खम' उपन्यास के लिए ममता कालिया को व्यास सम्मान

बुधवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने उन्हें यह सम्मान दिया। इसके तहत साढ़े तीन लाख रुपये सम्मान राशि व प्रमाण पत्र दिया गया।

By Edited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 10:22 PM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 08:25 AM (IST)
'दुक्खम-सुक्खम' उपन्यास के लिए ममता कालिया को व्यास सम्मान
'दुक्खम-सुक्खम' उपन्यास के लिए ममता कालिया को व्यास सम्मान

नई दिल्ली, जेएनएन। हिंदी उपन्यास 'दुक्खम-सुक्खम' के लिए ममता कालिया को केके बिरला फाउंडेशन की ओर से 27वां व्यास सम्मान प्रदान किया गया। बुधवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने उन्हें यह सम्मान दिया। इसके तहत साढ़े तीन लाख रुपये सम्मान राशि व प्रमाण पत्र दिया गया।

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मृदुला सिन्हा ने कहा कि यह उपन्यास मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के मथुरा की पृष्ठभूमि पर आधारित है। लेकिन यह सिर्फ मथुरा ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए है। इसमें दिखाया गया है कि एक परिवार में दादा-दादी और नाना-नानी जैसे बुजुर्गों का होना कितना जरूरी है।

उपन्यास की लेखिका ममता कालिया ने कहा कि यह एक संयुक्त परिवार के आधुनिकीकरण की कहानी है। उन्होंने कहा कि अपनी रचना का ताना-बाना बुनने के लिए लेखक को कभी समय से पीछे जाना पड़ता है तो कभी समय से आगे निकलकर अपनी कल्पना को शब्दों में पिरोना पड़ता है।

उपन्यास में तीसरी पीढ़ी की किरदार मनीषा जहां पुरानी और नई पीढ़ी के बीच सेतु का काम करती है। वहीं, उसकी बहन प्रतिभा सारी रूढि़यों को तोड़कर बिंदास जीवन जीना चाहती है। उपन्यास के विभिन्न किरदारों के बीच चलने वाले वैचारिक द्वंद को लेखिका ने बखूबी प्रस्तुत किया है।

व्यास सम्मान चयन समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने उपन्यास के कुछ रोचक अंश पढ़कर सुनाए। उन्होंने कहा कि यह उपन्यास महात्मा गांधी के सत्याग्रह की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है।

आज भले ही नारी मुक्ति आंदोलन 'मी टू' तक पहुंच गया है, लेकिन इसकी शुरुआत गांधी जी ने दशकों पहले चरखे के माध्यम से कर दी थी। फाउंडेशन के निदेशक डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण ने अतिथियों का स्वागत किया। वहीं, डॉ. रेखा सेठी ने मंच संचालन किया। इस दौरान देश भर से आए साहित्यकार मौजूद रहे।


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