कार चलाते हुए अदालत के समक्ष पेश होने पर हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी, जानिए क्या कहा
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने कार चलाते हुए पेश होने पर मौखिक रूप से कहा कि अगर कोई अधिवक्ता मोबाइल फोन से या कार में बैठकर अदालत की सुनवाई में शामिल होते हैं तो अदालत को आपत्ति नहीं है।लेकिन आप कार नहीं चलाते हुए मामले पर बहस कर सकते।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन द्वारा दाखिल एक चुनौती याचिका पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के दौरान कार चलाते हुए अदालत के समक्ष पेश होने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अधिवक्ता पर नाराजगी व्यक्त की। ताहिर हुसैन ने उसके खिलाफ दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में यूएपीए के तहत मामला चलाने की मंजूरी को चुनौती दी है।
इस तरह शामिल होने पर नहीं है कोई आपत्ति
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने कार चलाते हुए पेश होने पर मौखिक रूप से कहा कि अगर कोई अधिवक्ता मोबाइल फोन से या कार में बैठकर अदालत की सुनवाई में शामिल होते हैं तो अदालत को आपत्ति नहीं है। लेकिन आप कार चलाते हुए मामले पर बहस नहीं कर सकते हैं। कम से कम इस शिष्टाचार को वकील को विस्तारित करना चाहिए।
यह कार्रवाई उचित नहीं इसकी अनुमति नहीं
पीठ ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई उचित नहीं है और इसकी अनुमति नहीं है। आप इस हद तक नहीं जा सकते। सभी के पास हर एक उपकरण नहीं हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप गाड़ी चलाते हुए अदालत के समक्ष ऐसे पेश होंगे। पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए सुनवाई 19 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी।
यूएपीए के तहत धाराएं लगाने को चुनौती
हुसैन ने उसके खिलाफ यूएपीए के तहत धाराएं लगाने को चुनौती दी है। साथ ही उक्त धाराओं के तहत उसके खिलाफ अभियोजन चलाने के संबंध में दी गई मंजूरी को रद करने की मांग की है। इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान पुलिस ने ताहिर की याचिका का विरोध किया था। पुलिस ने कहा था कि मंजूरी आदेश की वैधता का सवाल तथ्य का सवाल है और इसलिए मुकदमे के दौरान निर्धारित होने के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए।।